नीतीश कुमार नागरिकता बिल का क्यों कर रहे समर्थन, ये है बड़ी वजह
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नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने के बाद उनकी पार्टी के ही कुछ नेताओं ने इसपर नाराजगी जताई है। जदयू ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया था, लेकिन पार्टी के ही दो वरिष्ठ नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर इसपर नाराजगी जताते हुए बयान दिया था। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और जदयू प्रवक्ता पवन वर्मा के विरोध के बावजूद नीतीश कुमार की पार्टी राज्यसभा में इस बिल का समर्थन करेगी, जिसपर अब तक काफी हंगामा देखने को मिला है। नीतीश की पार्टी के राज्यसभा में साथ आने से बीजेपी को भी बड़ी राहत मिल सकती है। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार के इस बिल के समर्थन करने के पीछे कई कारण हैं।
पवन वर्मा-प्रशांत किशोर ने किया है विरोध
सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और पवन वर्मा के विरोध को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। नीतीश कुमार का मानना हैं कि इन दोनों नेताओं की पद से पहचान है और इन्होंने कभी चुनाव तक नहीं लड़ा है। नीतीश कुमार के कुछ समर्थकों का कहना है कि इन दोनों नेताओं को केवल मीडिया गंभीरता से लेती है। खबर है कि आर्टिकल 370 और तीन तलाक के उलट भाजपा और खुद अमित शाह ने नीतीश कुमार से नागरिकता संशोधन बिल पर बात की थी।
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दोनों नेताओं की बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे नीतीश
नीतीश कुमार के करीबी सूत्रों का कहना है कि पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों के अलावा आर्टिकल 370 की तरह इसपर कोई बड़ा विरोध देखने को नहीं मिल रहा है। इसको लेकर उन्होंने पूर्वोत्तर के पार्टी के नेताओं से भी बात की है। वहीं, नीतीश के समर्थकों का मानना हैं कि वे कभी भी मुस्लिमों के पसंदीदा चेहरे नहीं रहे हैं और मुस्लिम-यादव समीकरण के बाद भी उनका अपना बड़ा जनाधार है।
मुस्लिम वोटों का मोह नहीं, अन्य वर्गों पर कर रहे फोकस
वहीं, पिछले महीने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। ऐसे में नागरिकता संशोधन बिल का विरोध कर वे भाजपा के साथ रिश्तों को खराब करने का खतरा नहीं मोलना चाहते हैं। आर्टिकल 370 पर रुख को लेकर नीतीश कुमार को ऐसे फीडबैक मिले थे कि उनके इस फैसले से महादलित और पिछड़ी जाति के वोटरों में नाराजगी थी। साथ ही फॉरवर्ड क्लास भी नीतीश कुमार से खुश नहीं था। इसलिए अबकी नीतीश कुमार इस बिल का समर्थन करेंगे।
अमित शाह के ऐलान के बाद नीतीश के रवैए में बदलाव
समर्थकों का यहां तक कहना है कि नीतीश कुमार प्रशांत किशोर और पवन वर्मा को साइडलाइन भी करने पर विचार कर सकते हैं, क्योंकि ये दोनों नेता अक्सर भाजपा के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं जिस कारण उनको कई बार जवाब देना मुश्किल हो जाता है। नागरिकता बिल का समर्थन करने के नीतीश के इस कदम से दोनों को एक सीधा संदेश जाएगा। बता दें कि प्रशांत किशोर ने कहा था कि जदयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से वे निराश हैं क्योंकि ये बिल नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। जबकि जदयू के प्रवक्ता पवन वर्मा ने भी नीतीश कुमार के इस फैसले का विरोध किया। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से बिल को समर्थन देन के फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है।