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नीति आयोग मना रहा, पर क्या मानेंगी ममता बनर्जी

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को भरोसा है कि आगामी 15 जून को होने वाली आयोग की 'गवर्निंग काउंसिल' की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ज़रूर शामिल होंगी. इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भी इसमें शामिल होंगे. इससे पहले ममता बनर्जी ने बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था

By सलमान रावी
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नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को भरोसा है कि आगामी 15 जून को होने वाली आयोग की 'गवर्निंग काउंसिल' की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ज़रूर शामिल होंगी.

इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भी इसमें शामिल होंगे.

इससे पहले ममता बनर्जी ने बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था ये आरोप लगाते हुए कि 'नीति आयोग की बैठक सिर्फ़ चर्चा करने का अड्डा है जहां कुछ भी सार्थक निकलने की उम्मीद नहीं है.'

मगर बीबीसी से बात करते हुए राजीव कुमार का कहना था कि ममता बनर्जी से बातचीत जारी है और उम्मीद है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री इसमें शामिल होंगी. इस बैठक को काफ़ी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

पिछले कुछ वर्षों से नीति आयोग अपनी योजना 'नया भारत 2020' पर काम कर रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत तीन सालों का विकास के कई पहलुओं के क्रियान्वयन का एजेंडा तो है ही साथ साथ 15 सालों के लिए भी विकास की रूपरेखा तैयार किए जाने की बात कही गई है.

ममता बनर्जी
Getty Images
ममता बनर्जी

पानी की क़िल्लत प्रमुख मुद्दा

मगर आगामी 15 जून को जो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा चर्चा में होगा वो है पानी की क़िल्लत. राजीव कुमार कहते हैं कि पानी एक बड़ी समस्या है और इससे जूझना भी बड़ी चुनौती है.

उनका कहना था कि पिछले कई सालों से भारत के कई राज्यों में औसत से भी काम बारिश हुई है और इसलिए भूमिगत जल का स्तर दिन ब दिन नीचे जा रहा है. कई राज्यों में सूखे के हालात हैं और किसान इसको लेकर परेशान हैं.

भारतीय मौसम विभाग ने आंकड़े जारी किए हैं जिनके अनुसार, मॉनसून से पहले होने वाली बारिश यानी मार्च और मई तक होने वाली बारिश में 25 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है.

नीति आयोग ने पहले से अगाह किया था कि 2021 तक भारत के 21 शहरों में भूमिगत जल का स्तर बिलकुल नीचे चला जाएगा.

पानी की किल्लत
Getty Images
पानी की किल्लत

इस प्रोजेक्ट में भारत की विभिन्न नदियों को आपस में जोड़ने के बारे में भी रूपरेखा पर विचार किया जाएगा, ऐसा राजीव कुमार का कहना है.

भारत सरकार भी अपनी नीति निर्धारित करने के लिए 100 दिनों का एजेंडा चाहती है जो नीति आयोग तैयार कर रहा है.

दूसरा सबसे बड़ा एजेंडा जिसपर चर्चा होनी है वो है बेरोज़गारी क्योंकि सरकारी एजेंसी नेशनल स्टैटिस्टिकल सर्वे आर्गेनाईजेशन (एनएसएसओ) के आंकड़ों के हिसाब से पिछले 45 सालों की तुलना में बेरोज़गारी सबसे ज़्यादा है.

PBI

जीडीपी के आंकड़ों पर चर्चा

भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके अरविंद सुब्रमण्यन ने नई 'जीडीपी' सिरीज़ के आर्थिक वृद्धि दर के आंकड़ों पर सवाल खड़े किए हैं. उनका दावा है कि 2011-12 से 2016-17 के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान तक़रीबन ढाई फ़ीसदी बढ़ा कर बताया गया था.

आधिकारिक तौर पर इस अवधि में भारत की जीडीपी वृद्धि दर सात फ़ीसदी बताई गई है, जबकि सुब्रमण्यम का दावा है कि जीडीपी इन आंकड़ों से बहुत कम थी और साढ़े चार फ़ीसदी के आसपास ही थी.

नीति आयोग के उपाध्यक्ष कहते हैं कि 'आंकड़ों को देखने का मापदंड बदलना ज़रूरी है. वो उस तर्ज़ पर होना चाहिए जैसे दूसरे विकासशील देशों में होता है.'

राजीव कुमार कहते हैं कि 'कैबिनेट की दो कमिटियां बनाई गई हैं जो विशुद्ध रूप से इसपर काम करेंगी.'

BBC/ RAHUL KOTIYAL

विनिवेश का मुद्दा

ये कमेटियां तय करेंगी की किस तरह भारत में विदेशी पूँजी निवेश को बढ़ावा दिया जाए ताकि ज़्यादा से ज़्यादा रोज़गार सृजित हो सकें.

नीति आयोग की इस बैठक को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया का रेपो रेट भी सबसे कम है और आर्थिक मंदी भी सबसे निचले पायदान पर है.

ये बैठक संसद के बजट सत्र से पहले बुलाई गई है इसलिए इसपर सबकी निगाहें हैं.

बीबीसी से विशेष बातचीत के दौरान राजीव कुमार कहते हैं, "ये मौक़ा भी है जब पिछली सरकार द्वारा लाई गईं विभिन्न योजनाओं की सफलता या विफलता का भी आकलन किया जाएगा."

हो सके तो उसमे बदलाव का भी प्रावधान किया जाए.

GOVERNMENT OF INDIA

चर्चा के पांच मुद्दे

इस बार बैठक के एजेंडे में मुख्य तौर पर पांच बिंदु हैं - सूखा और राहत, बारिश के पानी का संरक्षण, जिलावार विकास का मसौदा, कृषि क्षेत्र में बदलाव और नक्सल प्रभावित इलाक़ों में सुरक्षा की समीक्षा.

सरकार के कहने पर बैठक में विनिवेश पर भी चर्चा होगी ख़ास तौर पर ऐसे सार्वजनिक उपक्रम जो घाटे में चल रहे हैं.

इनमे एयर इंडिया का नाम भी शामिल है. सरकार ने विनिवेश के लिए इस वित्तीय वर्ष में 90 हज़ार करोड़ रुपए का टारगेट रखा है.

BBC Hindi
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English summary
Niti ayog is persuading Mamta Banerjee but will she agree?
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