सोनाक्षी सिन्हा को ट्रोल करना 'शक्तिमान' को पड़ा महंगा, 'कृष्ण' ने दिया करारा जवाब
नई दिल्ली। नई दिल्ली। कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच लोग बोर न हों इसके लिए दूरदर्शन ने अपने पुराने और पसंदीदा धारावाहिकों को फिर से शुरू कर दिया है। महाभारत, रामायण और शक्तिमान ने फिर से दूरदर्शन की टीआरपी सबसे टॉप पर पहुंचा दी है। इन धारावाहिकों के पुन: प्रसारण को लेकर इनमें विभिन्न किरदार निभाने वाले कलाकारों में भी उत्साह है कि मौजूदा पीढ़ी भी इन धारावाहिकों के जरिए अपनी संस्कृति को समझेगी। इसी क्रम में महाभारत में भीष्म पितामह और शक्तिमान जैसे किरदार निभाने वाले वरिष्ठ कलाकार मुकेश खन्ना ने सोनाक्षी को ट्रोल कर दिया था, जिस पर भगवान कृष्ण यानि नितीश भारद्वाज ने सोनाक्षी का पक्ष लेते हुए मुकेश खन्ना को सलाह दी है।
पहले जानिए क्या कहा था मुकेश सिन्हा
दरअसल हुआ था कि 'कौन बनेगा करोड़पति' के मंच पर सोनाक्षी रामायण से जुड़े एक सवाल का जवाब नहीं दे पाई थीं। इस वजह से उन पर निशाना साधा गया था। इसी क्रम में एक इंटरव्यू में मुकेश खन्ना ने कहा कि 'सोनाक्षी सिन्हा जैसे लोगों को 'रामायण' और 'महाभारत' देखनी चाहिए, जिन्हें हमारी पौराणिक कथाओं के बारे में कुछ नहीं पता है। उनके जैसे लोगों को यह भी नहीं पता कि भगवान हनुमान किसके लिए संजीवनी लेकर आए थे।'
मुकेश खन्ना के इस बयान पर नितीश भारद्वाज ने दिया ये जवाब
मुकेश खन्ना द्वारा सोनाक्षी पर कसे गए तंज पर नीतीश भारद्वाज ने कहा, 'मैं अपने दोस्त मुकेश खन्ना से कहना चाहता हूं कि हो सकता है कि पूरी नई पीढ़ी को ही भारतीय संस्कृति, विरासत और उसके साहित्य के बारे में मालूम न हो। इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। 1992 के बाद भारत के आर्थिक परिवेश में बहुत बड़ा बदलाव हुआ और फिर उसके बाद सभी के बीच अपने करियर में आगे बढ़ने, खुद को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने की दौड़ शुरू हो गई। अगर हमें किसी की गलती निकालनी है, जोकि मुझे नहीं लगता वाजिब है, तो फिर पिछली पीढ़ी के माता-पिताओं की गलती निकालिए जो अपने बच्चों को हमारी संस्कृति और विरासत से वाकिफ कराने में विफल रहे।'
इसलिए नई पीढ़ी को हमारी विरासत और संस्कृति की कम जानकारी है
नीतीश भारद्वाज ने आगे कहा, 'यह हमारी कम दूरदर्शी शैक्षिक प्रणाली के कारण भी है, जिसे अंग्रेजों ने लागू किया था। इसके कारण सांस्कृतिक और मूल्य आधारित शिक्षा के लिए हमारे नियमित पाठ्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए कोई स्कोप ही नहीं बचता। माता-पिता के ऊपर बच्चों को स्कूल के बाद ट्यूशन भेजने का इतना ज्यादा प्रैशर होता है कि जो एक्स्ट्रा टाइम बचता है उसमें भी धार्मिक मूल्यों और ग्रंथों की जानकारी बच्चों को नहीं दी जा सकती। इस शिक्षा प्रणाली को बदलने या संशोधित करने में विफलता 1947 के बाद की अधिकांश सरकारों की विफलता रही है। सिस्टम से संबंधित कई ऐसी खामिया हैं, जिनकी वजह है यह स्थिति आई है और नई पीढ़ी को हमारी विरासत और संस्कृति की कम जानकारी है।'
सिर्फ सोनाक्षी को ही टारगेट क्यों करना
सोनाक्षी सिन्हा को टारगेट किए जाने की बात पर नीतीश आगे बोले, 'अकेले सोनाक्षी सिन्हा को ही क्यों टारगेट करना? एक ही बात को कहने का सही और अलग तरीका भी होता है। वो है एक संतुलित, कोमल और सहानुभूति का तरीका। और उस तरीके से किसी को कुछ बुरा भी नहीं लगता है। सीनियर लोग तभी सम्मान का पात्र होते हैं जब वे सहानुभूति के रास्ते पर चलते हैं।'