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सीएम का गुस्सा या सियासी चाल: नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार में बीजेपी को जगह नहीं

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पटना। बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) के कई विधायकों के सांसद बन जाने के बाद खाली हुए मंत्री पद भरने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया, मुख्यमंत्री ने इस सिलसिले में शनिवार को राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात भी की थी, आज सुबह 11.30 बजे जेडीयू के 8 विधायक मंत्री बनाए गए हैं, एक भी बीजेपी का विधायक आज नीतीश कैबिनेट में शामिल नहीं हुआ है।

नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार में बीजेपी को जगह नहीं

नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार में बीजेपी को जगह नहीं

आपको बता दें कि आज का कैबिनेट विस्तार इसलिए भी काफी अहम है क्योंकि ऐसा कहा जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार में जेडीयू को कोई मंत्री पद नहीं मिलने के कारण नीतीश कुमार नाराज चल रहे हैं।

नीतीश कुमार नाराज चल रहे!

कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार जेडीयू के तीन सांसदों को मंत्री बनवाना चाहते थे लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई और शपथ ग्रहण से ऐन वक्त पहले जेडीयू ने मोदी सरकार को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया था और इसलिए आज बिहार में होने वाले कैबिनेट विस्तार में जेडीयू ने भाजपा को जगह नहीं दी है।

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किसको मिली है जगह

नीतीश कैबिनेट में जिन चेहरों को जगह दिया गया है, उनमें कांग्रेस छोड़कर जेडीयू में आए अशोक चौधरी, जेडीयू के प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार, लक्ष्मेश्वर राय, पूर्व मंत्री श्याम रजक, बीमा भारती, संजय झा, नरेंद्र नारायण यादव, रामसेवक सिंह शामिल हैं. बीजेपी को इस कैबिनेट विस्तार से दूर रखा गया है और मंत्री बनने वाले सभी आठों चेहरे जेडीयू के ही हैं।

क्या कहते हैं जानकार

क्या कहते हैं जानकार

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सीएम नीतीश कुमार ने 2020 के चुनावी चौसर पर बहुत पहले चाल चल दी। मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होने का फैसला, उनकी दूरगामी रणनीति का हिस्सा है।

बिहार विधानसभा चुनाव है सबसे बड़ी प्राथमिकता

लोकसभा के चुनाव में उनका मकसद पूरा हो चुका है। वे 2 से 16 पर पहुंच गये हैं और इसलिएअब बिहार विधानसभा चुनाव उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है, लोकसभा चुनाव में नीतीश ने अत्यंत पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय पर खास फोकस किया था। इसका उन्हें फायदा मिला।

कैबिनेट प्रकरण का असर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव पर?

कैबिनेट प्रकरण का असर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव पर?

और इसी वजह से लोकसभा चुनाव में कामयाबी के बाद नीतीश इस जिताऊ सामाजिक समीकरण को कायम रखना चाहते हैं लेकिन जब उन्हें लगा कि मोदी कैबिनेट में अत्यंत पिछड़े सांसदों का प्रतिनिधित्व नहीं हो सकेगा तो उन्होंने मंत्रिपरिषद में शामिल होने से इंकार कर दिया।

बिहार चुनाव में जदयू ही बड़े भाई की भूमिका में होगा?

इसके अलावा नीतीश कुमार यह भी बताना चाहते हैं कि बिहार चुनाव में जदयू ही बड़े भाई की भूमिका में होगा। चूंकि भाजपा ने अधिक सीटीं जीती हैं इस लिए नीतीश ने अभी से दबाव बनाना शुरू कर दिया है। जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा भी है कैबिनेट प्रकरण का असर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा।

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English summary
Nitish Kumar is set to expand his Council of Ministers on Sunday with the likely induction off our new Ministers from the Janata Dal(U).
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