नीलम कटारा- जज्बा पुत्र के हत्यारों को कड़ी सजा दिलवाने का
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। दिल्ली के गोल मार्केट स्थित केन्द्रीय विद्लाय में टीचर नीलम कटारा ने अपने पुत्र नीतीश के हत्यारों विकास और विशाल यादव को दंड दिलवाने के लिए जिस जुझारू प्रतिबद्धता के साथ लड़ाई लड़ी, वो काबिले तारीफ है।
महाबली डीपी यादव के पुत्र और भतीजे में मिलकर नीतीश कटारा की बड़ी ही नृशंस तरीके से हत्या की थी और कुछ इस तरह से उसका चेहरा बिगाड़ दिया गया था की वो पहचाना ना जा सके। पर नीलम कटारा ने अपने छोटे बेटे के एक हाथ से उसे पहचाना था। नीतीश कटारा का सिर्फ़ ये जुर्म था कि उसने भारती यादव से प्यार किया था जिसकी उसे इतनी बड़ी सजा मिली।
दाद हिम्मत की
बेशक,नीलम कटारा की हिम्मत की दाद देनी होगी और वो सबके लिए एक प्रेरणा एक मार्गदर्शक का भी काम करगी।
इसमें कोई शक नहीं कि एक मां ही इतनी शिद्दत से अपने पुत्र के हत्यारों से लडने की हिम्मत रखती है।सच कहते हैं नारी की छुपी हुई हिम्मत संघर्ष के समय सबको चकित कत जाती है।
न्याय बचा है
इस केस को देख कर लगता है कि अभी भी न्याय बाकी है। नीलम कटारा ने बीते सालों मे अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए हर सम्भव कोशिश की। हर पेशी मे कोर्ट मे वो मौजूद रहीं। हालांकि इन सालों मे कई बार उन्हें निराशा भी हाथ लगी पर उन्होंने हिम्मत नही छोडी। यहां तक कि मुख्य गवाह अजय कटारा को डराने-धमकाने और मारने की कोशिश भी की गई ताकि अजय अपनाबयान बदल दे पर अजय कटारा अपने बयान नही बदला।
पर और दूसरे ना जाने कितने ही गवाह अपने दिए बयानों से मुकर गए यहां तक कि जब भारती यादव ने भी अपनी गवाही मे नीतीश को सिर्फ़ अपना एक बहुत अच्छा दोस्त बताया और उससे सिर्फ़ दोस्ती की बात को ही माना।
नीलम जी के पति की भी मृत्यु हो गई पर उन्होंने अपनी हिम्मत और हौसला और भगवान और कानून पर विश्वास बनाए रखा।
जारी है लड़ाई
और उनके विश्वास और हिम्मत की उस दिन जीत हुई जब हाई कोर्ट ने यादव बंधुओं को उम्र कैद की सजा सुनाई। पर वो संतुष्ट नहीं है। वो तो यादव बंधुओं को फांसी दिलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना चुकी हैं। पर नीलम कटारा की लड़ाई अभी ख़त्म नही हुई है बल्कि लड़ाई अभी बाकी है।