गाड़ी चेकिंग के नाम पर बोनट पर डंडा मारने से लेकर गौरव की मौत तक की पूरी कहानी, असल में हुआ क्या था?
नई दिल्ली- दिल्ली से सटे नोएडा में 34 साल का एक युवक देखते ही देखते सड़क पर बेसुध होकर गिर पड़ा। आरोप है कि गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस ने उसके साथ वाहन चेकिंग के नाम पर बदसलूकी की जिसके बाद उसने हार्ट अटैक की वजह से दम तोड़ दिया। जिस वक्त देश की सबसे चौड़ी एक्सप्रेसवे पर यह हादसा हुआ, गौरव नाम के उस युवक के माता-पिता भी उसके साथ गाड़ी में ही मौजूद थे। आरोपों के मुताबिक सबसे दिल झकझोर देने वाली बात ये है कि देश के सबसे ज्यादा व्यस्त हाइवे में से एक पर जब वह युवक ट्रैफिक पुलिस वाले के सामने बेहोश होकर गिर रहा था, तब वह मदद करने की बजाय उसे मरता हुआ छोड़कर भाग गया।
अंडरपास से निकलते ही मौत सामने आ खड़ी हुई
घटना रविवार शाम करीब साढ़े छह बजे की है। 34 वर्षीय गौरव शर्मा यूपी 16 एसी 0290 नंबर की अपनी मारुति रिट्ज कार से नोएडा से गाजियाबाद के इंदिरापुरम में अपने रिश्तेदार के यहां जा रहे थे। उनके साथ कार में अगली सीट पर उनके पिता मूलचंद शर्मा और पीछे की सीट पर उनकी मां भी बैठी थीं। नोएडा के सेक्टर-52 स्थित शताब्दी विहार के अपने घर से गौरव सेक्टर 62 अंडरपास तक बड़े ही सुकून से पहुंचे। उन्होंने नोएडा से गाजियाबाद को जोड़ने वाले सेक्टर 62 अंडरपास को भी आराम से क्रॉस कर लिया था। लेकिन, जैसे ही उससे निकलकर एनएच-24 पर पहुंचे और सीआईएसएफ वाली सड़क की ओर गाड़ी बढ़ाई, उनकी मौत सामने आकर खड़ी हो गई।
बिना रुके बोनट पर डंडे मारने लगा पुलिस वाला
एनएच पर आते ही वहां मौजूद ट्रैफिक पुलिस वाले ने उनकी कार की बोनट पर डंडे बरसाने शुरू कर दिए। उनकी कार तेज रफ्तार ट्रैफिक में सड़क के बीचों-बीच चल रही थी। लेकिन, पुलिस वाला बोनट पर डंडा बरसाता हुआ उनसे गाड़ी के पेपर दिखाने की मांग कर रहा था। पेपर दिखाने के लिए उन्हें कार को साइड में करना जरूरी था, लेकिन पुलिस वाला इसके लिए भी वक्त देने को तैयार नहीं हो रहा था। उसका डंडा चलता रहा और वह जोर-जोर से चिल्लाता रहा। किसी तरह से गौरव ने गाड़ी साइड में खड़ी की और पुलिस वाले के रवैए से बेहद परेशान होकर पेपर दिखाने के लिए गाड़ी से कदम बाहर रखा। वह पुलिस वाले से शायद बहुत कुछ कहना चाह रहे थे। वह उसके व्यवहार से बहुत परेशान हो गए थे। लेकिन, गाड़ी से बाहर निकलते ही वह लड़खड़ा कर गिर पड़े। तबतक उनके पिता ड्राइवर की बगल वाली सीट पर बैठे थे। उन्हें एक राहगीर ने बताया कि उनका बेटा तो गिरा पड़ा है।
गौरव को दम तोड़ता देख पुलिस वाला भाग गया
जब वह गाड़ी से उतरकर बेटे के पास पहुंचे तो वह बेसुध पड़े थे और डंडा बरसा रहा पुलिस वाला वहां से फरार हो चुका था। 65 वर्षीय मूलचंद शर्मा को गाड़ी चलाना नहीं आता। उन्होंने किसी राहगीर से मदद मांगी और अपने बेटे को बेसुध हालत में लेकर फोर्टिस अस्पताल पहुंचे। वहां पर गौरव को गाड़ी में ही चेक किया गया और उसे एडमिट करने से इनकार कर दिया। वहां से फिर वे लोग किसी तरह से गौरव को लेकर कैलाश अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। गौतम बुद्ध नगर के एसएसपी वैभव कृष्ण ने डॉक्टरों की सूचना के आधार पर बताया है कि गौरव डायबिटिक थे और उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है। उन्होंने इन आरोपों से भी इनकार किया है कि गौरव के साथ पुलिस वाले ने दुर्व्यवहार किया था। बहरहाल, कागजी खानापूर्ति करते हुए नोएडा पुलिस ने घटना की सूचना गाजियाबाद पुलिस को जरूर दे दी है, क्योंकि जिस जगह पर गौरव के साथ वह वाक्या हुआ, वह गाजियाबाद में आता है।
इंसाफ मांग रहा है परिवार
गौरव गुरुग्राम की एक सॉफ्टवेयर कंपनी के मार्केटिंग विभाग में काम करते थे। उनकी ताशी नाम की 5 साल की एक बेटी है। गौरव के भाई वैभव ने दावा किया है उन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। गौरव के पिता मूलचंद शर्मा ने भी कहा है कि "मुझे, मेरे बड़े भाई को या हमारे परिवार में किसी को भी हार्ट अटैक और डायबिटिक का केस नहीं है।" लेकिन, सच्चाई ये है कि गौरव अब इस दुनिया में नहीं हैं। परिवार वालों को लगता है कि गौरव के साथ पुलिस वाले ऐसा सलूक नहीं करते तो उनकी मौत नहीं होती। इसलिए, वे उनके लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं।
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