सबरीमाला ही नहीं, मुस्लिम और पारसी महिलाओं से जुड़े ये मामले भी देखेगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने केरल के सबरीमाला मंदिर का मामला सात जजों की पीठ को सौंप दिया है। 3-2 के बहुमत से ये आदेश देते हुए संवैधानिक पीठ ने मामले का दायरा भी बढ़ा दिया है। अब बड़ी पीठ केवल सबरीमाला ही नहीं बल्कि मुस्लिम महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश, गैर पारसी से शादी करने पर पारसी महिलाओं पर लगने वाली पाबंदियां और दाउदी बोहरा समुदाय में खतना जैसे मुद्दे भी देखेगी।
इस मामले में कोर्ट ने कहा है कि केवल सबरीमाला ही नहीं, बल्कि अन्य कई जगहों पर भी महिलाओं पर प्रतिबंध लगा है। हालांकि अदालत ने इस दौरान ना तो अपने सितंबर, 2018 में दिए फैसले पर रोक लगाई है, और ना ही उसके विरोध में कुछ कहा है।
बीते साल आया सबरीमाला पर फैसला
बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी आयु की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी थी। इससे पहले 10 से 50 साल की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा हुआ था। हालांकि कोर्ट के फैसले का कुछ लोगों ने विरोध किया तो कुछ ने समर्थन भी किया।
अब सात जजों की पीठ देखेगी मामला
कोर्ट ने महिलाओं पर लगे प्रतिबंध को असंवैधानिक करार दिया था। कई महिलाओं ने फैसले के बाद मंदिर में प्रवेश करने की भी कोशिश की थी, लेकिन उन्हें रोक दिया जाता था। कोर्ट के इसी फैसले के विरोध में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थीं, जिसपर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये मामला अब सात जजों की बड़ी पीठ देखेगी।
क्या बोला कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सबसे अहम बात जो कही, वो ये है, 'यहां बहस संवैधानिक मान्याताओं, परंपराओं को लेकर है। यह मुद्दा केवल सबरीमाला में रोक का ही नहीं है। बल्कि ऐसे कई प्रतिबंध मुस्लिम और पारसी महिलाओं पर भी हैं। बड़ी पीठ इन पर न्यायिक नीति तय करेगी ताकि पूरा न्याय हो सके।'
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