निर्भया के दोषियों की फांसी को लेकर तैयारी में जुटे तिहाड़ प्रशासन ने मंगाए केले, आखिर क्या है वजह
नई दिल्ली। निर्भया केस के चारों दोषियों की फांसी की की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है, तिहाड़ जेल प्रशासन इसकी तैयारी में जुटा हुआ है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का आदेश दिया गया है। चारों दोषियों को जेल नंबर 3 में फांसी दी जानी है। इसी बीच जानकारी सामने आई कि तिहाड़ जेल में दोषियों की 'डमी' के फांसी का ट्रायल किया गया। इसके बाद अब खबर आ रही कि तिहाड़ जेल के अधिकारियों की ओर से पके हुए केलों की मांग की गई है। आखिर पके केलों की मांग के पीछे जेल प्रशासन की क्या योजना है, बताते हैं आगे।
फांसी के फंदों को मुलायम रखने के लिए मंगाए गए केले
जानकारी के मुताबिक, तिहाड़ जेल प्रशासन ने फांसी के लिए इस्तेमाल होने वाली रस्सी को नरम बनाए रखने के लिए पके हुए केलों की मांग की है। इन केलों को फांसी के फंदों पर लगाकर 22 जनवरी तक स्टोरेज में रखा जाएगा जिससे ये फंदे नरम बने रहें। केले के इस्तेमाल से फंदे की गांठ भी फांसी देने के दौरान आसानी से ऊपर-नीचे हो सकेगी। यही नहीं फांसी के फंदों को मुलायम रखने के लिए केले का इस्तेमाल करने से पहले मक्खन का भी प्रयोग किया गया।
केले के साथ-साथ मक्खन का भी इस्तेमाल
जानकारी के मुताबिक, केले और मक्खन के प्रयोग से फांसी का फंदा नरम हो जाएगा, जिससे फांसी की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। यही नहीं इन फंदों को नरम होने के बाद स्टील के बर्तन में सुरक्षित रखा जाएगा और फांसी वाले दिन निकाला जाएगा। इससे पहले ये जांच की जाती रहेगी कि क्या फांसी के फंदे नरम और चिकने बने हुए हैं या नहीं। यही नहीं जेल प्रशासन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, चारों दोषियों की गले की नाप ली जा चुकी है। जब ये प्रक्रिया अपनाई गई तो चारों दोषीं कांप उठे और उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जब अधिकारियों ने दोषियों के गले का नाप लेनी शुरू की तो उन्होंने रोते हुए जेल अधिकारियों से भावुक अपील की। इस दौरान काफी मशक्कत के बाद उन्हें शांत कराया गया।
गले की नाम लेने के दौरान रो पड़े चारों दोषी
बता दें कि फांसी का फंदा बक्सर सेंट्रल जेल में तैयार किया जाता है, इसे बनाने के लिए कई खास बातों का ध्यान रखा जाता है। एक फांसी का फंदा 7200 कच्चे धागों से बनता है। उसे तैयार करने में दो से तीन दिन लग जाते हैं। करीब पांच से छह कैदी इसमें काम करते हैं और इसमें खास मशीन का भी इस्तेमाल किया जाता है। बक्सर केंद्रीय कारा के कैदी पुनर्वास प्रशिक्षण केंद्र में फांसी का फंदा वाली रस्सी बनाते हैं। यहीं नहीं जेल के एक अधिकारी के मुताबिक आजादी के बाद से अब तक देश में जितनी भी फांसी दी गई, उसके लिए ज्यादातर फंदा यहीं से भेजा गया है।
बक्सर सेंट्रल जेल से बनकर आते हैं फांसी के फंदे
यही नहीं बक्सर सेंट्रल जेल में बनाए जाने वाले फांसी के फंदे में खास मनीला रस्सी इस्तेमाल होती है। इस रस्सी को बनाने के लिए खास तरीका अपनाया जाता है। सबसे पहले कच्चे सूत को एक-एक कर तैयार किया जाता है, फिर सभी धागों को मोम में पूरी तरह भिगोया जाता है। इसके बाद सभी धागों को मिलाकर एक मोटी रस्सी तैयार की जाती है। एक फांसी के लिए करीब 18 फीट की रस्सी तैयार की जाती है।