क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

दिल्ली में वायु प्रदूषण पर नीति आयोग-सीआईआई की रिपोर्ट

Google Oneindia News

बेंगलुरु। दिल्ली की हवा में पहले से राहत भले ही है, लेकिन अभी भी दिल्लीवासी पूर्ण रूप से स्वच्छ हवा में सांस नहीं ले रहे हैं। वैसे क्लीन एयर पर आयी एक ताज़ा रिपोर्ट की मानें, तो केवल सर्दियों के मौसम में ही नहीं बल्कि पूरे साल दिल्लीवासी प्रदूषण की चपेट में ही रहते हैं। सोमवार को जारी हुई कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्‍ट्रीज़ (सीआईआई) और नीति आयोग की संयुक्त रिपोर्ट में दिल्ली में प्रदूषण के बड़े कारणों पर चर्चा की गई है। रिपोर्ट में खास तौर से कहा गया है कि एनसीआर में स्थित कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट भी वृहद स्तर पर प्रदूषण के लिये जिम्मेदार हैं। रिपोर्ट में प्रदूषण को कम करने के लिये सुझाव भी दिये गये हैं।

Delhi Pollution

नीति आयोग और सीआईआई ने मिलकर 2016 में एक टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसने आईआईटी समेत कई संस्‍थानों के साथ मिलकर दिल्ली में प्रदूषण के स्तर का अध्‍ययन किया। इस समिति ने बायोमास मैनेजमेंट, क्लीन फ्यूल, क्लीन ट्रांसपोर्टेशन और क्लीन इंडस्‍ट्री पर अध्‍ययन किया। इस रिपोर्ट को सोमवार को जारी किया गया। इस रिपोर्ट में आईआईटी कानपुर द्वारा 2016 में किये गये अध्‍ययन को भी शामिल किया गया।

तथ्‍य जो निकल कर सामने आये

रिपोर्ट के अनुसार सर्दियों के मौसम में दिल्ली में पीएम2.5 में धूल और फ्लाई ऐश (कोयला जलने के बाद पैदा होने वाली राखण) की मात्रा 19% प्रतिशत रहती है। वहीं गर्मियों के मौसम में यह बढ़कर 53% हो जाती है। वहीं प्रदूषण फैलाने वाले अन्य कणों का योगदान सर्दियों में करीब 15 प्रतिशत तक और गर्मियों में 30 प्रतिशत तक रहता है। अब आप सोच रहे होंगे कि तो फिर सर्दियां आने पर ही क्यों स्मॉग छा जाता है। तो उसका कारण पराली से लने वाला धुआं भी है।

पराली का जलना हुआ कम तो साफ हुई दिल्ली-NCR की हवा, खुले स्कूल, आज भी राहत के आसार पराली का जलना हुआ कम तो साफ हुई दिल्ली-NCR की हवा, खुले स्कूल, आज भी राहत के आसार

2016 की शर्मा एवं दीक्षित की रिपोर्ट की बात करें तो प्रदूषण में थर्मल पावर प्लांट में जलने वाले कोयले का भी बड़ा योगदान है। दिल्ली में 20 मीटर की ऊंचाई तक फ्लाई ऐश और SO2/NOX गैसें पायी जाती हैं, जो सेहत के लिये बेहद खतरनाक हैं।

पर्टिकुलेट मैटर 2.5 यानी वह कण जिनकी मोटाई 2.5 माइक्रॉन हैं, का सबसे बड़ा स्रोत एनसीआर क्षेत्र में बने थर्मल पावर प्लांट हैं। ये प्लांट भारी मात्रा में हवा में SOx को घोल देते हैं। जिसका 90 प्रतिशत भाग दिल्ली में फैल जाता है। इनकी वजह से पूरे साल तक दिल्ली में प्रदूषण का स्तर अधिक रहता है। वहीं अगर वाहनों से निकलने वाले धुएं में पाये जाने वाले NOx उत्सर्जन की बात करें तो उसका योगदान करीब 36 प्रतिशत तक रहता है। विद्युत संयंत्रों से उत्सर्जित होने वाली SOx और NOx उस समय पूरी दिल्ली में फैल जाती है, जब उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्वी हवाएं चलती हैं।

सुझाव जो टास्क फोर्स ने सरकार को दिये:

दिल्ली-एनसीआर में स्थिति र्थमल पावर प्लांट में कोयले का प्रयोग कम करके उन्हें गैस पर आधारित बनाया जाये। यह कार्य बेहद कठिन है और इसमें समय भी लगेगा, लिहाज़ा जरूरी है कि सभी थर्मल पावर प्लांट में SOx, NOx और PM को नियंत्रित करने वाली एडावंस कंट्रोल यूनिट लागायीजायें।

Delhi Pollution

उत्तरी क्षेत्र के ग्रिड में बिजली की सप्‍लाई के लिये उन पावर प्लांट को प्राथमिकता दी जानी चाहिये, जो सभी नियमों का सख्‍ती से पालन कर रहे हैं। या फिर जहां-जहां प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र लगे हैं।

केंद्र सरकार को एक रिव्यू कमेटी बनाने की जरूरत है, जो यह सुनिश्चित करे कि कोयले की सप्लाई उन्हीं संयंत्रों को की जाये, जो नियम के पक्के हों।

12 में से 10 पावर प्लांट में नहीं है SO2 नियंत्रण यूनिट

क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला कहती हैं कि केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इन सुझावों को अमल में लाना चाहिये। दक्षिण कोरिया की बात करें तो वहां पर धीरे-धीरे कोयले पर आधारित थर्मल पावर प्लांट बंद किये जा रहे हैं। दक्षिण कोरिया का लक्ष्‍य 2050 तक कोयले के प्रयोग को शून्य तक लाने का है। ऐसे कदम भारत में भी उठाने की जरूरत है, लेकिन इसके लिये राजनीतिक इच्‍छा शक्ति की जरूरत है। हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस पर बड़े कदम जरूर उठायेगी।

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर की लीड एनालिस्ट लॉरी मिलीविर्ता कहती हैं कि दिल्ली एनसीआर में 15 कोयला आधारित र्थमल पावर प्लांट हैं, जिनमें से 12 पूरी तरह सक्रिय हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सल्फर डाइऑक्साइड को नियंत्रित करने के लिये संयंत्र लगाने के दिसम्बर 2019 तक की डेडलाइन दी थी। 12 में से 10 इस काम को अब तक पूरा नहीं कर पाये हैं। नियमित रूप से बिजली सप्लाई के लिये इन सभी संयंत्रों का चलते रहना भी जरूरी है, लेकिन प्रदूषण नियंत्रिण यूनिट के बगैर चलाना भी ठीक नहीं। लिहाज़ा सरकार को बीच का रास्ता निकालने की जरूरत है। यही नहीं पेट्रोकेमिलकर, सीमेंट, धातुओं और ईंट बनाने वाले उद्योगों पर भी प्रदूषण नियंत्रण यूनिट लगाने का दबाव बनाने की जरूरत है।

Comments
English summary
Niti Aayog, along with Confederation of Indian Industry (CII), had set up the ‘Cleaner Air, Better Life’ initiative in 2016. Now the task force has released the report on Clean Air, with the focus on Delhi.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X