अभिजीत बनर्जी: राहुल गांधी की NYAY का खाका तैयार करने में की थी मदद, नोटबंदी पर उठाए थे सवाल
नई दिल्ली: अभिजीत बनर्जी को साल 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है। नोबेल पुरस्कार के लिए चुने गए अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने साल 2016 में की गई नोटबंदी की तीखी आलोचना की थी। गौरतलब है कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल चर्चित 'NYAY'स्कीम की रूपरेखा तय की थी। उस समय उन्होंने तब मोदी सरकार के नोटंबदी के 50 दिन पार होने पर कहा था कि मेरे समझ में नहीं आ रहा कि नोटंबदी के बाद 2000 रुपये का नोट जारी करने के पीछे क्या लॉजिक है।
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नोटबंदी पर उठाए थे सवाल
इस सवाल पर कि ये नोटबंदी का मुख्य उद्देश्य काले धन से निपटना था, जो बाद में कैसलेश या कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था में तब्दील हो गया। उन्होंने कहा कि कैशलेश लंबे समय के लिए वांछनीय कदम है, इससे भ्रष्टाचार को कम करने में कुछ मदद मिल सकती है, लेकिन अंत में कानून में बदलाव किए बिना उपाय नहीं है। नोटबंदी से कौन से वर्ग को फायदा होगा और नुकसान होगा, इस पर उनका कहना था कि ये इस पर निर्भर करता है कि आप लाभ किसे कहते हैं। मुझे लगता है भ्रष्ट अमीर इससे बेहत आहत होंगे। वहीं जिन लोगों ने दर्द सहा होगा उनमें खुशी होगी। अगर 97 फीसदी नकदी वापसी आने के दावे सही है तो अमीरों को इतना दर्द नहीं हुआ होगा।
कांग्रेस प्रवक्ता क्या बोले?
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने ट्वीट कर लिखा कि प्रो. अभिजीत बनर्जी को वर्ष 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिलने पर बहुत बहुत बधाई। हम सभी भारत वासियों के लिए भी यह अत्यंत गर्व की बात है। प्रो बनर्जी ने नोटबंदी की उपयोगिता पर खुलकर सवाल उठाए थे। न्यूनतम आय योजना (NYAY) का प्रारूप बनाने में भी उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है।
अच्छी तरह मिली पहचान
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने कहा कि जो अर्थशास्त्री राहुल गांधी की न्यूनतम आय योजना में शामिल थे, उन्हें अर्थशास्त्र का नोबेल मिलता है। ये इस बात का प्रमाण है कि कि राजनीति और अर्थशास्त्र हमेशा साथ नहीं चलते हैं! अभिजीत बनर्जी ने 'गरीबी अर्थशास्त्र 'पर गहन काम किया है। ये डिजर्व करने वाली पहचान है।
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