बिहार में सीएम की रेस में नीतीश कुमार के मुकाबले कहां खड़े हैं तेजस्वी? जानिए जनता की राय
नई दिल्ली। बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर नीतीश सरकार की कड़ी आलोचना हुई है और विपक्षी दलों ने उनपर जमकर हमला बोला है। वही, इंडिया टुडे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज की मानें तो सुशासन बाबू की छवि को इन तमाम आरोपों के बाद भी ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। बिहार की बड़ी आबादी ये मानती है कि जदयू के राजद का साथ छोड़ने से राज्य में भ्रष्टाचार के मामलों में कमी आई है।
नीतीश कुमार की लोकप्रियता बरकरार
इंडिया टुडे ग्रुप और एक्सिस माई इंडिया द्वारा किए गए ताजा सर्वे (PSE) के मुताबिक, नीतीश कुमार की लोकप्रियता बिहार में आज भी बरकरार है और वे मुख्यमंत्री पद के लिए राज्य के 46 फीसदी लोगों की पहली पसंद हैं। वहीं, पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को 28 फीसदी लोग बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। जबकि उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को 9 फीसदी और राबड़ी देवी को सिर्फ एक फीसदी लोग ही मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं।
यूपी पुलिस ने संदिग्ध समझकर एप्पल कंपनी के मैनेजर को गोली मारी, मौत
56 फीसदी लोगों का कहना, राजद का साथ छोड़ने से नीतीश को कोई नुकसान नहीं
बिहार सरकार के कामकाज की बात करें, तो 38 फीसदी जनता नीतीश कुमार के कामकाज से संतुष्ट नजर आती है, जबकि 24 फीसदी लोग उनके काम करने के तरीके को ठीक मानते हैं। वहीं, 34 फीसदी लोग नीतीश कुमार के कामकाज से खुश नहीं हैं। अगर जदयू और राजद की बात करें तो 56 फीसदी लोगों का मानना है कि आरजेडी का साथ छोड़ने से नीतीश की छवि को नुकसान नहीं पहुंचा है जबकि 35 फीसदी लोगों का मानना है कि बिहार के सीएम की छवि धूमिल हुई है। बिहार के 49 फीसदी लोगों का मानना है कि महागठबंधन का साथ छोड़ बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद सूबे में भ्रष्टाचार में कमी आई है। हालांकि 40 फीसदी लोग ऐसा नहीं मानते हैं।
28 फीसदी लोग तेजस्वी को सीएम बनते देखना चाहते हैं
सर्वे के मुताबिक, बिहार में पीएम मोदी का जलवा अभी भी बरकरार है। बिहार के 58 फीसदी लोगों की पीएम की पहली पसंद नरेंद्र मोदी हैं, जबकि 32 फीसदी लोग राहुल गांधी को पीएम के तौर पर देखना चाहते हैं। वहीं, बहुचर्चित राफेल डील के बारे में सबसे हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। 76 फीसदी लोगों का कहना है कि उन्हें राफेल के बारे मे नहीं पता है। वहीं, उनमें 62 फीसदी लोगों को कहना है कि मोदी सरकार को राफेल की कीमतें सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए। इंडिया टुडे ग्रुप और एक्सिस माई इंडिया के सर्वे में 15,375 सैंपल लिए गए और 40 संसदीय क्षेत्रों के लोगों से टेलिफोन पर जानकारी ली गई।
ये भी पढ़ें: महंगे पेट्रोल-डीजल ने फिर बनाया रिकॉर्ड, जानिए आज क्या हैं कीमत