यूपी: अतिंम चरण के चुनाव में कांग्रेस के तीन कैंडिडेट का नामाकंन हुआ रद्द
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने अंबेडकर नगर, बांसगांव और बलिया में कांग्रेस उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को विभिन्न आधारों पर खारिज कर दिया है। जिससे इन तीनों सीटों पर अब सपा-बसपा-रालोद गठबंधन और भाजपा के बीच सीधी टक्कर है। यूपी में अतिंम दो चरणों में 27 सीटों पर मदतान होना है। कांग्रेस पार्टी ने सभी 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस ने अंबेडकर नगर से उम्मेद सिंह निषाद को उम्मीदवार बनाया था। उम्मेद निषाद पूर्व सांसद फूलन देवी के पति हैं। जो हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्होंने बताया कि, यह मेरे खिलाफ एक साजिश है। मुझे अपने वकीलों पर पूरा भरोसा है। यदि कोई कॉलम खाली था, तो वे मुझे सूचित कर सकते थे और मैं इसे भर सकता था। उम्मेद सिंह ने ईटी को बताया, मैंने कॉलम 'संयुक्त परिवार' में 'लागू नहीं' होने के कारण इसे अस्वीकार कर दिया, क्योंकि परिवार के पांच सदस्य एक दूसरे कॉलम में थे।
निषाद के पर्चे में कई कमियां पाई गईं थी
निषाद के पर्चे में कई कमियां पाई गईं थी। उन्होंने शपथ पत्र में कालम संख्या 3, 5 और 6 खाली छोड़ दिया था। उन्होंने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। वहीं बलिया के उम्मीदवार अमरजीत यादव ने कहा कि, वाराणसी में पीएम मोदी के नामांकन पत्रों में कई त्रुटियां हैं, लेकिन मेरा रद्द कर दिया गया। दरअसल उन्होंने आय के कॉलम को खाली छोड़ दिया था। चुनाव आय़ोग ने बताया कि, प्रत्याशी द्वारा दाखिल पर्चे की जांच की गई। इन्होंने पर्चे के इनकम वाले कालम में लागू नहीं होना दर्शाया था। ऐसे में काफी पड़ताल व चुनाव आयोग की नियमावली को देखने के बाद कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी का पर्चा खारिज कर दिया गया।
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अमरजीत हाल ही में सपा छोड़ कांग्रेस में आए थे
कांग्रेस के एक सूत्र के अनुसार, पार्टी ने बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी को सीट आवंटित की थी। नामांकन से एक दिन पहले पार्टी को यह पता चला था कि यह सीट कांग्रेस को आवंटित की गई थी। जिसके बाद अमरजीत यादव ने जल्दबाजी में अपना नामांकन आखिरी दिन दाखिल किया था। अमरजीत सिंह यादव हाल ही में समाजवादी पार्टी को छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे। बांसगांव में, कांग्रेस ने सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी कुश सौरभ को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में भी चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था।सौरभ ने बताया कि, नामांकन के दिन मुझे बताया गया कि सब कुछ ठीक है। अगले दिन मुझे एक भेजा गया। जिसमें बताया गया कि मैंने संगठन (सरकार) का 'अनापत्ति प्रमाण पत्र' जमा नहीं किया था।
मुझे बिना बताए मेरा बताए मेरा पर्चा खारिज कर दिया
उन्होंने बताया कि, मैं 31 दिसंबर, 2018 को सेवानिवृत्त हो गया था। मुझे ग्रेच्युटी मिल चुकी है और नियमित रूप से पेंशन प्राप्त कर रहा हूं। अगर बकाया होता तो मुझे पेंशन कैसे मिलती। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह कहते हुए एक हलफनामा दायर किया और उनके नामांकन के तीन दिन बाद 29 अप्रैल को रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब दिया। 30 अप्रैल को, मैं शाम 4 बजे तक एडीएम कार्यालय में था और कहा गया था कि सब कुछ ठीक है। मेरे वकील शाम 7 बजे तक वहां थे और कुछ भी नहीं हुआ। हालांकि, रात में, उन्होंने मीडिया को सूचित किया कि मेरा नामांकन खारिज कर दिया गया था। मुझे भी सूचित नहीं किया गया था। कुश ने बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने उनकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
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