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अमित शाह के अलावा किसी में नहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को संभालने का दम

By Ajay
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[अजय मोहन] हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 88.75 प्रतिशत अंक लाने वाले अमित शाह को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने का फैसला कर लिया गया है। औपचारिक ऐलान जल्द हो जायेगा। इस फैसले के बाद तमाम खबरें चलने लगीं, कि चूंकि अमित शाह मोदी के करीबी हैं, इसलिये उन्हें पार्टी का सबसे बड़ा पद सौंपा जा रहा है, जबकि सच इससे कहीं परे है। जी हां सच तो यह है कि भाजपा में अमित शाह के अलावा किसी में इतना दम नहीं है, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाल सके।

ऐसा क्यों है, यह जानने के लिये सबसे पहले आपको आरएसएस के खेमे में चलना होगा। बताया जाता है कि संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन भागवत जेपी नड्डा को अध्यक्ष पद देना चाहते थे, लेकिन अन्य सदस्यों की सहमति नहीं बनी इसलिये नड्डा की जगह शाह का नाम फाइनल करना पड़ा। अब सहमति क्यों नहीं बनी उसके पीछे सबसे बड़ा कारण आने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं। चुनावी पटल पर नड्डा का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है, जबकि शाह ने हाल ही में यूपी में अपना लोहा मनवाया है। (अध्यक्ष नहीं सीईओ बनेंगे अमित शाह)!

इस वक्त क्यों संवेदनशील है राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद

लोकसभा चुनाव के पहले देश भर में मोद की लहर थी, लिहाजा अगर राजनाथ सिंह की जगह कोई और अध्यक्ष होता तो भी भाजपा की जीत पक्की थी, लेकिन अब बात अलग है, लहर थम चुकी है और धाराएं विपरीत दिशा में चलने लगी हैं। रेल का किराया बढ़ने के बाद कहीं न कहीं लोगों की हलक में कड़वी दवा फंस चुकी है। चार राज्यों- महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली (अगर चुनाव हुए तो) में इस दवा को पीना है या उगलना है, यह वहां की जनता तय करेगी। ऐसे में इन विधानसभा चुनावों में भाजपा को अच्छी संख्या में सीटें जिताना बेहद कठिन काम है और इस काम को कर दिखाने का दम सिर्फ अमित शाह में ही है।

दोस्त अमित के लिये पीएम के फैसले

अगले तीन महीने तक रसोई गैस, केरोसीन और पेट्रोल के दाम नहीं बढ़ाये जाने का फैसला भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे ही नहीं लिया है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण दोस्त अमित शाह हैं। तीन महीने तक दामों के नहीं बढ़ने का मतलब अमित शाह को मोदी ने 90 दिन दिये हैं, चारों राज्यों में भाजपा की साख मजबूत करने के लिये। अगर शाह इन 90 दिनों को भुनाने में कामयाब हो गये तो उनकी सफलता के तख्त पर चार और राज्य जुड़ सकते हैं।

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English summary
Other than Amit Shah, no body in Bhartiya Janta Party is having courage to hold the responsibility of National President Post in party?
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