2019 छोड़िए 2024 तक भी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे लालू यादव?
चारा घोटाला से जुड़े दो केस में लालू यादव को साढ़े 8 साल जेल की सजा सुनाई जा चुकी है। बुधवार को तीसरे केस में 5 साल की सजा मिलने के बाद ये बढ़कर साढ़े 13 हो गई है।
नई दिल्ली। देवघर कोषागार घोटाला मामले में जेल की सजा काट रहे आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के तीसरे मामले में भी दोषी ठहराते हुए सीबीआई की विशेष अदालत ने 5 साल की कैद और 5 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। जिसके बाद से राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर लालू यादव जेल से कब बाहर आ पाएंगे। कोर्ट का फैसला आने के बाद लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि यह भाजपा और आरएसएस की साजिश है। इसी बीच एक सच्चाई यह भी है कि अगर, लालू को उच्च अदालत से राहत नहीं मिलती है, तो लालू प्रसाद यादव 2019 तो दूर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी शायद ही जनता के बीच जा सकें।
लालू को 12 साल से ज्यादा और जेल में रहना पड़ेगा?
चारा घोटाला से जुड़े दो केस में लालू यादव को साढ़े 8 साल जेल की सजा सुनाई जा चुकी है। बुधवार को तीसरे केस में 5 साल की सजा मिलने के बाद ये बढ़कर साढ़े 13 हो गई है। इसमें से अब तक करीब 1 साल दो महीने लालू जेल में गुजार चुके हैं। यानी तीन केस में ही लालू को रांची विशेष सीबीआई अदालत के फैसले के तहत अभी 12 साल से ज्यादा और जेल में रहना पड़ेगा।
तीन केस में सजा पा चुके लालू के लिए बेल पाना मुश्किल
अगर, लालू यादव को बड़ी अदालत से राहत नहीं मिलती है, तो लालू प्रसाद यादव 2019 तो दूर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी शायद ही जनता के बीच जा सकें। वहीं लालू यादव उम्र के उस पड़ाव में हैं जो राजनीतिक सक्रियता के लिहाज से रिटायरमेंट की तरफ बढ़ रहा है। इससे बड़ा संकट ये है कि कुल 900 करोड़ के चारा घोटाले में लालू के खिलाफ अभी तीन और मामले लंबित हैं। दूसरी तरफ तीन केस में सजा पा चुके लालू के लिए बेल पाना भी कानूनी तौर पर बड़ी मुश्किल चुनौती माना जा रहा है। ऐसे में 69 साल के हो चुके लालू की सक्रियता अब 2019 के लोकसभा चुनाव, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव और उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिले, इसे लेकर आशंकाएं हैं।
कब सामने आया था चारा घोटाला
जनवरी 1996 में पहली बार करीब 950 करोड़ रुपए का चारा घोटाला सामने आया था। जांच में यह सामने आया था कि 1990 के दशक में सरकारी ट्रेजरी से चारा सप्लाई के नाम पर ऐसी कंपनियों को पैसे जारी कर दिए गए जिनका अस्तित्व था ही नहीं था। उस वक्त बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव थे। उन पर आरोप था कि उन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी ट्रेजरी से करोड़ों की रकम निकलवाई। यही नहीं उन्होंने मामले की इन्क्वायरी के लिए आई फाइल को भी अटकाए रखा।
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