निर्भया केस: डेथ वारंट में क्या लिखा होता है, जिसके जारी होते ही फौरन दे दी जाती है फांसी
निर्भया केस के दोषियों को किस दिन होगी फांसी, ब्लैक वारंट से होगा तय, जानिए क्या होता है ब्लैक वारंट
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नई दिल्ली। दिल्ली के बसंत विहार गैंगरेप मामले में चारों दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। माना जा रहा है कि दोषियों की दया याचिका पर राष्ट्रपति की तरफ से अंतिम फैसला आने के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन फांसी की प्रक्रिया शुरू कर देगा। इससे पहले रविवार रात को दिल्ली की मंडोली जेल में बंद विनय मिश्रा को तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया था। चारों दोषियों को तिहाड़ जेल की अलग-अलग कोठरियों में रखा गया है और उनके ऊपर सीसीटीवी कैमरे से निगरानी रखी जा रही है। राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका खारिज होने के बाद चारों दोषियों के खिलाफ ब्लैक वारंट जारी किया जाएगा। आइए जानते हैं कि क्या होता है ब्लैक वारंट?
कब जारी होता है ब्लैक वारंट
ब्लैक वारंट को डेथ वारंट भी कहा जाता है। फांसी की सजा पाए किसी भी दोषी के खिलाफ ब्लैक वारंट उस वक्त जारी किया जाता है, जब न्यायिक प्रक्रिया पूरी हो जाती है और दोषी की सभी अपील खारिज हो जाती हैं। राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका ठुकराए जाने के बाद जेल प्रशासन ब्लैक वारंट के लिए कोर्ट जाता है। ब्लैक वारंट जारी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के नियमों के मुताबिक, जेल अधिकारी दोषियों और उनके परिजनों को फांसी के बारे में जानकारी देते हैं। इस ब्लैक वारंट पर फांसी दिए जाने की तारीख और समय लिखा होता है।
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डेथ सर्टिफिकेट के साथ कोर्ट भेज दिया जाता है ब्लैक वारंट
ब्लैक वारंट जारी होने के बाद दोषी की इच्छा पर उसके परिजनों के साथ उसकी मुलाकात कराई जाती है। साथ ही ब्लैक वारंट जारी करने वाले जज दोषी की बात भी सुनते हैं। इन सारी प्रक्रियाओं के बाद तय तारीख और तय समय पर दोषी को फांसी दे दी जाती है। फांसी देने के बाद जेल के डॉक्टर चेक करते हैं कि दोषी मर चुका है या नहीं। डॉक्टर की तरफ से दोषी की मौत की पुष्टि किए जाने के बाद जेल अधीक्षक ब्लैक वारंट पर अपने साइन करते हैं। इसके बाद डॉक्टर दोषी का डेथ सर्टिफिकेट जारी करता है और इस डेथ सर्टिफिकेट को ब्लैक वारंट के साथ कोर्ट वापस भेजकर बताया जाता है कि दोषी को फांसी दे दी गई है।
विनय शर्मा को तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया
आपको बता दें कि 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले में तीन अन्य दोषी अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह और पवन गुप्ता पहले से ही तिहाड़ जेल में थे। जबकि, विनय शर्मा को रविवार रात को तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया। इसके पीछे वजह माना जा रही है कि राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका पर फैसला आने के तुरंत बाद चारों को फांसी दी जा सकती है। हाल ही में निर्भया केस में दोषी विनय शर्मा ने अपनी दया याचिका को तत्काल वापस लेने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष एक याचिका दायर की थी। विनय शर्मा ने दावा किया था कि उसने किसी दया याचिका पर साइन नहीं किए हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और गृह मंत्रालय को पिछले शुक्रवार को भेजी गई एक चिट्ठी के मुताबिक, विनय शर्मा ने दया याचिका को रद्द करने की मांग की और साथ ही कहा कि यह दया याचिका बिना उसकी सहमति के भेजी गई थी।
'प्रदूषण से वैसे ही मर जाएंगे, फांसी की क्या जरूरत'
वहीं, सोमवार को निर्भया केस के एक अन्य दोषी अक्षय ठाकुर ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अक्षय ठाकुर ने फांसी की सजा से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की। अक्षय ठाकुर ने अपनी दलील में कहा कि दिल्ली में तो प्रदूषण से वैसे ही मर जाएंगे, फांसी की क्या जरूरत है। दूसरी तरफ तिहाड़ जेल में कोई जल्लाद ना होने के चलते जेल के अधिकारियों ने दूसरे राज्यों में जल्लाद को लेकर संपर्क साधना शुरू कर दिया है। तिहाड़ जेल के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इसी महीने में निर्भया के दोषियों के लिए कभी भी फांसी की तारीख आ सकती है, ऐसे में जेल अधिकारी फांसी के इंतजाम पूरे रखने को लेकर अपने सभी विकल्पों की जांच कर रहे हैं।
7 साल बाद मिलेगा निर्भया को न्याय
गौरतलब है कि दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को अपने घर लौट रही 23 वर्षीय छात्रा से बस के अंदर गैंगरेप के मामले में 6 लोगों को दोषी ठहराया गया था। इस घटना के कुछ दिन बाद छात्रा की मौत हो गई और लोगों ने सड़कों पर उतरकर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर विरोध प्रदर्शन किए। दोषी ठहराए गए 6 लोगों में से एक राम सिंह ने ट्रायल के दौरान तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी, जबकि एक दोषी नाबालिग था। हाल ही में हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ गैंगरेप और उसे जलाकर मारने की घटना के बाद निर्भया के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी पर लटकाए जाने की मांग उठ रही है।
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