धारा-370 पर संसद में मोदी सरकार का विरोध करने वाले नीतीश ने क्यों मारी पलटी?
धारा-370 पर संसद में मोदी सरकार का विरोध करने वाले नीतीश ने क्यों मारी पलटी?
नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी जिस स्पीड और सटीक लाइन लेंग्थ पर बॉलिंग कर रही है उससे नामचीन बल्लेबाजों में दहशत फैल गयी है। इनके खिलाफ खेलने वाले बल्लेबाज न गेंद की रफ्तार का अंदाजा लगा पा रहे हैं और न ही स्विंग का। जिस तरह जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाने के पहले फील्डिंग सेट की गयी उससे कई राज्यों के कप्तान चिंता में डूब गये हैं। अब मोदी-शाह की जोड़ी बिहार में भी फील्डिंग टाइट करने लगी है। क्या नीतीश कुमार ने किसी डर से पलटी मार ली है ? तीन दिन बाद ही नीतीश कुमार ने धारा 370 पर अपनी राय क्यों बदल दी ?
अचानक फील्डिंग की सजावट
एनडीए में रह कर भी खिलाफ में खेलने वाले नीतीश कुमार को मोदी-शाह ने बाउंसर गेंद डाल दी है। वे विकेट बचाने की चिंता में पड़ गये हैं। केन्द्र सरकार के एक फरमान से बिहार सरकार के प्रशासनिक हलके में खलबली मच गयी है। केन्द्र ने पटना सचिवालय, पुलिस मुख्यालय और जिलों में तैनात अफसरों की वैसी सूची मांगी है जिनमें उनके नाम, पते, फोन नम्बर और ईमेल आइडी दर्ज हों। केन्द्र ने इस फीडबैक कलेक्शन को सामान्य प्रक्रिया बताया है लेकिन पटना के राजनीति गलियारे में इसको लेकर चिंता का माहौल है। क्या मोदी-शाह की जोड़ी बिहार में भी कोई पोलिटिकल ऑपरेशन लॉन्च करने वाली है?
धारा-370 पर नीतीश के रवैये से राजद जैसा ना हो जदयू का हाल?
नीतीश को डाली बाउंसर गेंद
बिहार में खुद को नेता नम्बर एक मानने वाले नीतीश रह रह कर भाजपा को आंख दिखाते रहे हैं। भाजपा जदयू के नाज नखरे उठाती भी रही है। लेकिन जब नीतीश ने अपने संकुचित क्षेत्रीय हित के आगे राष्ट्रहित को दरकिनार कर दिया तो भाजपा के सब्र का पैमान छलक गया। मोदी शाह की जोडी ने ताड़ लिया कि अब नीतीश एतबार के काबिल नहीं। उनके कुछ करने के पहले ही जोडी नम्बर एक ने बाउंसर डाल कर नीतीश को अगाह कर दिया कि रन बनाने की बजाय विकेट बचाने की सोचे। आज तक किसी केन्द्र सरकार ने इसके पहले बिहार के अफसरों की ऐसी सूची नहीं मांगी थी। इस लिए केन्द्र के इस फरमान पर को शक की निगाहों से देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख के नये केन्द्र शासित प्रदेश बनने से कई आइएएस अफसरों की जरूरत पड़ेगी। उनकी ही प्रतिनियुक्ति के लिए केन्द्र ये सूची मांग रहा है। लेकिन जिस राजनीति हालात के बीच ये सूची मांगी गयी है उससे कई तरह की अटकलें लगायी जा रही हैं।
370 पर क्यों बदल गया जदयू का सुर ?
अभी तक धारा 370 को हटाने का विरोध करने वाला जदयू अचानक पलट क्यों गया ? अब वह कश्मीर पर संसद के फैसले को मानने और आगे बढ़ने की बात क्यों कर रहा है? माना जा रहा है कि जदयू केन्द्र के किसी साइलेंट अटैक की आशंका से परेशान हो गया है। जदयू सत्ता में रह कर ही विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता है। अगर 370 के राष्ट्रव्यापी मुद्दे पर भाजपा ने समर्थन वापस लेकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगवा दिया तो क्या होगा ? हालांकि यह आसान नहीं है फिर भी जदयू कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। नीतीश के खासमखास सुशील मोदी ने भी इस मामले में उनसे पल्ला झाड़ लिया। सुशील मोदी ने नीतीश का नाम लिये बिना कहा कि हर किसी को संसद से पारित कानून का सम्मान करना चाहिए। हालात को देख कर जदयू ने पलटी मार ली। डैमेज कंट्रोल के लिए नीतीश ने अपने करीबी सांसद आरसीपी सिंह को आगे किया है। इस लिए संसद में विरोध करने वाले आरसीपी सिंह अब कश्मीर की नयी व्यवस्था और कानून को मानने की वकालत कर रहे हैं।
पैरों तले खिसकी जमीन तो आया होश
जिस तरह से पूरे देश में नये कश्मीर और कानून का स्वागत हो रहा है उससे जदयू बैकफुट पर आ गया है। अब जदयू के नेताओं के लग रहा है कि वे धारा 370 का समर्थन कर के जनभावना के खिलाफ जा रहे हैं। कुछ दिन पहले तक धारा 370 का समर्थन करने के लिए जदयू के नेता लोहिया और जेपी के नामों की माला जप रहे थे। लेकिन जब पैरों तले जमीन खिसकने लगी तो कानून के सम्मान की बात करने लगे हैं। इतना ही नहीं जदयू ने अपने दल को उन नेताओं को भी फटकार लगायी है जिन्होंने 370 को लेकर केन्द्र के खिलाफ कड़वी टिपण्णी की थी। अब जदयू के बड़बोले नेताओं को मुंह बंद रखने की हिदायत दी गयी है। नीतीश सरकार के मंत्री श्याम रजक और विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने इस मुद्दे पर तल्ख राय रखी थी।