Nizamuddin event : कौन है मौलाना साद, क्या होती है तबलीगी जमात?
नई दिल्ली। तबलीगी मरकज मामले में दिल्ली पुलिस ने मौलाना साद पर FIR दर्ज किया है, पुलिस ने आइपीसी की धारा 269, 270, 271, 120 बी के तहत कार्रवाई की है, पुलिस ने सरकारी आदेश नहीं मानने के मामले में सख्ती से पेश आते हुए यह मामला दर्ज किया है। मालूम हो कि मौलाना साद का पूरा नाम मौलाना मुहम्मद साद कंधलावी है। वह भारतीय उपमहाद्वीप में सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन तबलीगी जमात के संस्थापक मुहम्मद इलियास कंधलावी के परपोते हैं और फिलहाल अभी फरार चल रहे हैं।
मदरसा काशिफुल उलूम से मौलाना ने पढ़ाई की है
10 मई 1965 को दिल्ली में जन्मे मौलाना साद ने हजरत निजामुद्दीन मरकज के मदरसा काशिफुल उलूम से आलिम की डिग्री हासिल की है। मौलाना साद खुद को तबलीगी जमात के एकछत्र अमीर घोषित कर चुके हैं और खुद को ही तबलीगी जमात का सर्वेसर्वा मानते हैं, साल 2017 में मौलाना साद का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब दारु उलूम देवबंद ने तबलीगी जमात से जुड़े मुसलमानों को फतवा जारी कर कहा कि साद कुरान और सुन्ना की गलत व्याख्या करते हैं, ये फतवा भोपाल में साद के एक भाषण के बाद जारी किया गया था।
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तबलीगी मरकज का मतलब इस्लाम की बात दूसरे लोगों तक पहुंचाना
तबलीगी जमात का मतलब होता है कि एक ग्रुप की जमात, तबलीगी मरकज का मतलब इस्लाम की बात दूसरे लोगों तक पहुंचाने का केंद्र, मेवात के मौलाना इलियास ने मरकज की स्थापना की थी।
मरकस का उद्देश्य मुसलमानों को शिक्षित करक नेक काम में लगाना
इस मरकस को बनाने का उनका मकसद था कि भारत के अनपढ़ मुसलमानों में शिक्षित और जागरूर करना और उन्हें नेक काम में लगाना।
एक जमात 3 दिन से लेकर 40 दिनों की होती है
इन कामों से मरकज को इतनी प्रसिद्धि मिली कि वह पूरी दुनिया में जाना जाने लगा, दुनिया भर से लोग यहां आने लगे और फिर बुराई से अच्छाई की तरफ लाने का केंद्र बन गया,यहां विदेशों से भी लोग आते हैं, इनकी एक जमात 3 दिन से लेकर 40 दिनों की होती है।
मरकज में ठहरे 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं
गौरतलब है कि कोरोना क कहर से दुनिया परेशान है, भारत में भी यह वायरस पांव पसारने के चक्कर में हैं, जिसने बचने के लिए भारत सरकार और दिल्ली सरकार ने लॉकडाउन किया हुआ है।इस दौरान किसी को भी घर से बाहर निकलने की मनाही है लेकिन दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी मरकज के एक कार्यक्रम में 2000 लोग शरीक हुए, जिसने सरकार की सारी परेशानी बढ़ा दी है, इनमें से 334 को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और 700 को क्वारंटाइन केंद्र भेजा गया है निजामुद्दीन स्थित मरकज में मलेशिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, किर्गिस्तान सहित 2,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने 1 से 15 मार्च तक तब्लीग-ए-जमात में हिस्सा लिया था। यहां से देश के अलग-अलग हिस्सों में गए लोगों में भी कोरोना के मामले सामने आए हैं, मरकज में ठहरे 24 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं।