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जमात के कार्यक्रम के बाद मुश्किल में निजामुद्दीन के लोग, गर्भवती महिलाओं तक को नहीं दिया जा रहा रास्ता

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नई दिल्ली। दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज का मामला सामने आने के बाद से कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। तबलीगी जमात के सदस्यों के कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए जाने के बाद से अब वहां के आस-पास के कॉलोनियों में महामारी को लेकर खौफ और दशहत बढ़ गई है। पूर्व और पश्चिम निजामुद्दीन की पॉश कॉलोनियों में रहने वाले लोगों ने सराय काले खान बस्ती से कोठियों में काम करने आने वाले ड्राइवर, कामवाली बाई और अन्य स्टाफ के लिए अपने घरों के दरवाजे बंद कर लिए हैं। हालात ये हैं कि गर्भवती महिलाओं को भी अस्पताल जाने के लिए रास्ता नहीं दिया जा रहा है।

तबलीगी जमात की वजह से बदले निजामुद्दीन में हालात

तबलीगी जमात की वजह से बदले निजामुद्दीन में हालात

सरकारी निर्देशों को अनदेखा करते हुए निजामुद्दीन में आयोजित तबलीगी जमात के धार्मिक कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने कोरोना वायरस को लेकर खतरा और बढ़ा दिया है। कई सदस्यों के संक्रमित होने से यह संख्या 2000 के ऊपर पहुंच चुकी है। निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन को सराय काले खान से एक टू-लेन अंडरपास जोड़ता है जहां से घरों में काम करने वाले लोग आते जाते हैं। जब सीएनएन न्यूज 18 की टीम ने वहां का दौरा किया तो पाया कि अंडरपास के दोनों सिरों पर बेरीकेड लगाए गए हैं।

पास रहते हुए भी घर नहीं जा पा रहे लोग

पास रहते हुए भी घर नहीं जा पा रहे लोग

पूछने पर स्थानीय लोगों ने कहा कि शुरू में रिक्शा और हाथ गाड़ियां को सड़क को अवरुद्ध करने के लिए काले खान के निवासियों द्वारा एक-दूसरे के ऊपर रखी गई थीं, लेकिन बाद में पुलिस ने बैरिकेड्स लगा दिए। स्टेशन के पास एक चाय की दुकान पर काम करने वाले 17 वर्षीय कलीम खान निवासी अलीमुद्दीन का कहना है कि वह 31 मार्च से घर नहीं जा सके हैं, जिस दिन से यह सड़क बंद कर दी गई है। उन्होंने कहा, 'मैं घर जाने में सक्षम नहीं हूं। मेरी माँ और बहन निजामुद्दीन में लोगों के घरों में काम करती हैं जब वे 31 की सुबह काम के लिए निकले, तो स्थानीय लोगों द्वारा उनकी पिटाई की गई। फिर उन्होंने सड़क को बंद कर दिया और मैं इस तरफ अटक गया हूं।

निजामुद्दीन में असली लॉकडाउन अब शुरू हुआ

निजामुद्दीन में असली लॉकडाउन अब शुरू हुआ

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च, 2020 को तीन सप्ताह के लॉकडाउन की घोषणा की थी। लेकिन काले खान के निवासियों का कहना है कि उनके लिए असली लॉकडाउन तब शुरू हुआ जब निजामुद्दीन के बंगलेवाली मस्जिद में फैले कोविड-19 के मामले सामने आने लगे। मस्जिद में रहने वाले 400 से अधिक लोगों में संक्रमण होने का संदेह है। मिली जानकारी के मुताबिक अंडरपास के दूसरे छोर पर राजेश और उसके चार साथी हाथ में लाठी लेकर इसी ड्यूटी पर लगे हैं कि कोई कॉलोनी न छोड़े और कोई उसमें प्रवेश न करे।

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रास्तों पर डंडा लेकर निगरानी करते हैं लोग

रास्तों पर डंडा लेकर निगरानी करते हैं लोग

वहां के हालात अब ऐसे हैं कि लोगों को दवाई के लिए भी राजेश को अपना पर्चा दिखाना पड़ता है। नजीम शेख अपनी गर्भवती पत्नी को डॉक्टर के पास ले जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें रास्ता नहीं दिया गया। नजीम ने राजेश और उनके दोस्त को डॉक्टर का पर्चा दिखाया लेकिन फिर भी उनकों वहां से जाने नहीं दिया गया। उन्हीं के ग्रुप में से योगेश चंद ने नदीम से कहा, रिंग रोड की साइड खुली हुई है, उस तरफ से जाइए। यही उत्तर उस बुजुर्ग को भी दिया गया जो अपनी दवाई लेने के लिए बैरिकेड से जाने की गुजारिश कर रहा था।

गर्भवती को अस्पताल में भर्ती करने से किया मना

गर्भवती को अस्पताल में भर्ती करने से किया मना

इतना ही नहीं निजामुद्दीन को पूर्व और पश्चिम में विभाजित करने वाली मथुरा रोड को भी बंद कर दिया गया है। जो शख्स बंगलेवाली मस्जिद के साथ अपनी सीमा साझा करता है, जहां तबलीगी जमात के लोग रहते थे उनको पश्चिम निजामुद्दीन पेट्रोल पंप से निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन तक सड़क पर किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। निजामुद्दीन-वेस्ट कॉलोनी के अंदर रहने वाली एमसीडी कार्यकर्ता ईशा का कहना है कि वे सभी डरे हुए हैं, संक्रमण का पता सिर्फ इस सप्ताह पता चला है, इससे पहले सब स्वतंत्रता से घूमते थे। सब लोग बाजार, फार्मेसी की दुकानों, आस-पास के क्षेत्रों में जा रहे हैं, कौन जानता है कि सभी संक्रमित हो गए हैं?

कॉलोनी को बदनाम किया जा रहा है: एमसीडी पार्षद

कॉलोनी को बदनाम किया जा रहा है: एमसीडी पार्षद

निजामुद्दीन-वेस्ट की ही रहने वाले तुफैल खान का भी ऐसा ही मानना है। उन्होंने कहा, यहां हालात इतने खराब हो गए हैं कि पिछली रात एक निवासी को प्रसव पीड़ा के दौरान पास के अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां के स्टाफ को पता चला कि वह निजामुद्दी से आए हैं तो उन्होंने उसे भर्ती करने से मना कर दिया। एमसीडी पार्षद यास्मीन किदवई ने तर्क दिया कि गलत सूचना लोगों में दहशत का कारण बन रही है। उन्होंने कहा, आपको लोगों को बताना होगा कि मस्जिद को खाली कर दिया गया है, लोगों को अलग कर दिया गया है और समुचित सफाई व्यवस्था की जा रही है। वे नहीं जानते हैं और यही कारण है कि इस कॉलोनी को बदनाम किया जा रहा है।

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English summary
Nizamuddin people in trouble after Jamaat program not even giving way to pregnant women
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