तेजस्वी यादव पर नीतीश सरकार मेहरबान? पक रही है कोई खिचड़ी!
नई दिल्ली- बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने पूर्व उप मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से जुड़े एक मामले में जो स्टैंड लिया है, उसके कई सियासी मायने निकाले जा सकते हैं। नीतीश सरकार ने बंगले के मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये फूंकने के आरोपों से तेजस्वी को क्लीनचिट दे दिया है। गौरतलब है कि यह आरोप खुद नीतीश के अपने ही उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने लगाए थे।
तेजस्वी यादव को नीतीश सरकार की क्लिनचिट
बिहार सरकार ने कहा है कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने उप मुख्यमंत्री रहते हुए अपने बंगले पटना के 5 देशरत्न मार्ग की मरम्मत पर कोई ज्यादा रकम खर्च नहीं किया था। इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के मुताबिक बिहार के बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन विभाग के सचिव चंचल कुमार ने तेजस्वी को क्लीनचिट देते हुए कहा है कि उन्होंने अलग-अलग वक्त पर अलग-अलग मद में रकम खर्च किए, इसलिए इसे बजट की सीमा का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। उनके मुताबिक, "तेजस्वी यादव द्वारा सरकारी बंगले पर ज्यादा खर्च करने के संबंध में कोई जांच नहीं शुरू की गई है। बंगले पर करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं, लेकिन वह अलग-अलग मद में और अलग-अलग समय पर किए गए हैं। अगर ये इकट्ठे खर्च किए गए होते, तो कैबिनेट या फाइनेंस डिपार्टमेंट की मंजूरी की आवश्यकता होती। कोई अतिरिक्त रकम नहीं खर्च की गई है। "
उप मुख्यमंत्री मोदी ने क्या आरोप लगाए थे?
तेजस्वी यादव पर बंगले की मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाने का आरोप किसी और ने नहीं, नीतीश कुमार के अपने डिप्टी सुशील मोदी ने ही लगाया था। इसी साल फरवरी में सुशील मोदी ने उस बंगले की भव्यता के बारे में कहा था, "ऐसा लगता है कि किसी 7 स्टार होटल में घुस गए हों। मैं बंगले की शानदार सजावट और फर्निशिंग देखकर भौंचक्का हूं। प्रधानमंत्री का बंगला भी इतना वेल-फर्निश्ड नहीं होगा। जो व्यक्ति यहां रह रहे थे, उन्होंने सोचा था कि वे हमेशा यहीं रहने वाले हैं। बंगले पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं।" मोदी ने कहा था कि जनता के पैसे के दुरुपयोग की जानकारी वो मुख्यमंत्री को भी देंगे। तब बिहार के भवन एवं निर्माण विभाग के मंत्री महेश्वर हजारी ने भी कहा था कि बंगले पर खर्च की गई रकम की जांच कराई जाएगी।
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सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद खाली किया था बंगला
जिस बंगले की मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करने के आरोप लगाए गए थे, वह पटना में सीएम आवास के बिल्कुल पास है। 2015 में उसे तत्कालीन डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को अलॉट किया गया था। बाद में जब सरकार बदली तो 2017 में इसे सुशील कुमार मोदी के लिए आवंटित कर दिया गया। लेकिन, तेजस्वी बंगला छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए। परन्तु, उन्हें पटना हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली और सुप्रीम कोर्ट ने तो इस साल फरवरी में उनपर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया था।
बिहार सरकार ने डिप्टी सीएम के आरोपों को नकारा
अब ये तय हो गया है कि बिहार सरकार ने अपने ही उप मुख्यमंत्री द्वारा एक पूर्व उप मुख्यमंत्री पर पैसे के दुरुपयोग के आरोपों को खारिज कर दिया है। नीतीश सरकार का ये फैसला ऐसे समय में आया है, जब मोदी सरकार के शपथग्रहण के बाद से जेडीयू और बिहार बीजेपी में थोड़ी असहजता की स्थिति बनी है। इसी को देखकर तेजस्वी यादव की मां और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने नीतीश कुमार को उनके महागठबंधन में आने का न्योता भी दे चुकी हैं। इधर ट्रिपल तलाक जैसे अहम मुद्दे पर लोकसभा में जेडीयू ने बीजेपी का साथ देने से मना भी कर दिया है। इसलिए, बिहार सरकार के ताजा फैसले को सियासत के चश्मे से देखें, तो इसके कई दूसरे मायने भी निकाले जा सकते हैं।
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