डिसएंगेजमेंट के बाद चीनी एफडीआई पर नीति में कोई बदलाव नहीं: सूत्र
नई दिल्ली। एलएसी पर भारत चीन के बीच चल रहे डिसएंगेजमेंट के बीच भारत ने चीन के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में कोई बदलाव नहीं किया है। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने हाल की उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि सीमा पर तनाव को कम करने के साथ, भारत ने विभिन्न चीनी एफडीआई को मंजूरी दी है। सूत्रों ने बताया, 'हांगकांग में स्थित केवल तीन कंपनियों के प्रस्ताव को 22 जनवरी को हुई बैठक में मंजूरी दी गई है।
सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार ने बहुत ही सख्त एफडीआई पॉलिसी रखी है। सरकार ने नीतियो को संशोधित किया गया है। नए नियमों के मुताबिक, भारत के साथ अपनी सीमा साझा करने वाले सभी देशों से आने वाले हर निवेश के प्रस्ताव का सुरक्षा के लिहाज से आकलन किया जाएगा। इन देशों को भारत के सुरक्षा पैमानों से गुजरना होगा, इसके बाद ही उन्हें इसके लिए अनुमति मिलेगी। निवेश प्रस्तावों के सुरक्षा से जुड़ा पहलू केंद्रीय गृह मंत्रालय देखता है।
एलएसी पर गलवान घाटी में भारतीय सेना और पीएलए के बीच हुई झड़प के बाद भारत ने देश में आने वाले चीनी निवेश प्रवाह पर शिकंजा कस दिया था। यही नहीं कई चीनी ऐप्स पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। बीजिंग का कहना था कि ये कार्रवाई विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के लोकाचार और नियमों के खिलाफ है। सूत्रों ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार निवेशों की निकासी का संबंध से कोई संबंध नहीं था। 22 जनवरी को बैठक के दौरान ये प्रस्ताव आए थे और 5 फरवरी को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा मंजूरी दे दी गई थी।
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