हॉकी या किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं
नई दिल्ली: भारत में हॉकी और इसकी दशा को लेकर को लेकर अक्सर देश में बहस छिड़ी रहती है। इसी प्रकार डॉ. आलोक चांटिया ने ग्रीवेंस पर संख्या PMOPG/E/2016/0177353 से 26 मई 2016 को प्रधानमंत्री को लिखा था। उन्होंने हॉकी को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय खेल के दर्जे के संदर्भ में जानकारी लेनी चाही थी। लेकिन 02 अगस्त 2016 को करीब 66 दिन बाद इसे निस्तारित कर दिया गया कि ये ग्रीवेंस नहीं है।
इसके बाद डॉ. आलोक चांटिया ने पीएम को पत्र लिखा था, 'मेरी जानकारी के अनुसार हॉकी को भारत सरकार ने कभी राष्ट्रीय खेल न माना और ना ही ये सरकारी दस्तावेजों में राष्ट्रीय खेल के रूप में दर्ज है। देश में पाठ्य पुस्तकों में पढ़ाया जा रहा है कि हॉकी राष्ट्रीय खेल है। क्या ये एक भारतीय की ग्रीवेंस नहीं है कि वो प्रधानमंत्री के माध्यम से ये जानें कि वास्तव में हॉकी की विधिक स्थिति इस देश में क्या है। य़े राष्ट्रीय खेल है या नहीं है। क्या सही जानकारी प्राप्त करने के लिए अपनी बात को अपने देश के प्रधानमंत्री को लिखना ग्रीवेंस नहीं है। 02 यदि उत्तर देने वाले स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट को ये ग्रीवेंस नहीं लगा तो कम से कम वो ये तो स्पष्ट करता कि वास्तव में इस देश में हॉकी राष्ट्रीय खेल है कि नहीं है। क्या एक भारतीय को सही बात जानने तक का अधिकार नहीं है? मैं जानता हूँ कि आप तक देश की कई बातें नहीं पहुंचती हैं। इसलिए आपसे विनती है कि हॉकी का इस देश में क्या स्टेटस है और उसको राष्ट्रीय खेल माना गया है या नहीं, इस बारे में मुझे भारतीय की समस्या का समाधान करने की कृपा करें।'
इसके जवाब में 26 अप्रैल 2017 को बताया गया कि स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री ने कि हॉकी या किसी अन्य खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं दिया है। किसी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा देने के लिए कोई गाइडलाइन नहीं दी गई है। डॉ. आलोक चांटिया लखनऊ के हैं और श्री जयनारायण पीजी कॉलेज में रीडर हैं। इसके अलावा इग्नू के काउंसिलर भी हैं।