क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

15 साल बाद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, तब वाजपेयी थे, अब मोदी

15 साल बाद ससंद में अविश्वास प्रस्ताव, 2003 में वाजपेयी

By Rizwan
Google Oneindia News

नई दिल्ली। बुधवार से शुरू हुए संसद के मॉनसून सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसे लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मंजूर कर लिया। शुक्रवार को लोकसभा में इस पर बहस होगी। 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव के 15 साल बाद यह पहला मौका है जब केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को मंजूर किया गया है।

2003 में लाया गया था अविश्वास प्रस्ताव

2003 में लाया गया था अविश्वास प्रस्ताव

2003 में जब केंद्र में एनडीए की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थी, तब उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए दो बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया। 1999 में वाजपेयी की सरकार एक वोट से गिर गई थी, 2003 में वो सरकार बचाने में कामयाब रहे थे। उनके बाद 2004 से 2014 तक केंद्र में यूपीए की सरकार रही और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे। मनमोहन सिंह को कभी अविश्वास प्रस्ताव का सामना नहीं करना पड़ा। बीते चार साल से केंद्र में एनडीए की सरकार है।

1963 में पहली बार पेश हुआ अविश्वास प्रस्ताव

1963 में पहली बार पेश हुआ अविश्वास प्रस्ताव

पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाया गया था। वह साल था अगस्‍त 1963 और अविश्‍वास प्रस्‍ताव पेश करने वाले नेता थे जेबी कृपलानी। पहला अविश्‍वास प्रस्‍ताव लोकसभा में पास नहीं हो सका था, क्‍योंकि इसके पक्ष में केवल 62 वोट ही पड़े थे, जबकि विरोध में मतलब सरकार के समर्थन में 347 वोट पड़े थे। 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार अविश्‍वास प्रस्‍ताव के कारण गिर गई थी।

भारतीय संसद के अब तक इतिहास में सबसे ज्‍यादा 15 बार इंदिरा गांधी के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाया गया। लाल बहादुर शास्‍त्री की सरकार के समय 3 बार, नरसिम्‍हा राव सरकार के समय 3 बार। वाजपेयी के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव पेश हुए। मोदी सरकार के 4 साल के कार्यकाल में यह पहला अविश्‍वास प्रस्‍ताव है।

तय हार के बावजूद विपक्ष इसलिए लेकर आया मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्तावतय हार के बावजूद विपक्ष इसलिए लेकर आया मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

क्या है अविश्वास प्रस्ताव

क्या है अविश्वास प्रस्ताव

अविश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की तरफ से रखा जाता है। यह केवल लोकसभा में ही रखा जा सकता है, राज्यसभा में नहीं। जब मुख्‍य विपक्षी दलों को लगता है कि सरकार के पास अब बहुमत नहीं रह गया है तब इस प्रस्‍ताव को रखा है। अविश्‍वास प्रस्‍ताव को पेश करने के लिए कम से कम 50 लोकसभा सदस्‍यों के समर्थन की जरूरत होती है। इसके बाद अविश्‍वास प्रस्‍ताव लोकसभा अध्‍यक्ष के सामने पेश किया जाता है।

स्‍पीकर की मंजूरी के 10 दिनों के अंदर अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा होती है। स्‍पीकर अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर वोटिंग कर सकते हैं। सरकार बने रहने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का गिरना यानी नामंजूर होना जरूरी है। अगर अविश्वास प्रस्ताव को सदन ने मंजूर कर लिया तो समझो सरकार गिर गई। अविश्वास प्रस्ताव से संबंधित नियम 198 के तहत व्यवस्था है कि कोई भी सदस्य लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है। यहां समझने की जरूरत है अविश्‍वास प्रस्‍ताव सदन में विपक्ष की ओर से लाया जाता है, जबकि विश्‍वास प्रस्‍ताव सत्‍ता पक्ष की ओर से।

अविश्वास प्रस्ताव पर भाजपा को झटका, शिवसेना बोली- सुनी जाए विपक्ष की आवाजअविश्वास प्रस्ताव पर भाजपा को झटका, शिवसेना बोली- सुनी जाए विपक्ष की आवाज

Comments
English summary
no confidence motion againest nda gov in 15 years Then Vajpayee now Modi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X