गोरखपुर फतह करने वाली निषाद पार्टी थाम सकती है बीजेपी का दामन, सीएम योगी से मिले पार्टी के नेता
नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल उस वक्त तेज हो गई जब शुक्रवार को महागठबंधन की ही एक सहयोगी पार्टी ने उनसे अलग होने का ऐलान कर दिया। तीन दिनों पहले यूपी में महागठबंधन का हिस्सा बनने वाली निषाद पार्टी ने लोकसभा चुनाव में सीट ना मिलने का हवाला देते हुए सपा-बसपा-रालोद के गठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी। वहीं, इस ऐलान के एक घंटे के भीतर ही निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद और अन्य नेता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने जा पहुंचे।
महागठबंधन से अलग होने का निषाद पार्टी ने किया फैसला
साल 2018 के उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में जीत का परचम लहराकर प्रवीण निषाद ने बड़ा उलटफेर किया था। आगामी लोकसभा चुनाव में भी उनकी पार्टी सपा-बसपा और रालोद के साथ महागठबंधन का हिस्सा बनी थी। लेकिन चुनाव से ठीक पहले अपनी राहें अलग करने के ऐलान के साथ निषाद पार्टी ने महागठबंधन को बड़ा झटका दे दिया। सपा के टिकट पर गोरखपुर उपचुनाव में जीत करने वाले प्रवीण निषाद के पिता और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने अखिलेश यादव की मौजूदगी में गठबंधन में शामिल होने का ऐलान किया था। ऐसी खबरें थी कि गोरखपुर से एक बार फिर प्रवीण निषाद को महागठबंधन का उम्मीदवार बनाया जाएगा।
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पोस्टर या पत्र पर भी हमारा नाम नहीं रखा- संजय निषाद
महागठबंधन से अलग होने का ऐलान करते हुए संजय निषाद ने कहा कि, 'हमारी पार्टी को सीट देने को कहा गया था, लेकिन गठबंधन में एक भी सीट नहीं मिली है। हम 'गठबंधन' के साथ नहीं हैं। अखिलेश यादव ने कहा था कि वह हमारी पार्टी के लिए सीटों की घोषणा करेंगे। लेकिन उन्होंने पोस्टर या पत्र पर भी हमारा नाम नहीं रखा। अब हम स्वतंत्र हैं, स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ सकते हैं और अन्य विकल्पों की भी तलाश कर सकते हैं।'
महाराजगंज में अपने चुनाव निशान पर लड़ना चाहते थे चुनाव- निक्की निषाद
वहीं, निषाद पार्टी के मीडिया प्रमुख रितेश उर्फ निक्की निषाद ने कहा, महाराजगंज सीट को लेकर सपा-निषाद पार्टी के बीच मतभेद था। हमारी पार्टी अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ना चाहती थी जबकि सपा इसके लिये तैयार नहीं थी। निषाद पार्टी के कार्यकर्ता सपा के निशान पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थे और उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देना शुरू कर दिया था। निषाद पार्टी के इस फैसले पर अभी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
सीएम योगी से मुलाकात के बाद भाजपा के साथ जाने की अटकलें तेज
माना जा रहा है कि निषाद पार्टी की असली नाराजगी गोरखपुर सीट को लेकर थी जहां से प्रवीण निषाद ने चौंकाने वाले परिणाम दिए थे। जबकि प्रेस कॉन्फ्रेंस के एक घंटे के अंदर ही जिस तरह निषाद पार्टी के नेताओं ने सीएम योगी से मुलाकात की, उसको लेकर अटकलें तेज हो गई हैं कि वे भाजपा के साथ जा सकते हैं। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि गोरखपुर और जौनपुर सीटों को लेकर बीजेपी-निषाद पार्टी की बात हो रही है। हालांकि अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।