जिसे 'दुश्मन' समझ रही थी दुनिया, उसी ने कराई जेडीयू में प्रशांत किशोर की एंट्री, खुद नीतीश कुमार ने किया खुलासा
पटना। 2014 लोकसभा चुनाव में 'चाय पे चर्चा', '3डी मोदी होलोग्राम' जैसे चुनाव प्रचार के तरीके लाकर भारत में इलेक्शन कैंपेन की दिशा बदलने वाले प्रशांत किशोर के बारे में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सबसे बड़ा खुलासा किया है। निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में जब जेडीयू में उत्तराधिकारी के तौर पर उभरे प्रशांत किशोर के बारे में सवाल पूछा गया तो नीतीश कुमार ने कहा, 'वह हमारे लिए नए नहीं हैं। उन्होंने हमारे साथ 2015 विधानसभा चुनाव (बिहार) में काम किया था। थोड़े समय के लिये वह कहीं और व्यस्त थे। कृपया मुझे बताने दें कि अमित शाह ने मुझे दो बार प्रशांत किशोर को जदयू में शामिल करने को कहा था।' अब तक मीडिया में इसी तरह की खबरें आती रही हैं कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रशांत किशोर के रिश्ते ठीक नहीं रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार ने जो खुलासा किया है, उससे एकदम अलग कहानी सामने आई है। प्रशांत किशोर ने पिछले साल सितंबर में जेडीयू की सदस्यता ली थी। कुछ हफ्ते बाद ही नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया था, जिसके बाद प्रशांत किशोर को जेडीयू में नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है।
नीतीश कुमार ने बताया खास मकसद के लिए प्रशांत को लाया गया
चैनल को दिए इंटरव्यू में नीतीश कुमार ने कहा, 'प्रशांत किशोर को समाज के सभी तबके से युवा प्रतिभा को राजनीति की ओर आकर्षित करने का काम सौंपा गया है। राजनीतिक परिवारों में नहीं जन्मे लोगों की राजनीति से पहुंच दूर हो गई है। मुझे प्रशांत किशोर से काफी लगाव है, लेकिन, उत्तराधिकारी जैसी बातें हमें नहीं करनी चाहिए। यह राजशाही नहीं है।'
अमित शाह से 'दुश्मनी' के सवाल पर बोले प्रशांत किशोर- मैं अदना सा आदमी
नीतीश कुमार के ताजा खुलासे के बाद यह बात तो साफ हो गई है कि प्रशांत किशोर और अमित शाह के बीच 'दुश्मनी' जैसी बात नहीं है। हां, इतना जरूर है कि 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए 'इनोवेटिव कैंपेन' चलाने के बाद प्रशांत किशोर अपनी टीम के लिए खास सेट-अप करना चाहते थे, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल पाया। प्रशांत किशोर ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में खुद इस बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि वह जैसा सेट-अप चाहते थे, वो नहीं हो पाया। इस वजह से अलग होना पड़ा। इसके कुछ समय बाद प्रशांत किशोर ने 2015 में बिहार विधानसभा के दौरान जेडीयू के लिए कैंपेन का जिम्मा संभाला, जिसमें बीजेपी हार गई थी। उस चुनाव में बीजेपी और जेडीयू अलग-अलग लड़े थे। प्रशांत किशोर इंटरव्यू में दावा किया कि वह बीजेपी से बदला लेने के लिए जेडीयू में नहीं आए थे। अमित शाह के साथ 'दुश्मनी' की खबरों को भी प्रशांत किशोर ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, 'मैं अदना सा आदमी हूं, उनसे मेरी क्या तुलना। यह सब मीडिया के दिमाग की उपज है। मैं अमित शाह से अपनी तुलना कैसे कर सकता हूं। वह (अमित शाह) वरिष्ठ नेता हैं, एक बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, देश में वह नंबर 2 हैं, मैं उनसे अपनी तुलना कैसे कर सकता हूं।'
प्रशांत किशोर पर सबसे पहले नरेंद्र मोदी की पड़ी थी नजर
प्रशांत किशोर को राजनीति में लाने का श्रेय नरेंद्र मोदी को जाता है। गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए नरेंद्र मोदी ने प्रशांत किशोर को मिलने के लिए बुलाया था। दोनों की मुलाकात का बहाना बना एक डॉक्यूमेंट जो प्रशांत किशोर ने मनमोहन सिंह सरकार को भेजा था। प्रशांत किशोर तब पश्चिम अफ्रीकी देश चाड में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन को हेड कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने एक डॉक्यूमेंट तैयार किया, जिसका विषय था- 'आर्थिक समृद्धि और कुपोषण'। यह डॉक्यूमेंट तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास भेजा गया। यह बात बात साल 2010 की है। प्रशांत किशोर का यह डॉक्यूमेंट आया और तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर इस पर पड़ी। नरेंद्र मोदी ने प्रशांत किशोर को कॉफी पर बुलाया। आपको जानकर हैरानी होगी कि पहली मुलाकात में नरेंद्र मोदी और प्रशांत किशोर के बीच राजनीति पर बात नहीं हुई थी बल्कि गुजरात में कुपोषण उनकी चर्चा का विषय था। खुद प्रशांत ने इस बात का खुलासा किया। बाद में प्रशांत किशोर ने अमित शाह के साथ मिलकर गुजरात विधानसभा चुनाव में काम किया और 2014 लोकसभा चुनाव में तो उनकी रणनीति देखकर नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी हैरान रह गए थे। इसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने नीतीश कुमार को सत्ता दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई और आज प्रशांत किशोर जेडीयू में नंबर के तौर पर जाने जाते हैं।