क्या भाजपा ने बिहार में नीतीश के लिए लगायी है गिरिराज की फील्डिंग?
नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को नीतीश पर ट्वीट करने का कोई अफसोस नहीं है। नीतीश की इफ्तार पार्टी की तस्वीरों पर उनके ट्वीट से राजनीति गलियारे में खूब हंगामा मचा था। नीतीश उखड़े तो अमित शाह ने गिरिराज सिंह क्लास लगायी। लेकिन इन सब के बावजूद उन्होंने अपने ट्वीट को टाइमलाइन से हटाया नहीं है। इससे जाहिर होता है कि वे अपने स्टैंड पर कायम हैं। केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद शुक्रवार को पटना पहुंचे । जब उनसे नीतीश पर ट्वीट से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, बीत गयी सो बात गयी। गिरिराज सिंह भाजपा में हिंदुत्व के ध्वजवाहक हैं। इसी एप्रोच से ही वे पार्टी के फयरब्रांड नेता बने हैं। विरोधी उन्हें लाख बड़बोला कहें, लेकिन नरेन्द्र मोदी उन पर भरोसा करते हैं। लोग गिरिराज सिंह की आलोचना करते रहे और नरेन्द्र मोदी ने उनको कैबिनेट में तरक्की दे दी। राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री बना दिया। मोदी बहुत कम नेताओं पर मेहराबान होते हैं। अगर गिरिराज सिंह पर उनकी नजरे इनायत है, तो जरूर कुछ वजह होगी।
क्या गिरिराज को फटकार बीजेपी का दिखावा है ?
अगर अमित शाह ने सचमुच गिरिराज सिंह फटकार लगायी थी तो उन्होंने अपना विवादास्पद ट्वीट हटाया क्यों नहीं ? क्या नीतीश को दिखाने के लिए अमित शाह ने ऐसा किया ? जीतन राम मांझी ने आरोप लगाया है कि गिरिराज सिंह पर केवल दिखाने के लिए सख्ती की गयी है। भाजपा ने अंदर से गिरिराज सिंह को पूरी छूट दे रखी है। दरअसर नीतीश के साथ दोस्ती में सबसे बड़ी अड़चन हिन्दुत्व ही है। हिंदुत्व भाजपा की पहचान है। इस लिए वह इस मुद्दे को छोड़ नहीं सकती है। नीतीश की दोस्ती ने बिहार में भाजपा की सीमाएं तय कर रखी हैं। इस लिए वह हिंदुत्व के मुद्दे को घुमाफिरा कर जीवित रखना चाहती है। भाजपा के लिए गिरिराज सिंह यह काम पिछले कई साल से कर रहे हैं। वे बिहार एनडीए के अकेले ऐसे नेता हैं जो नीतीश पर कुछ बेधड़क बोल सकते हैं। बिहार में गिरिराज, नीतीश के लिए चेक एंड बैलेंस का काम करते हैं।
गिरिराज को लेकर नीतीश पहले भी हुए हैं असहज
2014 में गिरिराज सिंह नवादा से सांसद चुने गये थे। केन्द्र में मंत्री भी बने। अप्रैल 2017 में नवादा में धार्मिक पोस्टर फाड़े जाने के बाद तनाव फैल गया था। पत्थरबाजी भी हुई थी। इस बीच केन्द्रीय मंत्री रहते गिरिराज सिंह भी वहां पहुंच गये। उस समय नीतीश, लालू यादव के साथ मिल कर सरकार चला रहे थे। नवादा की घटना पर गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया था- नीतीश सरकार में बहुसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं, नवादा इसका उदाहरण है। नवादा में 2017 और 2018 में रामनवमी के समय भी तनाव और हिसा हुई थी। 2018 में नीतीश एनडीए में आ चुके थे और भाजपा के साथ सरकार चला रहे थे। 2018 में जिला प्रशासन ने दंगा भड़काने के आरोप में नवादा जिला बजरंग दल के संयोजक जितेन्द्र प्रताप जितू और विश्व हिन्दू परिषद के जिला मंत्री कैलाश विश्वकर्ना को गिरफ्तार कर लिया था। भाजपा और जदयू की संयुक्त सरकार होने के बावजूद गिरिराज सिंह ने प्रशासन पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। उन्होंने नीतीश सरकार पर आरोप लगाया कि प्रशासान ने जानबूझ कर इन नेताओं को फंसाया है। जब केन्द्रीय मंत्री रहते गिरिराज सिंह इन गिरफ्तार नेताओं से मिलने जेल पहुंच गये तो नीतीश बहुत खफा हुए थे। गिरिराज ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर जेल में मिलने की तस्वीरें भी साझा कर दीं। इससे नीतीश का गुस्सा और भड़क गया। तब उन्होंने कहा था कि गिरिराज सिंह जो कह और कर रहे हैं, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उस समय भी नीतीश ने गिरिराज के मुद्दे पर भाजपा को खरी खरी कही थी। लेकिन हुआ कुछ नहीं।
गिरिराज के बहाने भाजपा से अलग होने का बहाना खोज रहे नीतीश?
गिरिराज के ट्वीट पर आमजन की प्रतिक्रिया
गिरिराज सिंह ने इफ्तार की दावतों के बढ़ते चलन को दिखावा करार दिया है। वोट की राजनीति में इस मुद्दे को चाहे जिस तरह लिया जा रहा हो लेकिन आम लोग इफ्तार की दावतों के राजनीतिकरण को ठीक नहीं मान रहे। सोशल मीडिया पर लोग अपनी भावनाएं प्रगट कर रहे हैं। इफ्तार एक धार्मिक प्रक्रिया है। इससे किसी को कोई गुरेज नहीं। लेकिन इसका राजनीति इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। अब तो इफ्तार पार्टी में राजनीति के कई मकसद साधे जा रहे हैं। इस मौके पर अब राजनीतिक रिश्तों के तार जोड़े और तोड़े जा रहे हैं। क्या पहले इतनी इफ्तार पार्टियां होती थीं ? आज अधिकतर नेता इस होड़ में क्यों शामिल हैं ?