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अब कोई मुलायम सिंह यादव को गंभीरता से नहीं लेगा: नज़रिया

अगर मुलायम सिंह यादव महागठबंधन से किनारा नहीं करते तो उनके लिये ये काफ़ी फायदेमंद साबित होता.

वह राजनीतिक रूप से हाशिए पर न होकर विपक्ष की राजनीति में मुख्य भूमिका निभाते और उनके नाम की हर ओर चर्चा होती.

लेकिन, वह उनके राजनीतिक जीवन की पहली सबसे बड़ी ग़लती थी.


By BBC News हिन्दी
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समाजवादी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को 16वीं लोकसभा की आख़िरी कार्यवाही के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी को एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने की शुभकामना दी.

इसके बाद जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण शुरू किया तो उन्होंने भी सपा नेता का शुक्रिया अदा किया.

लेकिन, इस दौरान मुलायम सिंह यादव के बगल में बैठीं सोनिया गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं के चेहरों पर असहजता दिखाई दी.

मुलायम सिंह यादव को भारतीय राजनीति के उन नेताओं में गिना जाता है जिनके हर एक शब्द में राजनीतिक दांव-पेच छिपे होते हैं.

ऐसे में सवाल उठता है कि मुलायम सिंह यादव के मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की कामना करने का मतलब क्या था.

अब मुलायम को गंभीरता से नहीं लेंगे लोग

मुलायम सिंह के इस भाषण के बाद लोग उन्हें गंभीरता से लेना बंद कर देंगे.

क्योंकि जब मुलायम सिंह यादव अपना भाषण दे रहे थे तो एक पल को लगा कि वह नरेंद्र मोदी जी को कह रहे हैं कि आप दोबारा से सीएम बन जाएं.

अगर वो ये बयान देते तो इसका कोई मतलब भी होता क्योंकि ये एक तरह का कटाक्ष होता.

लेकिन ये बात कहना और वो भी तब जबकि वह सोनिया गांधी और चंद्रबाबू नायडु के बगल में बैठे थे.

मुलायम
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मुलायम

अभी तक उनकी हर चाल, उनके हर शब्द में राजनीतिक खेल तलाशते थे लेकिन अब ऐसा नहीं लगता है कि ये उनकी राजनीतिक समझ का नमूना है.

ये भी कहा जा रहा है कि किसी भी लोकसभा की आख़िरी कार्यवाही के दिन इसी तरह की बात की जाती है.

ये सही भी है. इस मौके पर वह कुछ इस तरह कहते - मोदी जी की ये योजना बेहतर है मगर आपने और भी सपने दिखाए थे.

मतलब विपक्ष का नेता अगर अपने आख़िरी भाषण में प्रधानमंत्री को दोबारा पीएम बनने की बात कह दे तो विपक्ष की राजनीति क्या रह जाएगी?

ये सही है कि आख़िरी दिन संसद सदस्यों के बीच दोस्ताना व्यवहार होना चाहिए. यही नहीं, सार्वजनिक मंचों पर भी राजनेताओं के बीच संबंध बेहतर होने चाहिए.

लेकिन, इस दोस्ताना व्यवहार का मतलब ये नहीं है कि वे अपनी राजनीति छोड़कर प्रधानमंत्री को ये शुभकामना देने लगें.



किसको संदेश दे रहे थे मुलायम

मुलायम का ये भाषण सुनकर ये समझ नहीं आता है कि आख़िर वे अपने इस बयान से किसको संदेश दे रहे थे.

क्या वह यादवों को संदेश दे रहे थे या वह कांग्रेस को बता रहे थे कि मोदी ठीक हैं और राहुल नहीं या वह यूपीए को संदेश दे रहे थे.

ये एक बेहद ही अजीब बात थी.

मुलायम सिंह यादव से इससे पहले भी एक भारी चूक हुई थी जब उन्होंने बिहार में महागठबंधन से किनारा कर लिया था.

अगर मुलायम सिंह यादव महागठबंधन से किनारा नहीं करते तो उनके लिये ये काफ़ी फायदेमंद साबित होता.

वह राजनीतिक रूप से हाशिए पर न होकर विपक्ष की राजनीति में मुख्य भूमिका निभाते और उनके नाम की हर ओर चर्चा होती.

लेकिन, वह उनके राजनीतिक जीवन की पहली सबसे बड़ी ग़लती थी.



अखिलेश की राजनीति पर असर

अब सवाल उठता है कि मुलायम सिंह यादव के इस बयान का अखिलेश यादव की राजनीति पर असर पड़ेगा या नहीं.

मैं समझती हूं कि इसका अखिलेश यादव के राजनीतिक समीकरणों पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि कुछ दिनों में कुछ और हो जाएगा और लोग इस टिप्पणी को भूल जाएंगे.

BBC Hindi
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English summary
No one will take Mulayam Singh Yadav seriously Nazeeria
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