निर्भया केस: SC में रिव्यू पिटीशन खारिज, दोषी अक्षय ने दया याचिका के लिए मांगा तीन हफ्ते का वक्त
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में निर्भया गैंगरेप के दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका खारिज हो गई है। कोर्ट ने कहा कि इस केस की जांच सही हुई है और उसमें कोई कमी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि मौत की सजा पर दोषी को बचाव का पूरा मौका दिया गया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। वहीं, कोर्ट के फैसले के बाद वकील एपी सिंह की तरफ से दया याचिका दायर करने के लिए तीन हफ्ते का वक्त मांगा गया।
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दोषी के वकील की दया याचिका के लिए तीन हफ्ते का वक्त मांगने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसके लिए केवल 7 दिन जा सकते हैं। राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका देने के लिए 7 दिनों का वक्त मिलता है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि निर्धारित समय के भीतर याचिकाकर्ता द्वारा दया याचिका दी जा सकती है।
निर्भया केस: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पुनर्विचार याचिका, दोषियों को कभी भी हो सकती है फांसी
सात साल पहले के गैंगरेप-हत्या के दिल दहला देने वाले केस में चार दोषियों में से एक अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया। इसके पहले, सुनवाई के दौरान अक्षय के वकील ने दिल्ली पुलिस की जांच और गवाह के बयान पर सवाल उठाए थे। साथ ही दोषी का पक्ष रख रहे वकील एपी सिंह ने कहा कि अब उनके पास इस मामले में नए तथ्य हैं।
Solicitor General Tushar Mehta says seven days can be given to file review and that one week is the time prescribed to file mercy petition before the President.
Court says Petitioner can avail the relief of mercy petition within the time stipulated. https://t.co/vRKKytgf5o
— ANI (@ANI) December 18, 2019
सुप्रीम कोर्ट में एपी सिंह ने कहा कि उनके मुवक्किल को मीडिया के दबाव, सार्वजनिक दबाव और राजनीतिक दबाव आदि के बाद दोषी ठहराया गया था और यह अभी भी है। एपी सिंह ने दलील देते हुए कहा कि ये ऐसा केस है जहां अक्षय एक निर्दोष और गरीब आदमी है। वकील ने गवाह अवनींद्र पांडेय पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि इस मामले में गवाह के सबूत और बयान भरोसा करने लायक नहीं हैं। हालांकि, कोर्ट उनकी दलीलों से सहमत नहीं था और पुनर्विचार की याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया।