अब सिर्फ 40 मिनट में सड़क के रास्ते डोकलाम पहुंच सकती है भारतीय सेना, 2017 में छुड़ाए थे चीन के पसीने
नई दिल्ली- बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने इस साल पूरे देश के सीमावर्ती इलाकों में रोड का एक बड़ा नेटवर्क विकसित किया है। इसी कड़ी में सिक्किम के पठार में स्थित डोकलाम का वह रोड भी है, जहां 2017 में करीब दो महीनों तक भारतीय और चीनी सेना के बीच आपस में बहुत भीषण संघर्ष की स्थिति बनी रही थी। हालांकि, वहां पहुंचने के लिए सुविधाजनक रोड उपलब्ध नहीं होने के बावजूद भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों के पसीने छुड़ाए दिए थे, लेकिन अब वहां तक पहुंचना भारतीय सैनिकों के लिए बहुत ही आसान हो गया है।
2019 में बीआरओ ने 6,000 किमी सड़क बनाए
बीआरओ ने 2019 में देशभर के सीमावर्ती इलाकों में करीब 6,000 किलोमीटर का रोड नेटवर्क डेवलप किया है। बता दें कि देश के सीमावर्ती इलाकों ने रोड नेटवर्क बनाने और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी बीआरओ के कंधे पर ही है, इस कड़ी में उसने कुछ पड़ोसी मित्र राष्ट्रों में भी सड़क निर्माण का काम किया है। इस साल बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने सड़कों के अलावा कुछ बड़े पुलों ,19 एयरफिल्ड और चुनौतीपूर्ण और दूर-दराज के सीमावर्ती इलाकों में दो सुरंगों का भी निर्माण किया है। यही नहीं बीआरओ ब्रह्मपुत्र नदी में भी पानी के अंदर एक सुरंग बना रहा है। इसके हवाले भारत-चीन सीमा पर 61 महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण की भी जिम्मेदारी है, जिसकी लंबाई 3,346 किलोमीटर है।
अब सिर्फ 40 मिनट में डोकलाम पहुंच सकती है सेना
इस साल बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने जो देशभर के सीमावर्ती इलाकों में सड़कों का निर्माण किया है, उसमें सामिरक रूप से अहम डोकलाम तक जाने वाली 19.72 किलो मीटर लंबी सड़क भी है, जो भीम बेस से डोकलाम को जोड़ती है। इस सड़क के निर्माण के बाद भारतीय सेना के लिए यहां पहुंचना बहुत ही आसान हो गया है। पहले भारतीय सेना को यहां पहुंचने में 7 घंटे तक लग जाते थे, लेकिन नई सड़क बनने के बाद ये दूरी महज 40 मिनट में ही पूरी की जा सकती है। यह सड़क हर मौसम में इस्तेमाल लायक बनाई गई है और इसकी मजबूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसपर वजन को लेकर आवाजाही की कोई सीमा तय नहीं की गई है।
2017 में 73 दिनों तक चला था संघर्ष
बता दें कि 2017 में सिक्किम के डोकलाम पठार में भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के बीच 73 दिनों तक संघर्ष की स्थिति बनी रही थी और भारतीय सेना ने पीएलए को नाकों चने चबाने के लिए मजबूर कर दिया था। हालांकि, तब भारतीय सेना को वहां तक पहुंचने में काफी परेशानी पेश आ रही थी, क्योंकि तब वहां तक सड़क मार्ग से जल्द पहुंचने में काफी परेशानियां थीं। यही वजह है कि अब सामरिक रूप से इस महत्वपूर्ण सड़क निर्माण को बहुत अहमियत दी जा रही है।
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