राफेल की पूजा पर हंगामा है क्यों बरपा, अतीत की इन तस्वीरों में भी झांकिए
नई दिल्ली। पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में फाइटर जेट राफेल की शस्त्र पूजा क्या की, पूरे देश में हंगामा मच गया। आठ अक्टूबर को दशहरा और 87वां भारतीय वायुसेना दिवस दोनों थे और इस मौके पर भारत को फ्रांस से पहला राफेल जेट मिला। इस दिन मिले पहले राफेल पर रक्षा मंत्री ने ऊं लिखा और नीबू के साथ उसकी पूजा की। यहीं से सारा विवाद शुरू हो गया और कई लोग इसे अंधविश्वास तक करार देने लगे। लेकिन शायद बहुत कम लोगों को मालूम है कि रूस जो भारत का सबसे पुराना रणनीतिक साझीदार है, वहां पर उस एस-400 एयर डिफेंस की पूजा भी हुई थी जो कुछ समय बाद भारत के पास होगा। रूस में भी किसी नए हथियार को शामिल करने से पहले उसकी ईसाई धर्म के मुताबिक पूजा की जाती है।
तीनों सेनाओं में है यह परंपरा
राजनाथ सिंह पर इतना हंगामा हुआ और लोग बिना जाने समझे ही शोर मचा रहे हैं। सेनाओं में यह एक परंपरा के तौर पर है कि जब कोई भी नया अस्त्र शामिल होता है तो विधिवत उसकी पूजा होती है। न सिर्फ हिंदू धर्म के अनुसार बल्कि मुसलमान, सिख और ईसाई धर्म के मुताबिक अनुष्ठान होते हैं। जुलाई 2016 में जब लाइट कॉम्बेट जेट तेजस की पहली स्क्वाड्रन को शामिल किया गया था तो उस समय भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था। बेंगलुरु स्थित हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के हैंगर में मीडिया की मौजूदगी में सभी धार्मिक अनुष्ठान किए गए। जैन मंत्रों को पढ़ा गया, सिख गुरु की तरफ से अरदास भी हुई और एक मौलाना की तरफ से दुआ भी पढ़ी गई। विशेषज्ञों की मानें तो नए सैटेलाइट्स को भी मंदिर के बाद श्रीहरिकोटा में लॉन्चिंग सेंटर तक लेकर जाया जाता है।
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एंटोनी की पत्नी ने आईएनएस विक्रांत पर बांधा क्रॉस
साल 2013 में भी एक ऐसी ही घटना देखने को मिली थी। उस समय रक्षा मंत्री एके एंटोनी थे और आईएनएस विक्रांत को कोचिन शिपयार्ड पर लॉन्च किया गया था। एंटोनी की पत्नी एलिजाबेथ एंटोनी की तरफ ईसाई धर्म के अनुसार आईएनएन विक्रांत की पूजा की गई। एलिजाबेथ ने नारियल फोड़ा और एक छोटा सा क्रॉस आगे की तरफ लगाकर इसे बैपटाइज किया था। इसके बाद आधिकारिक तौर पर वॉरशिप को लॉन्च किया गया।
रूस में होती है मिसाइलों तक की पूजा
सिर्फ भारत में हथियारों की पूजा होती है, ऐसा नहीं है। रूस, जो भारत को सबसे ज्यादा हथियार निर्यात करता है, वहां पर भी इसी तरह की धार्मिक क्रिया के बाद वेपेंस को युद्ध के लिए भेजा जाता है। रूस में कुछ वर्ष पहले जब विक्ट्री डे परेड के दौरान जब एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम और फाइटर जेट सुखोई-35 को दुनिया के सामने लाया गया था तो उस समय रूस के ऑर्थडॉक्स चर्च के फादर ने इसी तरह की परंपरा को निभाया था। उन्होंने एस-400 पर पवित्र जल छिड़का था और प्रार्थना पढ़ी थी। इसके अलावा जब सीरिया पर हवाई हमले होने वाले थे तो उस समय फाइटर जेट्स से लेकर परमाणु पनडुब्बी, असॉल्ट राइफल्स को भी आर्शीवाद दिया गया था।
द्वितीय विश्व युद्ध में भी हुआ ऐसा
कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रूस में कुलिकोवो की लड़ाई जीतने के लिए टैंकों और तलवारों को होली वॉटर और प्रार्थना के जरिए अजेय बनाया गया था। वहीं 1990 में रूस के पादरियों ने कुछ गैंगस्टर्स की पिस्तौलों को शुद्ध किया था। हालांकि रूस में अब इस धार्मिक अनुष्ठान पर फिर से विचार किया जा रहा है। रशियन ऑर्थडॉक्स चर्च की ओर से एक ड्रॉफ्ट तैयार किया गया है। एक कमीशन की ओर से तैयार इस मसौदे में चर्च लॉ के तहत सैनिकों की पूजा का प्रस्ताव दिया गया है न कि किसी मिलिट्री उपकरण का।