महिला क्रिकेटर हरमनप्रीत कौर नहीं करेगीं पंजाब पुलिस में नौकरी, परिवार का दावा
जालंधर। विवादों में घिरी महिला क्रिकेटर हरमनप्रीत कौर शायद ही अब अपनी डिमोशन के बाद पंजाब पुलिस में सिपाही की नौकरी ज्वाइन करे। कुछ ऐसा ही संकेत उसके रिशतेदारों ने दिये हैं। परिवार का मानना है कि सरकार के इस कदम से उनका अपमान हुआ है। दरअसल, पंजाब सरकार ने आज एक असाधारण कदम उठाते हुये क्रिकेटर हरमनप्रीत कौर से डीएसपी का पद छीन लिया।
उन पर फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी हासिल करने का आरोप है। हरमनप्रीत कौर के पिता हरमंदर सिंह ने कहा कि हरमनप्रीत कौर डीएसपी पद से हटाए जाने के बारे में उनके पास कोई अधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन यदि पंजाब सरकार हरमनप्रीत कौर को डीएसपी पद के बजाए कांस्टेबल का पद देने का ऑफर कर रही है तो हरमनप्रीत इसे स्वीकार नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि जिन सर्टिफिकेटों के आधार पर हरमनप्रीत ने रेलवे में नौकरी की है, वही पंजाब पुलिस के पास दिया गया था। हरमनप्रीत के छोटे भाई गैरी ने बताया कि उनकी बहन जल्द ही अपना पक्ष मीडिया के सामने रखेगी। गैरी ने कहा कि उसकी बहन बेहद आशावादी है और वह खुद अपने स्तर पर अपने सर्टिफिकेटों की जांच मेरठ यूनिवर्सिटी से करवा रही है। उसकी बहन किसी भी कीमत पर पंजाब पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी नहीं करेगी, क्योंकि उसके पास देश भर की नामी कंपनियों से बेहद अच्छी जॉब ऑफर पहले से हैं।
हरमनप्रीत कौर एक करीबी रिश्तेदार ने कहा कि पंजाब सरकार या पंजाब पुलिस को चाहिए था कि वह पहले हरमनप्रीत कौर के दस्तावेजों और अन्य डिग्रियों की जांच करवाते और इसके बाद उसे डीएसपी पद से सम्मानित करते। डीएसपी का पद खुद मुख्यमंत्री और डीजीपी द्वारा दिए जाने के बाद अब उसे कांस्टेबल बनाने का ऑफर देना विश्व स्तरीय क्रिकेट खिलाड़ी का अपमान है। इस अपमान के बाद देश का कोई बड़ा खिलाड़ी भविष्य में पंजाब सरकार के बहकावे में नहीं आएगा।
जानकारी के अनुसार हरमनप्रीत ने इसी साल रेलवे की नौकरी छोडक़र पंजाब पुलिस में डीएसपी के पद पर ज्वाइन किया था। दूसरी ओर, उनके पिता हरमंदर सिंह ने कहा था कि हरमनप्रीत के अनुसार डिग्री बिल्कुल असली है। पंजाब पुलिस के डीजीपी (प्रबंधन) एमके तिवाड़ी ने हरमनप्रीत कौर के ग्रेजुएशन के सर्टिफिकेट की जांच करवाने के बाद आई रिपोर्ट का हवाला देकर उसे नकली बताया था। उन्होंने बताया है कि जांच दौरान उत्तर प्रदेश के मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी ने इसके असली सर्टिफिकेट होने से इन्कार किया है। बताया जाता है कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने हरमनप्रीत के मार्कशीट और उसका रिकार्ड नहीं होने की बात कही है।
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हरमनप्रीत के बोर में जानें कब क्या हुआ
जुलाई 2017 में हुए महिला क्रिकेट के विश्वकप के सेमीफाइनल मैच के दौरान हरमनप्रीत कौर नाबाद 171 रन बनाकर चर्चा में आई थीं। वह पश्चिम रेलवे में चीफ आफिस सुपरिंटेंडेंट पद पर कार्यरत थीं। जुलाई 2017 के दौरान पंजाब की सत्ता संभालने वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरमनप्रीत कौर को पंजाब पुलिस में डीएसपी पद का ऑफर किया।
सितंबर 2017 में हरमनप्रीत कौर ने रेलवे की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। इस पर जनवरी में रेलवे ने हरमनप्रीत पर पांच साल का करार तोडऩे के आरोप में 27 लाख रुपये की पेनाल्टी भरने का आदेश दे दिया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुद इस मामले को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात कर मामले को सुलझाया।
1 मार्च 2018 को पंजाब पुलिस में डीएसपी पद मिला। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और डीजीपी सुरेश अरोड़ा ने पंजाब पुलिस का बैच प्रदान किया। जुलाई 2018 के प्रारंभ में पंजाब पुलिस को हरमनप्रीत कौर के ग्रेजुएशन के सर्टिफिकेट के बारे में मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की रिपोर्ट मिली। इसमें हरमनप्रीत के सर्टिफिकेट के असली होने से इन्कार किया गया। विश्वविद्यालय ने कहा कि उसके पास हरमनप्रीत की मार्कशीट नहीं है। इसके बाद पंजाब सरकार ने हरमनप्रीत के सर्टिफिकेट के बारे में रेलवे से जानकारी मांगी। रेलवे से रिपोर्ट मिलने के बाद पंजाब पुलिस ने कदम उठाया और हनीप्रीत को डीएपी पद से हटाने का निर्णय किया गया। हरमनप्रीत को डीएसपी की जगह कांस्टेबल बनाने का निर्णय किए जाने की सूचना।
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