सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा- कोई निर्माण और विध्वंस नहीं होना चाहिए
नई दिल्ली: मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा का मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित था, जिससे संबंधित कई याचिकाओं पर सोमवार को एक साथ सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने जिस तरह से इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई। साथ ही कई अहम निर्देश दिए। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत कई हाईटेक सरकारी इमारतों का निर्माण होगा। विपक्ष भी इसे फिजूलखर्ची बता चुका है।
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सुनवाई के दौरान याचिककर्ता लगातार इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे। उनका कहना है कि लुटियन क्षेत्र में 86 एकड़ जमीन को इस योजना के तहत लिया जाएगा। ऐसे में लोग खुली और हरी भरी जगह से वंचित हो जाएंगे। साथ ही बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई भी होगी। वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार शुरू से कोर्ट में कहती आ रही है कि ये प्रोजेक्ट नई संसद और सरकारी दफ्तरों के लिए है, ऐसे में किसी को इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में कोई निर्माण, विध्वंस या पेड़ों की कटाई नहीं होगी।
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क्यों
शुरू
हुआ
प्रोजेक्ट?
दरअसल
अंग्रेजों
ने
भारतीय
संसद
भवन
का
निर्माण
कराया
था,
जिसका
उद्घाटन
1927
में
हुआ।
ये
इमरात
7
साल
बाद
अपना
100
साल
पूरा
कर
लेगी।
साथ
ही
वर्तमान
जरूरत
के
हिसाब
से
कई
सुविधाएं
इसमें
नहीं
हैं।
ऐसे
में
केंद्र
सरकार
की
ओर
से
सेंट्रल
विस्टा
प्रोजेक्ट
शुरू
किया
गया
है।
जिसके
तहत
संसद
और
नए
कार्यालयों
का
निर्माण
किया
जाएगा।
उम्मीद
जताई
जा
रही
है
कि
नई
इमारतें
250
साल
तक
चलेंगी।
नई
इमारतों
के
अलावा
केंद्रीय
सचिवालय,
राष्ट्रपति
भवन,
इंडिया
गेट
समेत
तीन
किलोमीटर
के
इलाके
को
नया
लुक
भी
दिया
जाएगा।