22 जनवरी को फांसी से पहले निर्भया के दोषियों के पास बची आखिरी उम्मीद, मुकेश सिंह ने राष्ट्रपति के पास भेजी दया याचिका
नई दिल्ली- दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने के लिए 22 जनवरी की सुबह 7 बजे का वक्त मुकर्रर कर रखा है। इससे पहले मंगलवार को चार में से दो गुनहगारों विनय शर्मा और मुकेश सिंह की क्यूरेटिव पिटिशन भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। ऐसे में लग रहा था कि अब उनके पास फांसी से बचने का कोई रास्ता नहीं बच गया है। लेकिन,लगता है कि फांसी के फंदे पर लटकने से कुछ कदम दूर खड़े निर्भया के इन गुनहगारों के पास अभी भी उम्मीद की आखिरी किरण बाकी है; और इसी उम्मीद के तहत एक गुनहगार मुकेश सिंह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास दया याचिका भेज दी है। इसका मतलब ये भी है कि अब जबतक राष्ट्रपति उसकी दया याचिका खारिज नहीं करते सभी दोषियों की फांसी की सजा रुकी रहेगी। यही नहीं मुकेश ने पटियाला हाउस कोर्ट से जारी डेथ वारंट के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में भी याचिका दी है, जिसपर बुधवार को सुनवाई होगी।
दो दोषियों का क्यूरेटिव पिटिशन खारिज
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया केस के दो दोषियों विनय शर्मा (26) और मुकेश सिंह (32) की ओर से दायर क्यूरेटिव पिटिशन खारिज कर दी। विनय की ओर से दलील दी गई थी कैपिटल पनिशमेंट देते वक्त कोर्ट ने उसकी युवावस्था की ओर ध्यान नहीं दिया। उसने अपने परिवार की सामाजिक और आर्थिक हालातों, अपने माता-पिता की बीमारियों और जेल में अपने अच्छे व्यवहार का हवाला भी दिया था कि इन विषयों को फैसले में नजरअंदाज किया गया, जिसमें अदालत के पास सुधार करने की गुंजाइश बची हुई है, क्योंकि इन वजहों से उसके साथ न्याय नहीं हो पाया है। लेकिन, इन दलीलों को सुनने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस अशोक भूषण की पांच सदस्यीय बेंच ने क्यूरेटिव पिटिशन को ठुकरा दिया।
निर्भया के दोषियों की आखिरी उम्मीद दया याचिका
क्यूरेटिव पिटिशन खारिज हो जाने के बाद लग रहा था कि दोषियों के लिए बहुत बड़ा झटका है, लेकिन अभी भी उनके पास फांसी के फंदे पर लटकने से बचने की आखिरी उम्मीदें बाकी हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद भी उनके पास देश के राष्ट्रपति के पास दया याचिका देने का अंतिम उपाय बाकी है। इसी विकल्प का इस्तेमाल करते हुए निर्भया के एक दोषी मुकेश सिंह ने मंगलवार को राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेज दी है। संविधान के आर्टिकल-72 के तहत राष्ट्रपति को दया याचिका पर सुनवाई करने का अधिकार है। संविधान के तहत राष्ट्रपति गृहमंत्रालय की सलाह पर किसी भी दोषी को माफ कर सकते हैं, उसकी सजा कम कर सकते हैं या फिर उसकी दया याचिका लौटा दे सकते हैं। लेकिन, जैसे ही राष्ट्रपति के यहां से ये याचिका नामंजूर होती है, मुजरिम के पास फांसी से बचने के सारे कानूनी अधिकार खत्म हो जाते हैं।
फांसी के लिए अभी और करना होगा इंतजार?
गौरतलब है कि अब जब तक राष्ट्रपति मुकेश सिंह की दया याचिका खारिज नहीं करते किसी भी दोषी को फांसी नहीं दी जा सकेगी। उधर मुकेश सिंह ने दया याचिका के अलावा दिल्ली हाई कोर्ट में पटियाला हाउस कोर्ट से जारी डेथ वारंट के खिलाफ भी अर्जी दायर की है, जिसपर बुधवार को सुनवाई होनी है। यही नहीं, इस मामले में एक कानूनी पेंच और बाकी है कि दो और दोषियों अक्षय ठाकुर (31)और पवन गुप्ता (25) के ओर से सुप्रीम कोर्ट में अभी तक कोई क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल नहीं किया गया है। इसमें पवन गुप्ता की ओर से पहले से ये बात कही जा रही है कि अपराध के वक्त वह नाबालिग था। ऐसे में उनके पास भी अभी सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने का विकल्प बचा हुआ है। जिसके बाद राष्ट्रपति के पास दया याचिका देने का भी विकल्प होगा।
तिहाड़ में फांसी कोठी तैयार है
आपको बता दें कि तिहाड़ में फांसी कोठी जेल नंबर-3 में है, जहां चारों गुनहगारों को फांसी देने की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। पहले हाल तक वहां एक साथ सिर्फ दो कैदियों को फांसी देने का इंतजाम था। लेकिन, अब वहां फांसी के तख्त में बड़ा बदलाव किया गया है, जिससे निर्भया के चारों गुनहगारों अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह और विनय शर्मा को इकट्ठे ही फांसी के तख्ते पर लटकाया जा सके। इन चारों को फांसी देने के लिए अदालत ने 22 जनवरी को सुबह 7 बजे का वक्त तय किया हुआ है, जिसके लिए यूपी के जेलों से दो जल्लादों के भी इंतजाम किए जा चुके हैं।
निर्भया कांड पर एक नजर
16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल की स्टूडेंट निर्भया के साथ 6 लोगों ने चलती बस में गैंगरेप किया था और उसके शरीर के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं। निर्भया को इन दरिदों ने जघन्य वारदात के बाद उसके मित्र के साथ चलती बस से दक्षिणी दिल्ली के इलाके में नीचे फेंक दिया था। इस घटना को लेकर दिल्ली समेत पूरे देश में जन-आक्रोश उमड़ पड़ा। बाद में निर्भया ने सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस केस के 6 में से एक आरोपी ने ट्रायल के दौरान ही जेल में ही खुदकुशी कर ली थी। जबकि, छठा आरोपी नाबालिग होने की वजह से बाल सुधार गृह में मामूली समय गुजार कर बरी हो चुका है। अब निर्भया के माता-पिता समेत पूरा देश उन बचे हुए चारों गुनहगारों की सजा-ए-मौत का इंतजार कर रहा है।