नीतीश कुमार ने मोदी मॉडल खारिज किया तो भाजपा ने दिखा दी हैसियत
नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा चुनाव ने नीतीश और भाजपा को आमने-सामने कर दिया है। झारखंड की आग बिहार पहुंच चुकी है। इस आग की आंच ऐसी है कि भाजपा-जदयू का आशियाना खाक हो सकता है। झारखंड में अकेले ताल ठोक रहे नीतीश ने जैसे ही विकास के मोदी मॉडल फेल बताया वैसे ही भाजपा ने नीतीश पर सीधे मिसाइल दाग दी। 14 साल से सीएम की कुर्सी संभाल रहे नीतीश को कहा गया कि अब आप सिंहासन खाली कीजिए कि भाजपा आ रही है। नीतीश को सीएम पद छोड़ने की सलाह देने वाले संजय पासवान पूर्व केन्द्रीय मंत्री हैं। वे अभी विधान पार्षद हैं और बिहार में भाजपा का दलित चेहरा हैं। संजय पासवान ने कहा है कि नीतीश को सुशील मोदी या अन्य किसी बड़े नेता के लिए कुर्सी खाली कर देनी चाहिए और उन्हें केन्द्र की राजनीति में शिफ्ट हो जाना चाहिए। नीतीश पर हमला करने के लिए भाजपा ने अभी दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे किया है। जब मुनासिब वक्त आएगा तब महारथी भी मैदान में कूदेंगे। वैसे भाजपा ने अब नीतीश को ईंट का जवाब पत्थर से देने का इरादा बना लिया है।
नीतीश का नरेन्द्र मोदी पर सीधा हमला
नीतीश कुमार ने 7 सितम्बर को रांची में झारखंड जदयू कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया था। नीतीश यहां अकेले, सत्तारुढ़ भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। तमाम नाराजगी के बावजूद नीतीश ने अभी तक सीधे तौर पर नरेन्द्र मोदी की कभी आलोचना नहीं की थी। लेकिन झारखंड चुनाव की महत्वाकांक्षा ने नीतीश को मोदी पर हमला करने के लिए मजबूर कर दिया। नीतीश ने रांची में कहा था कि इस राज्य के बने 19 साल हो गये लेकिन विकास नहीं हुआ। यहां भाजपा ही अधिकतर शासन में रही है लेकिन उसने लोगों की उम्मीद पूरी नहीं की। खनिज सम्पदा से धनी होने के बाद भी झारखंड पिछड़ गया। जब कि बंटवारे के बाद बिहार गरीब हो गया था। लोग कहते थे कि अब बिहार में लालू, बालू और आलू ही रह गये हैं। लेकिन इसके बाद भी विकास के बिहार मॉडल ने राज्य को आगे खड़ा कर दिया। यानी नीतीश ने झारखंड में विकास के मोदी मॉडल फेल करार दिया और अपने विकास मॉडल को झारखंड के लिए जरूरी बताया।
नीतीश को हैसियत बताने की कोशिश
कोई नरेन्द्र मोदी के विकास मॉडल को खारिज करे, यह भाजपा कभी बर्दाश्त नहीं कर सकती। नीतीश को हैसियत बताने के लिए भाजपा ने उनकी दुखती रग को दबा दिया। पिछले तीन चुनावों से सीएम की कुर्सी पर काबिज नीतीश को जैसे ही कुर्सी खाली करने की सलाह दी गयी, जदयू तिलमिला गया। यह बयान भले ही भाजपा के एक विधान पार्षद ने दी है लेकिन पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस बयान पर जदयू की बेचैनी का बारीकी से आकलन कर रहा है। रांची में नीतीश के बयान के बाद पलटवार जरूरी था। भाजपा के बड़े नेता खुल कर नीतीश पर हमला करना नहीं चाहते थे। इस काम के लिए उसने पार्टी ने एक दलित नेता को आगे कर दिया। संजय पासवान के बयान से जदयू में रसायनिक प्रतिक्रिया के आकलन के बाद भाजपा झारखंड और उसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मन मुताबिक पिच तैयार करेगी। संजय पासवान को आगे करने की एक वजह और भी है। अगर अभी कोई बात बिगड़ती है तो भाजपा इस बयान को निजी राय बता कर पल्ला झाड़ सकती है। लेकिन भाजपा यह देखना चाहती है कि कुर्सी छोड़ने के सवाल पर नीतीश कुमार की भाव-भंगिमा क्या हो सकती है।
कौन हो सकता है भाजपा से मुख्यमंत्री ?
तू डाल-डाल, मैं पात-पात । भाजपा और जदयू में यही चल रहा हे। दोनों माइंड गेम खेल रहे हैं। भाजपा नीतीश पर दबाव बनाने के लिए अब अपने भावी मुख्यमंत्री की भी चर्चा करने लगी है। संजय पासवान ने सुशील मोदी का नाम लिया। कुछ दिनों पहले नरेन्द्र मोदी के करीबी गिरिराज सिंह का भी नाम उछला था। संघ के समर्पित कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह भी कभी भाजपा के सीएम पद के उम्मीदवार माने जाते थे। अभी तक बिहार भाजपा के नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने की बात कहते रहे हैं। खुद सुशील मोदी ने बिहार विधानसभा में ऐसा कहा था। लेकिन नीतीश ने जैसे ही मोदी मॉडल को रिजेक्ट किया सारे समीकरण बिगड़ गये। इस लिए भाजपा नीतीश को बताना चाहती है कि मंजिलें और भी हैं। उसके पास भी सीएम बनने लायक कई चेहरे हैं। नीतीश बनाम मोदी मॉडल की लड़ाई 2010 से चल रही है। तब नीतीश और नरेन्द्र मोदी दोनों मुख्यमंत्री थे। वे अपने-अपने राज्य के विकास के लिए मेहनत कर रहे थे। दोनों में विकास पुरुष बनने की होड़ चल रही थी। मोदी के पीएम बनने के बाद ये होड़ थम गयी थी। लेकिन झारखंड चुनाव ने राख में दबी चिनगारी को हवा दे दी है।