नई शिक्षा नीति विवाद पर विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले-कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी
नई दिल्ली: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेश मंत्री बने एस जयशंकर ने रविवार को नई शिक्षा नीति में हिंदी को लेकर चल रहे विवाद पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सभी भाषाओं का सम्मान करती है और किसी पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में त्रिस्तरीय भाषा पर सभी राज्यों से मशविरा कर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार द्वारा लिया जाएगा।
एस जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर एक ड्राफ्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपा गया है। इस पर सार्वजनिक लोगों की राय ली जाएगी। राज्य सरकारों से सलाह ली जाएगी। इसके बाद ही ड्राफ्ट पर कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा। भारत सरकार सभी भाषाओं का सम्मान करती है। कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी।
The National Education Policy as submitted to the Minister HRD is only a draft report. Feedback shall be obtained from general public. State Governments will be consulted. Only after this the draft report will be finalised. GoI respects all languages. No language will be imposed
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) June 2, 2019
शनिवार को भी मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने भी इस पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि स्कूलों में त्रिस्तरीय भाषा प्रणाली के प्रस्ताव पर रिपोर्ट समिति मे मंत्रालय को सौंपी है। ये नीति नहीं है। मसौदे पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया मांगी जाएगी,। ये गलतफहमी है कि यह एक नीति बन गई है। किसी भी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी। वहीं तमिलनाडु में इस मसौदे पर विरोध शुरू हो गया है। मक्कल निधि मय्यम प्रमुख कमल हासन ने कहा कि हिन्दी से मेरा विरोध नहीं है, मैंने कई हिन्दी फिल्मों में काम किया है लेकिन हिन्दी को किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए। विरोध के बाद तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि 2 भाषाओं की नीति का पालन करेंगे और राज्य में सिर्फ़ तमिल और अंग्रेजी ही लागू होगी।
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