'मुस्लिम प्रभाकरण' को पनपने का मौका न दें, श्रीलंका ने किससे कही इतनी बड़ी बात?
नई दिल्ली- श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने अपने देश में बिगड़े सांप्रदायिक माहौल को लेकर बहुत बड़ा बयान दिया है। सिरिसेना ने माना है कि इस वक्त उनका देश धार्मिक आधार पर विभाजित हो चुका है। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि नेता सिर्फ चुनावों का ध्यान रख रहे हैं, उन्हें देश की कोई परवाह नहीं है।
'मुस्लिम प्रभाकरण' को मौका न दें- सिरिसेना
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने देश में सभी समुदायों से एकजुटता बनाए रखने की अपील करने के साथ ही आगाह किया है कि वहां अब किसी 'मुस्लिम प्रभाकरण' प्रभाकरण को सिर उठाने का मौका न दिया जाय। सिरिसेना ने साफ शब्दों में जनता से अपील की है कि, "मुस्लिम प्रभाकरण को जन्म लेने का किसी भी तरह का मौका न दें।"
इस वक्त देश विभाजित हो चुका है- श्रीलंकाई राष्ट्रपति
कभी लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) के गढ़ रहे मुल्लैतिवु में सिरिसेना ने माना कि इस वक्त उनका देश विभाजित हो चुका है। शनिवार को उन्होंने कहा कि इस समय देश के धार्मिक नेता और नेता बंट गए हैं। कोलंबो गजट की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति ने जनता से कहा कि "अगर हम विभाजित और अलग हो जाते हैं तो पूरा देश हार जाएगा। एक और युद्ध शुरू हो जाएगा।"
प्रभाकरण का नाम क्यों लिया?
दरअसल, श्रीलंका में तीन कैथलिक गिरजाघरों और तीन लग्जरी होटलों पर एक स्थानीय इस्लामिक ग्रुप द्वारा ईस्टर पर बम धमाके करने के बाद से वहां मुस्लिमों पर हमले हो रहे हैं। सिरिसेना ने कुछ नेताओं पर आरोप लगाया है कि उनका ध्यान इस साल होने वाले चुनावों पर है ना कि अपने देश की सुरक्षा पर। इस आतंकी हमले में करीब 250 लोगों की मौत हो गई थी और कई जख्मी हो गए थे। सिरिसेना ने एलटीटीई प्रमुख प्रभाकरण का उदाहरण इसलिए दिया, क्योंकि श्रीलंका में वह तमिल विद्रोह का एक मुख्य चेहरा था। उसने अलग तमिल राष्ट्र की मांग को लेकर कई सालों तक गुरिल्ला युद्ध चलाए रखा। 2009 में सैन्य कार्रवाई में उसे मार दिया गया।