उत्तर कोरिया ने टॉप भारतीय वैज्ञानिकों सहित इस न्यूक्लियर प्लांट को बनाया निशाना
तमिलनाडु। दक्षिण कोरिया के एक गैर लाभकारी संगठन ने सबूतों को साझा करते हुए इस बात का दावा किया है कि तमिलनाडु के कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट (केएनपीपी) पर हुआ मालवेयर अटैक उत्तर कोरिया ने किया है। इशू मेकर्स लैब (आईएमएल) नाम के इस संगठन ने इस बात का भी दावा किया है कि उत्तर कोरिया के हैकरों ने कई वरिष्ठ भारतीय न्यूक्लियर वैज्ञानिकों को भी निशाना बनाया है।
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इनमें परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व चेयरमैन और पूर्व बीएआरसी निदेशक अनिल काकोडकर और परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एसए भारद्वाज का नाम भी शामिल है। इन्हें मालवेयर-लेसड ईमेल के जरिए निशाना बनाया गया था।
संगठन ने क्या कहा?
संगठन ने दावा करते हुए बताया है कि हैकरों ने इस काम के लिए उत्तर कोरिया के कंप्यूटर का इस्तेमाल किया है। इस कंप्यूटर का इस्तेमाल केवल उत्तर कोरिया में ही किया जाता है। हैरानी की बात तो ये है कि ये लोग मालवेयर भरे मेल्स के जरिए भारत के न्यूक्लियर एनर्जी क्षेत्र में किसी से भी संपर्क कर सकते हैं। हैकर्स के आईपी एड्रेस से पता चला है कि वो ये सब राजधानी प्योंगयांग से संचालित कर रहे थे।
क्या है असली मकसद?
अब सबके मन में ये सवाल उठना लाजमी है कि जिस उत्तर कोरिया का अमेरिका के साथ केवल परमाणु हथियारों को लेकर विवाद है, वो आखिर भारत के इस क्षेत्र को ही क्यों निशाना बना रहा है। इस मामले में आईएमएल का कहना है कि मालवेयर अटैक करने का मुख्य मकसद जासूसी करना था।
आईएमएल ने ट्वीट कर कहा है, 'अब उत्तर कोरिया थोरियम पर आधारित न्यूक्लियर पावर में रुचि ले रहा है। ताकि यूरेनियम आधारित न्यूक्लियर पावर को हटाया जा सके। वहीं भारत थोरियम आधारित न्यूक्लियर पावर तकनीक में काफी आगे है। बीते साल से उत्तर कोरिया के हैकर इस तकनीक से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए साइबर हमला कर रहे हैं।'
इस घटना पर परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रवक्ता रविशंकर का कहना है कि वह मामले की गंभीरता को देखते हुए पहले इन ट्वीट्स की प्रमाणिकता की जांच करेंगे। इसके बाद ही कुछ कह पाएंगे।
आईएमएल के संस्थापक ने क्या कहा?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले पर आईएमएल के संस्थापक साइमन चोई का कहना है कि वह 2008 से उत्तर कोरिया के हैकरों पर नजर रख रहे हैं। जिन्होंने भारत में साइबर हमला किया उनपर भी उनकी नजर थी। चोई का कहना है कि उन्होंने अप्रैल माह में भी इन हैकरों को लेकर एक ट्वीट किया था।
इस संगठन का कहना है कि उत्तर कोरिया का किमसुकी समूह अडवांस हैवी वाटर रिएक्टर (एएचडब्लूआर) की तकनीक और डिजाइन को चुराने की कोशिश कर रहा था। ये वही तकनीक है जिसका भारत इस्तेमाल करता है। इस तकनीक में थोरियम को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। भारत में थोरियम का भंडार है और यही वजह है कि भारत की न्यूक्लियर ताकत बढ़ाने में ये तकनीक काफी महत्वपूर्ण है।
ये संगठन 31 अक्टूबर से लगातार खुलासे कर रहा है। इससे पहले न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने कहा था कि कंपनी के सिस्टम में मालवेयर की सूचना सही पाई गई है। फिलहाल मामले की जांच परमाणु ऊर्जा विभाग कर रहा है।
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