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सुप्रीम कोर्ट तो छोड़िए, देश के किसी भी हाईकोर्ट में एक भी दलित जज नहीं

By Amit J
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस उदय यू ललित ने जस्टिस आदर्श कुमार गोयल के साथ मिलकर पिछले माह एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के आदेश दिए थे। उसके बाद एससी-एसटी एक्ट 1989 में संशोधन के खिलाफ दलितों का आंदोलन सोमवार को पूरे देश ने देखा और उसका परिणाम भी दिख गया। आंदोलन से पनपी हिंसा, आगजनी और 12 की मौत के बाद केंद्र सरकार ने रिव्यू पिटिशन डाल दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट अभी भी अपने फैसले पर कायम है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इस एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है और जातिवाद कम होने की बजाय बढ़ रहा है। सोचने वाली बात यह है कि भले ही इस फैसले में किसी एससी-एसटी जज की भागीदारी नही थी, लेकिन पिछले कई सालों से सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश के किसी भी हाईकोर्ट में एक भी एससी समुदाय से जज नहीं है।

केजी बालकृष्णन थे अंतिम दलित जज

केजी बालकृष्णन थे अंतिम दलित जज

पिछले आठ साल मे सुप्रीम कोर्ट में एक भी जज एससी समुदाय से नहीं बन पाया है। यहां तक कि पूरे देश के 24 हाई कोर्ट में एक दलित चीफ जस्टिस नहीं है। आठ साल पहले 11 मई 2010 को केजी बालकृष्णन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में रिटायर्ड हुए थें। उनके रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक भी जज दलित समुदाय से नहीं बन पाया।

सरकार मांग चुकी है दलित जज के नाम

सरकार मांग चुकी है दलित जज के नाम

द प्रिंट वेबसाइट की खबर के मुताबिक, पूर्व सीजेआई बालाकृष्णन ने जब उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि वे हायर जुडिशरी में रिजर्वेशन की मांग का समर्थन नहीं करते है, लेकिन अगर वे (दलित) काबिल है तो नियुक्ति में भेदभाव नहीं होनी चाहिए। वहीं, कानून मंत्रालय ने भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को लेटर लिखकर कई बार कहा है कि वे दलित जजों के नाम को भी आगे करें, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। हायर जुडिशियल नियुक्ति में फिलहाल कोई आरक्षण नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर कायम

सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर कायम

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अपने एक फैसले में राजीव गांधी के दौर वाले एससी-एसटी 1989 एक्ट पर यह कहकर स्टे लगा दिया था कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है और साथ में यह भी कहा था कि इससे जातिवाद बढ़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक, तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी जाए। जिसके बाद दलितों ने 1 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट अभी भी अपने फैसले पर कायम है।

यह भी पढ़ें: एससी/एसटी एक्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का तुरंत बदलाव करने से इनकार

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English summary
Not even a single Dalit judge from Apex to High Courts of India
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