NPR की बैठक में राज्यों ने उठाए सवाल, कहा- 'अपनी जन्मतिथि याद नहीं रहती माता-पिता की कौन बताएगा?'
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2020 की जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर विचार विमर्श करने के लिए शुक्रवार को एक बैठक बुलाई थी। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने की। बैठक में राय के अलावा केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और सभी राज्यों के जनगणना निदेशक और मुख्य सचिव शामिल रहे। इस दौरान गैर भाजपा राज्यों ने कहा कि 'देश में रहने वाले कई लोगों को अपनी जन्मतिथि तक पता नहीं होती, ऐसे में माता-पिता की कौन बताएगा?'
आंकड़ों का इस्तेमाल कैसे होगा?
ये बैठक नई दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में बुलाई गई थी। इस दौरन नित्यानंद राय ने कहा कि जनगणना 2021 में राज्यों की भूमिका काफी अहम है। उन्होंने ये भी कहा कि जनगणना में जुटाए गए आंकड़ों का इस्तेमाल जरूरतमंद लोगों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने के लिए किया जाएगा। इस बैठक में राजस्थान के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने सवाल उठाते हुए कहा कि 'लोगों से उनके माता-पिता की जन्मतिथि और जन्मस्थान पूछना अव्यवहारिक है। इस देश के लोगों को अपना जन्मदिन याद नहीं रहता वह अपने माता-पिता की जन्मतिथि के बारे में कैसे बताएंगे?'
ओडिशा से आए प्रतिनिधियों ने उठाया सवाल
जन्मतिथि से जुड़े सवाल को बैठक में सबसे पहले ओडिशा से आए प्रतिनिधियों ने उठाया था। जिसके बाद अन्य गैर भाजपा शासित राज्यों ने भी यही सवाल उठाया। हालांकि इस मामले में गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इसपर राज्यों को विसतृत जवाब दिया गया है, जिससे वे संतुष्ट हैं।
इस साल शुरू होगी प्रक्रिया
बता दें एनपीआर (National Population Register) अपडेट करने की प्रक्रिया इस वर्ष शुरू होगी। इससे पहले साल 2010 में डाटा एकत्रित किया गया था। ये काम उस वक्त हुआ जब 2011 की जनगणना के लिए आंकड़े जुटाए गए थे। अधिकारियों का कहना है कि 2015 में घर-घर जाकर किए गए सर्वेक्षण और अपडेट के लिए डाटा डिजिटलाइजेशन का काम पूरा हो गया है। एनपीआर में ऐसे लोगों का लेखा जोखा होगा, जो किसी इलाके में 6 महीने या उससे अधिक समय से रह रहे हों।
नागरिकों के लिए समग्र डाटाबेस
एनपीआर यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता (नागरिकों का रजिस्ट्रेशन और राष्ट्रीय पहचान पत्र का मसला) नियम 2003 के तहत स्थानीय स्तर पर यानी उपजिला, जिला और राज्य स्तर पर बनाया जाएगा। इनमें देश के हर नागरिक के लिए नाम दर्ज कराना अनिवार्य होगा। एक तरह से यह देश में रह रहे नागरिकों के लिए समग्र डाटाबेस होगा। जिसे जनसांख्यिकीय और बायोमीट्रिक आधार पर बनाया जाएगा।
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