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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बोलीं- 'गणेश की प्रतिमा चीन से क्यों मंगाएं.....मिट्टी से नहीं बना सकते'

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नई दिल्ली- मोदी सरकार ने साफ किया है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान का यह मतलब कतई नहीं है कि कुछ भी आयात करना ही नहीं है। बल्कि, ऐसी चीजों की आयात में कोई दिक्कत नहीं है, जो हमारे उद्योगों और अर्थव्यवस्था के विकास में मदद करे और रोजगार के अवसर पैदा करने के साथ-साथ भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता करे। ये बातें देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तमिलनाडु में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को लेकर हुए जनसंवाद कार्यक्रम में कही हैं। अलबत्ता उन्होंने उन चीजों के आयात पर बहुत ज्यादा हैरानी जताई है, जो देश में ही उपलब्ध हैं और वो हमारी परंपरा का हिस्सा रही हैं, जैसे कि भगवान गणेश की प्रतिमा।

देश के विकास में मदद करने वाले आयात में दिक्कत नहीं

देश के विकास में मदद करने वाले आयात में दिक्कत नहीं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि कहा कि विकास के लिए बाहर से चीजें आयात करने में कुछ भी गलत नहीं है। हालांकि, गणेश की प्रतिमा भी चीन से मंगवाने पर उन्होंने हैरानी जरूर जताई है। वर्चुअल लिंक के जरिए तमिलनाडु में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जो कच्चा माल देश में उपलब्ध नहीं है और उद्योगों के लिए वह आवश्यक है तो उसके आयात में कुछ भी गलत नहीं है। मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के बारे में आयोजित कार्यक्रम में वो बोलीं कि 'जो कच्चा माल देश में उपलब्ध नहीं है और उत्पादन के लिए उसकी आव्यकता है और उससे रोजगार की संभावनाएं पैदा होती हैं तो उसके आयात में कोई गलत नहीं है और यह निश्चित तौर पर किया जाना चाहिए।' हालांकि उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि जिन चीजों के आयात से रोजगार की संभावनाएं नहीं बढ़तीं उससे आत्मनिर्भर भारत के विकास और देश की अर्थव्यवस्था को मदद नहीं मिल सकती।

'गणेश की प्रतिमा चीन से क्यों मंगाएं.....मिट्टी से नहीं बना सकते'

'गणेश की प्रतिमा चीन से क्यों मंगाएं.....मिट्टी से नहीं बना सकते'

वित्त मंत्री ने कहा कि परंपरागत तौर पर गणेश चतुर्थी के त्योहार पर गणेश की मिट्टी की बनी प्रतिमाएं स्थानीय कुम्हारों से ही खरीदी जाती थीं। वो बोलीं, 'लेकिन आज, गणेश की प्रतिमाएं भी चीन से क्यों आयात की जाती हैं.....ऐसी स्थिति क्यों है......क्या हम मिट्टी से गणेश की प्रतिमा नहीं बना सकते, क्या ऐसी हालत है?' उन्होंने हैरानी जताईं कि रोजमर्रे की चीजें जैसे कि साबुन के बॉक्स, प्लास्टिक के सामान या पूजा के उपयोग में आने वाली अगरबत्तियां जो स्थानीय एएमएसएमई बनाती हैं और उससे आत्मनिर्भर भारत को समर्थन मिलता है तो ऐसी चीजों का आयात क्यों होने चाहिए। उन्होंने बताया कि आत्मनिर्भर भारत का मुख्य मकसद यही है कि जो चीजें स्थानीय स्तर पर बन रही हैं और वो उपलब्ध हैं, उसके आयात में बदलाव होना चाहिए।

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स्थानीय निर्माताओं के समर्थन के लिए आत्मनिर्भरत भारत अभियान

स्थानीय निर्माताओं के समर्थन के लिए आत्मनिर्भरत भारत अभियान

निर्मला सीतारमण ने कहा कि आत्मनिर्भरता भारत में हमेशा से उपयोग में रहा है, लेकिन धीरे-धीरे इसमें कमी आई है और इसीलिए स्थानीय निर्माताओं का समर्थन करने के लिए ये अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने साफ किया कि 'आत्मनिर्भर भारत अभियान का ये मतलब नहीं है कि आयात बिल्कुल ही होना ही नहीं चाहिए।' उनके मुताबिक ऑद्योगिक विकास और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए आपको जिस चीज की आवश्यकता है आयात कीजिए। बता दें कि भाजपा के तमाम नेता और मोदी सरकार में मंत्री इन दिनों वर्चुल माध्यम के जरिए लोगों और कार्यकर्ताओं के साथ जनसंवाद कर रही हैं और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की एक साल की उपलब्धियां गिना रही हैं।

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English summary
FM Nirmala Sitharaman said- 'Why get Ganesha's idol from China ... cannot be made from clay'
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