दहेज कानून को हथियार बना लिया है असंतुष्ट पत्नियों ने, अब नहीं होगी बेवजह गिरफ्तारी
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दहेज प्रताड़ना मामले सहित सात साल तक की सजा के दंडनीय अपराधों में पुलिस गिरफ्तारी का सहारा नहीं ले। जज चंद्रमौलि कुमार प्रसाद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, 'हम सभी राज्य सरकारों को निर्देश देते हैं कि वह अपने पुलिस अधिकारियों को हिदायत दे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498-क के तहत मामला दर्ज होने पर वह अपने मन से गिरफ्तारी नहीं करे।
Good
judgment
by
justice
ck
prasad
of
Supreme
Court
now
anti
dowry
law
can
not
be
misused.
Police
can
not
arrest
on
the
basis
of
complaint
—
Rajeev
Shukla
(@ShuklaRajiv)
July
3,
2014
पहले
दंड
प्रक्रिया
संहिता
की
धारा
41
में
प्रदत्त
मापदंडों
के
तहत
गिरफ्तारी
की
आवश्यकता
के
बारे
में
खुद
को
संतुष्ट
करें।
कोर्ट
ने
कहा
है
कि
ऐसे
मामले
में
गिरफ्तारी
के
वक्त
पुलिस
के
लिए
निजी
आजादी
और
सामाजिक
व्यवस्था
के
बीच
बैलेंस
रखना
जरूरी
है।
अदालत
ने
कहा
कि
दहेज
प्रताड़ना
से
जुड़ा
मामला
गैरजमानती
है
इसलिए
लोग
इसे
हथियार
बना
लेते
हैं।
दहेज
प्रताड़ना
के
ज्यादातर
मामले
में
आरोपी
बरी
होते
हैं
और
सजा
दर
सिर्फ
15
फीसदी
है।
सुप्रीम
कोर्ट
के
इस
फैसले
को
देश
के
दिग्गजों
ने
सही
ठहराया
है।
सोशल
नेटवर्किंग
साइट
ट्वीटर
पर
इस
फैसले
के
बाद
से
प्रतिक्रियाएं
शुरु
हो
गईं
हैं।
(All
law
enforcement
is
based
on
honest
intention)
@ibnlive:
Dowry
law
misused
by
disgruntled
housewives,
stop
automatic
arrests:
SC
—
Kiran
Bedi
(@thekiranbedi)
July
3,
2014