क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

NRC Draft: सरकारी स्‍कूल टीचर से लेकर सेना और पुलिस के जवान का नाम भी ड्राफ्ट से गायब

असम में जब से नेशनल रजिस्‍टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) का दूसरा ड्राफ्ट रिलीज हुआ है, तब से ही कोई न कोई विवाद इसके साथ जुड़ता चला जा रहा है। अब एक नया विवाद इस ड्राफ्ट से जुड़ गया है। इंग्लिश डेली इंडियन एक्‍सप्रेस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इस ड्राफ्ट से एनआरसी के फील्‍ड ऑफिसर का नाम ही गायब है।

Google Oneindia News

गुवाहाटी। असम में जब से नेशनल रजिस्‍टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) का दूसरा ड्राफ्ट रिलीज हुआ है, तब से ही कोई न कोई विवाद इसके साथ जुड़ता चला जा रहा है। अब एक नया विवाद इस ड्राफ्ट से जुड़ गया है। इंग्लिश डेली इंडियन एक्‍सप्रेस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इस ड्राफ्ट से एनआरसी के फील्‍ड ऑफिसर का नाम ही गायब है। इसके अलावा ड्राफ्ट में सरकारी स्‍कूल टीचर, सेना के जवान और सीआईएसएफ कॉन्‍स्‍टेबल तक का नाम गायब है। सोमवार को जो दूसरा ड्राफ्ट आया है, उस ड्राफ्ट से 40 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। ये भी पढ़ें-देश के पांचवें राष्‍ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार के सदस्‍य भी बाहर

तीन वर्ष तक अपडेशन प्रक्रिया में लगे थे

तीन वर्ष तक अपडेशन प्रक्रिया में लगे थे

(फोटो- इंडियन एक्‍सप्रेस) इंडियन एक्‍सप्रेस के मुताबिक फील्‍ड ऑफिसर मोइनुल हक उन 55,000 सरकारी अधिकारियों और कॉन्‍ट्रैक्‍ट वर्कर्स में शामिल हैं जिन्‍होंने एनआरसी ड्राफ्ट की अपडेटेशन प्रक्रिया में सक्रियता से हिस्‍सा लिया। इसके बाद भी ड्राफ्ट में उनका नाम ही नहीं हैं। हक ने अखबार से बातचीत में कहा है कि वह सीनियर ऑफिसर्स से इस पर बात करेंगे और पूछेंगे कि आखिर समस्‍या क्‍या है। हक को इस बात की उम्‍मीद है कि वह इसका समाधान भी निकाल लेंगे। हक ने खुद को पूरी तरह से भारतीय करार दिया। 47 वर्षीय हक असम के उदालगुरी जिले में सरकारी स्‍कूल में टीचर हैं और पिछले तीन वर्षों से एनआरसी ड्राफ्ट में अपडेशन की वजह से ठीक से स्‍कूल भी नहीं पहुंच पा रहे थे। हक की तरह उनके 29 वर्षीय भाई का नाम भी लिस्‍ट से गायब है।

सेना में जवान लेकिन ड्राफ्ट से गायब

सेना में जवान लेकिन ड्राफ्ट से गायब

असम के बारपेटा जिले के माजगांव गांव के 29 वर्षीय इनामुल हक जो सेना के जवान हैं, उनका नाम भी लिस्‍ट से गायब है। हक बतौर सिपाही सेना की सर्विस कोर के साथ उत्‍तराखंड के रूड़की में तैनात हैं। उनका कहना है कि उनका नाम इस ड्राफ्ट में नहीं है लेकिन उनके माता-पिता और चार भाई-बहनों का नाम इस लिस्‍ट में है। हक ने इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि उनके बड़े भाई ने 30 जुलाई को उन्‍हें कॉल किया था और उन्‍हें बताया कि उनका नाम इस ड्राफ्ट से बाहर है। हक के मुताबिक वह एक सैनिक हैं और उन्‍हें समझ नहीं आ रहा है कि कैसे उनका नाम इस लिस्‍ट से बाहर कर दिया गया है। हक ने वही लेगेसी डाटा दिया था जो उनके भाई-बहनों ने एनआरसी के लिए दिया था लेकिन उनके अलावा सबके नाम ड्राफ्ट में हैं। लेकिन हक ने यह भी कहा कि वह बिल्‍कुल भी परेशान नहीं हैं और सात अगस्‍त को ड्राफ्ट में अपना नाम शामिल करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे।

गजटेड ऑफिसर का नाम भी नहीं

गजटेड ऑफिसर का नाम भी नहीं

सिपाही इनामुल हक के अलावा 48 वर्षीय सदाउल्‍लाह अहमद का नाम भी लिस्‍ट में नहीं है। अहमद इंडियन एयरफोर्स के साथ बतौर टेक्निशियन काम कर चुके हैं। वर्तमान समय में वह गुवाहाटी में अकाउंटेंट जनरल के साथ असिस्‍टेंट ऑडिट ऑफिसर के तौर पर तैनात हैं। उनका नाम इस ड्राफ्ट में नहीं है क्‍योंकि उन्‍होंने वही लेगेसी डाटा प्रयोग किया था जो उनकी बड़ी बहन फतेमा निसां ने प्रयोग किया था। निसां को एक विदेशी घोषित कर दिया गया है। उन्‍होंने बताया कि उनके पिता मोबिद अली का नाम साल 1951 के एनआरसी ड्राफ्ट में था, इसके अलावा उनके पास साल 1958 का लैंड रिकॉर्ड भी है और साल 1971 की वोटर लिस्‍ट में भी उनका नाम है। इसके बाद भी उनकी बहन को साल 2012 में बारपेटा में फॉरेन ट्रिब्‍यूनल (एफटी) की ओर से विदेशी घोषित कर दिया गया था। हाई कोर्ट में इसी फैसले को माना गया और अब मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।

पुलिस में हेड कॉन्‍स्‍टेबल लेकिन ड्राफ्ट से गायब

पुलिस में हेड कॉन्‍स्‍टेबल लेकिन ड्राफ्ट से गायब

इसी तरह से 51 वर्षीय उस्‍मान गनी जो कि सीआईएसएफ के हेड कॉन्‍स्‍टेबल हैं और इस समय गुवाहाटी में पोस्‍टेड हैं, उनका नाम भी लिस्‍ट से बाहर है। गुवाहाटी से 50 किलोमीटर दूर चायगांव के रहने वाले उस्‍मान और उनकी पत्‍नी का नाम ड्राफ्ट में नहीं है लेकिन उनके बेटों जिनकी उम्र 19 वर्ष और 14 वर्ष है, उनके नाम इस लिस्‍ट में हैं। गनी के अलावा उनके दो भाई-बहनों के नाम भी ड्राफ्ट में नहीं है। उन्‍होंने बताया कि उनके पिता का नाम 1951 के एनआरसी ड्राफ्ट में था और 1971 की वोटर लिस्‍ट में भी था। गनी साल 1987 से सीआईएसएफ के साथ हैं। गनी की तरह ही शाह आलम भूयन, जो कि असम पुलिस की स्‍पेशल ब्रांच के साथ गुवाहाटी में तैनात हैं, उनका नाम भी ड्राफ्ट में नही है। एएसआई भूयन के मुताबिक इसकी प्रक्रिया काफी जटिल है। भूयन को साल 1997 में 'डाउटफुल' या 'डी वोटर' तौर पर चिन्हित किया गया था। साल 2010 में उन्‍हें इसका पता लगा था।

Comments
English summary
NRC Draft: from CISF constable to armyman and to NRC field officer everyone is left out from the draft.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X