महाराष्ट्र: क्या BJP ने BMC मेयर चुनाव में इस वजह से नहीं उतारा उम्मीदवार ?
नई दिल्ली- 22 तारीख को होने वाले मुंबई के बीएमसी मेयर चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की मियाद सोमवार शाम 6 बजे खत्म हो गई, लेकिन शिवसेना से गठबंधन टूटने के बावजदू भी भाजपा ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। पार्टी ने तर्क दिया है कि उसके पास पार्षदों का संख्या बल नहीं था, इसलिए पार्टी ने प्रत्याशी नहीं उतारा है। लेकिन, क्या सियासत में विपक्ष कभी भी इतनी आसानी से हार मानता है? जबकि, शिवसेना और भाजपा के पार्षदों की संख्या में बहुत ज्यादा फर्क भी नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि एनडीए से निकल जाने के बावजूद शिवसेना को मेयर चुनाव में केकवॉक की परिस्थितियां पैदा करने के मायने क्या हैं? क्या बीजेपी के इस फैसले के पीछे कोई और बात है। या फिर वो जो कह रही है, वही सोलह आने सच है। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि इसके पीछे की संभावित वजहें क्या हो सकती हैं?
हमारे पास जरूरी संख्या नहीं है- बीजेपी
आधिकारिक तौर पर बीजेपी ने यही कहा है कि मेयर चुनाव में उसने अपना उम्मीदवार इसीलिए नहीं उतारा क्योंकि, उसके पास पार्षदों की संख्या पूरी नहीं है। महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार के पूर्व मंत्री आशीष शेलार के मुताबिक, 'बृहन्मुंबई महानगरपालिका में हमारी ताकत समान है, लेकिन हमारे पास आवश्यक संख्या नहीं है। हम विरोधी विचारधाराओं के साथ अनैतिक गठबंधन नहीं करेंगे। लेकिन, 2022 में हम अपनी ताकत और संख्या के दम पर मुंबई के मेयर का पद जीतेंगे.....'बता दें कि सोमवार शाम 6 बजे नामांकन दाखिल करने का वक्त खत्म हो गया, लेकिन बीजेपी ने 2017 के मेयर चुनाव की तरह ही अपना प्रत्याशी इस बार भी नहीं उतारा। अलबत्ता तब बीजेपी का शिवसेना के साथ गठबंधन था, लेकिन अभी दोनों पार्टियां अलग हो चुकी हैं।
बीएमसी मेयर चुनाव में सियासी समीकरण
बीएमसी मेयर चुनाव में आखिरी समय में कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला कर लिया। जबकि, पार्टी की ओर से आखिरी वक्त तक कहा जा रहा था कि उसके तीन से चार उम्मीदवार तैयार हैं और दिल्ली से सिग्नल मिलते ही नामांकन दाखिल कर दिया जाएगा। उधर एनसीपी पहले ही कह चुकी थी कि वह मेयर चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेगी। इसका मतलब साफ है कि शिवसेना के प्रत्याशी की जीत पक्की हो चुकी है। 227 पार्षदों वाली बीएमसी में शिवसेना के पास 94, भाजपा के पास 83, कांग्रेस के पास 29 और एनसीपी के पास 8 पार्षद हैं। जबकि, 5 स्थान अभी खाली हैं। बता दं कि बीएमसी मेयर का कार्यकाल सिर्फ 2.5 साल का ही होता है और शिवसेना के मौजूदा मेयर विश्वनाथ महादेश्वर कार्यकाल पिछले सितंबर में ही समाप्त हो चुका था। लेकिन, विधानसभा चुनावों की वजह से उनका कार्यकाल 21 नवंबर तक बढ़ाया गया है।
सहानुभूति बटोरने के चलते चुनाव नहीं लड़ी बीजेपी?
2017 के मेयर चुनाव में भाजपा ने शिवसेना के उम्मीदवार और मौजूदा मेयर विश्वनाथ महादेश्वर का समर्थन किया था। लेकिन, इसबार बीजेपी चाहती तो अपना प्रत्याशी उतारकर शिवसेना के खिलाफ मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा सकती थी। लेकिन, अगर शिवसेना की ओर से गठबंधन तोड़े जाने के बावजूद बीजेपी ने उसे 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बजट वाली एशिया के सबसे बड़े निगमों में से एक और कई छोटे राज्यों से ज्यादा बजट वाली बीएमसी मेयर के लिए केकवॉक दिया है तो यह बिना वजह नहीं हो सकता। इसके दो कारण हो सकते हैं। पहला तो ये कि बीजेपी अभी भी महायुति के समर्थकों को संदेश देना चाहती है कि विलेन शिवसेना ही है, जिसने महाराष्ट्र की जनता के मैनडेट का अपमान किया है। ताकि, सहानुभूति उसके पक्ष में बरकरार रहे। दूसरा, बीजेपी को अभी भी ये उम्मीद है कि कांग्रेस-एनसीपी के साथ शिवसेना की सियासी गाड़ी ज्यादा दिनों तक खिंच नहीं सकती और आखिरकार उसे उसके खेमे में लौटकर आना ही पड़ेगा।
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