NPA से घबराए बैंक, रोड कॉन्ट्रैक्टर्स को नहीं दे रहे हैं लोन
नई दिल्ली। देश में बैंकों की हालात इतनी खस्ता है कि, अब वे सरकारी परियोजनाओं को भी लोन देने से घबरा रहे हैं। इसका खुलासा खुद सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी नितिन गडकरी ने किया। लोन देने के मामले में वे फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रहे हैं। बैंकों के इस कदम का सीधा असर सरकार विनिर्माण परियोजनाओं में देखने को मिल रहा है। गडकरी ने कहा कि इसके चलते 2022 तक 84,000 किलोमीटर सड़क बनाने की भारत की योजना खटाई में पड़ गई है।
मंगलवार को ब्लूमबर्ग इंडिया इकनॉमिक फोरम में बोलते हुए गडकरी ने बताया कि बैंक रोड कॉन्ट्रैक्टर्स को लोन नहीं दे रहे हैं। गडकरी ने बताया कि, इससे 84 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़क बनाने की योजना पर खतरा मंडराने लगा है। उन्होंने कहा, 'उद्योग के लिए, निवेश के लिए, ठेकेदारों के लिए, रोजगार पैदा करने के लिए और अर्थव्यवस्था के लिए हमें बैंकों से सकारात्मक समर्थन की जरूरत है।
गडकरी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने पिछले महीने एसबीआई से 25 हजार करोड़ रुपये लोन लिया था। फिर भी बैड लोन के बोझ तले ज्यादातर बैंकों को यह समझाना कठिन हो रहा है कि हमारे रोड सेक्टर को लोन देना बिल्कुल सुरक्षित है। हाइवेज नेटवर्क के आधुनिकीकरण की योजना के लिए खरबों रुपये के निवेश की जरूरत है। ऐसे में बैंको का हाथ खड़ा करना निविर्माण सेक्टर के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
बैड लोन अनुपात के मामले में दुनिया के 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में इटली के बाद भारत का नंबर आने से बैंकर इस सेक्टर को लोन देने से बचने की कोशिश करते हैं। गौरतलब है कि देश में बैंकों के कुल फंसे लोन का 90 प्रतिशत हिस्सा सरकारी बैंकों के खाते में आता है।
मोदी सरकार आने के बाद 322 फीसदी बढ़ा सरकारी बैंकों का एनपीए