रामचंद्र गुहा पर निर्मला सीतारमण का पलटवार, कहा- चिंता न करें, अर्थव्यवस्था सुरक्षित हाथों में
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था को बहुत ही नुकसान पहुंचा है। जिस वजह से अब जानकार सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं। इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और इतिहासकार रामचंद्र गुहा के बीच ट्विटर पर जंग छिड़ गई। जिस पर जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उन्हें अर्थव्यवस्था की चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वो सुरक्षित हाथों में है।
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दरअसल सबसे पहले गुहा ने ब्रिटिश लेखक फिलिप स्प्राट की 1939 की टिप्पणी का हवाला देते हुए ट्विटर पर लिखा कि गुजरात आर्थिक रूप से मजबूत तो था, लेकिन सांस्कृतिक रूप से पिछड़ा था। वहीं इससे उलट बंगाल आर्थिक रूप से पिछड़ा था, लेकिन सांस्कृतिक रूप से संपन्न। इस पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने जवाब देते हुए लिखा कि देश के लोग विभाजित करने वाली नीति में नहीं फंसेंगे। पहले अंग्रेज देश को बांटने आए थे और अब एलीट लोग। गुजरात भी महान है और बंगाल भी महान है। पूरा देश एकजुट है। हमारी संस्कृति की नींव काफी मजबूत है।
The economy is very much in safe hands; worry not, Mr. Guha. Taking cognisance of thoughts in current national discourse+responsibly doing my job aren’t mutually exclusive. Either way, an interest in history is a plus. Surely an intellectual such as yourself should know that 🙏🏽. https://t.co/speBC2bggv
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) June 11, 2020
वित्त मंत्री ने कहा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 10,361.75 करोड़ रुपए ऋण को मंजूरी दी, लेकिन?
इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी ट्विटर पर मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने एक लिंक पोस्ट करते हुए लिखा कि फिलिप स्प्रैट ने जब यह लिखा तब गुजरात में ये हो रहा था। जामनगर महाराजा जाम साहेब दिग्विजय सिंह जी जडेजा ने पोलैंड के 1000 बच्चों को बचाया था। इस पर तुरंत गुहा ने पलटवार किया। उन्होंने लिखा कि पहले मुझे लगता था कि सिर्फ गुजरात के मुख्यमंत्री ने टिप्पणी की लेकिन अब वित्त मंत्री को भी एक इतिहासकार का ट्वीट सता रहा है। अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से सुरक्षित हाथों में है। इस पर निर्मला सीतारमण ने लिखा कि आप चिंता ना करें, अर्थव्यवस्था बहुत ही सुरक्षित हाथों में है। उन्होंने आगे लिखा कि राष्ट्रीय चर्चा पर विचारों का संज्ञान लेना और अपना काम करना कोई विशेष बात नहीं है।