निर्भया कांड: 'ब्वॉयफ्रेंड' के खिलाफ मुजरिम के पिता ने दर्ज की शिकायत, वरिष्ठ पत्रकार ने पैसे लेकर इंटरव्यू देने का किया था खुलासा
नई दिल्ली: दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया गैंगरेप ने पूरे देश को हिला दिया था। इस मामले में लड़की के दोस्त और चश्मदीद गवाह के बयानों ने सनसनी मचा दी थी। पिछले महीने एक वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम, जो कि दो टीवी न्यूज चैनलों के मैनेजिंग एडिटर रह चुके हैं, उन्होंने खुलासा किया था कि निर्भया का साथी जो उसके साथ गैंगरेप के समय बस में सवार था, उसने टीवी न्यूज चैनलों से पैसे लेकर इंटरव्यू दिए। इस खुलासे ने लोगों को हैरान कर दिया था। अब इस मामले में नया मोड़ आया है। निर्भया कांड के दोषियों में से एक दोषी के पिता ने लड़की के दोस्त और इस मामले के चश्मदीद गवाह के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

दोषी के पिता ने ब्वॉयफ्रेंड" के खिलाफ की शिकायत
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक निर्भया केस में दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता के पिता हीरा लाल गुप्ता ने दिल्ली के आर.के. पुरम थाने और डीसीपी दक्षिण पश्चिम दिल्ली के पास शिकायत दर्ज कराई है। अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि इस मामले में चश्मदीद झूठा है और वो मीडिया में पैसे लेकर बयान दे रहा था। दोषी पवन कुमार गुप्ता दिल्ली के मंडोली में जेल नंबर 14 में कैद है।

'सोशल मीडिया से मिली जानकारी'
हीरा लाल गुप्ता ने 2 नवंबर 2019 को दर्ज कराई अपनी शिकायत में कहा कि मुझे 12 अक्टूबर 2019 को सोशल मीडिया के जरिए पता चला कि निर्भया का दोस्त, जो कि इस मामले का मुख्य चश्मदीद था, वो पैसे के लिए बयान देता था। गुप्ता ने अपनी शिकायत में पुलिस द्वारा की गई जांच के आधार पर भी सवाल उठाए हैं, जिसकी बुनियाद पर आरोपियों को दोषी ठहराया गया। गुप्ता द्वारा दर्ज की गई शिकायत में एक टीवी चैनल के दो-तीन वरिष्ठों को भी गवाह के बतौर पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि खुद को एक हिंदी न्यूज चैनल का पूर्व मैनेजिंग एडिटर होने का दावा करने वाले शख्स ने, कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर दावा किया था कि निर्भया का दोस्त और इस मामले का इकलौता चश्मदीद गवाह मोटी रकम लेकर ही न्यूज चैनलों में जाता था और पैसे लेता था। उसकी इस घिनौनी हरकत का स्टिंग ऑपरेशन करने का दावा भी इस पूर्व मैनेजिंग एडिटर ने किया था।

'स्टिंग से मेरे मुवक्किल बच सकते थे'
इस मामले में सजा काट कर रहे दोषी के वकील ने कहा कि स्टिंग से मेरे मुवक्किल बच सकते थे। हम मैनेजिंग एडिटर को स्टिंग ऑपरेशन के साथ कोर्ट में पेश होने के लिए कहेंगे। कानून सभी के लिए समान है। गुप्ता ने कहा कि उन्होंने याचिका के साथ सोशल मीडिया की कुछ क्लिपिंग भी दी है, जिससे पुलिस को जांच में मददद मिलेगी। उन्होंने अपनी शिकायत में चैनल के मैनेजिंग एडिटर के नाम का खुलासा भी किया। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील डॉ. एपी सिंह जो कि चार में तीन मुजरिमों की पैरवी कर रहे हैं, आईएएनएस से कहा कि अगर ये
सच है कि इस मामले के एकमात्र चश्मदीद गवाह ने पैसों के लिए टीवी इंटरव्यू दिए तो हम अपने मुवक्किलों की सुरक्षा के लिए बर कानूनी तरीके का सहारा लेंगे। झूठी गवाही का खामियाजा हमारे मुवक्किल क्यों भोगें? जिस गवाह का चरित्र ही संदेह के घेरे में आ गया हो, अदालत में दिए उसके बयानों पर भला फिर भरोसा कैसे कर लिया जाए?

'एसएचओ ने की पुष्टि'
आर.के. पुरम पुलिस स्टेशन के एसएचओ रवीद्र मलिक ने बुधवार को बताया कि हां हमें शिकायत मिली है। निर्भया गैंगरेप वसंत विहार पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था लेकिन चश्मदीद के खिलाफ शिकायत आर.के. पुरम पुलिस स्टेशन में की गई है। वकील डॉ एपी सिंह ने कहा कि हमने वसंत विहार थाने में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन हमें टाल दिया गया। इसके साथ हमने डीसीपी देवेंद्र आर्या के दफ्तर में मैं शिकायत दर्ज की। इस पर वसंत विहार पुलिस स्टेशन के एसएचओ रवि शंकर ने कहा कि वे मेरे पास शिकायत लेकर आए थे लेकिन चूंकि वे आरके पुरम में रहते हैं इसलिए मैंने यहां शिकायत दर्ज नहीं की।

'स्टूडियो इंटरव्यू के लिए 70 हजार दिए'
अजीत अंजुम ने ट्वीट कर खुलासा किया था कि निर्भया के उस 'दोस्त' को स्टूडियो इंटरव्यू के लिए 70 हजार दिए गए। खुफिया कैमरे में सब रिकार्ड हुआ। फिर उसे स्टूडियो ले जाया गया। दस मिनट की बातचीत के बाद ऑन एयर ही उस लड़के से पूछा गया कि आप निर्भया की दर्दनाक दास्तान सुनाने के लिए चैनलों से पैसे क्यों लेते हो ? उन्होंने आगे लिखा कि हमने तय किया था कि ये शो पहले रिकार्ड करेंगे, फिर तय करेंगे कि क्या करना है। वो लड़का पैसे लेने की बात से इंकार करता रहाय़ फिर रिकार्डिंग के दौरान ही उस लड़के को ऑन स्क्रीन ही उसके स्टिंग का हिस्सा दिखाया गया,तब उसके होश उड़ गए। कैमरों के सामने उसने माफी मांगी।

क्या था निर्भया गैंगरेप
16 दिसंबर साल 2012 की रात को 23 साल की 'निर्भया', जो कि पैरामेडिकल की छात्रा थी। वो फिल्म देखने के बाद अपने एक दोस्त के साथ बस में सवार होकर मुनिरका से द्वारका जा रही थी। उस समय बस में उनके अलावा 6 और लोग मौजूद थे। थोड़ी देर बाद इन लोगों ने निर्भया के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। उसके दोस्त के विरोध करने पर उसे बुरी तरह पीटकर बेहोश कर दिया। इसके बाद इन लोगों ने चलती बस में उसके साथ गैंगरेप किया और उसके प्राइवेट पार्ट्स में लोही की रोड डाल दी। इन लोगों ने गैंगरेप करने के बाद उसे महिपालपुर के पास वसंत विहार इलाके में चलती बस से फेंक दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा
29 दिसंबर, 2012 को निर्भया जिन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, हालत में सुधार न होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। बाद में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पांचों दोषियों पर आरोप तय किए। वहीं एक आरोपी राम सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इनमें एक आरोपी नाबालिग था। जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग दोषी को गैंगरेप और हत्या का दोषी करार दिया। उसको तीन साल के लिए सुधार गृह में भेज दिया गया। बाद में 5 मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई।
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