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निर्भया केस: निर्भया ने आखिरी दिनों में मां से बयां किया था अपना ये दर्द...

The four convicts will be hanged on February 1 in the Delhi Collective Balachararat Nirbhaya case. Tell you what Nirbhaya had said to his mother in her last time? दिल्ली सामूहिक बालात्कार निर्भया केस में चारों दोषियों को 1 फरवरी को फांसी पर लटकाया जाएगा।निर्भया ने अपने आखिरी समय में अपनी मां से क्या

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बेंगलुरु। 16 दिसंबर 2012 की दिल्ली की वो काली रात जिसे याद कर निर्भया की मां कभी भी फफक कर रो पड़ती हैं और निर्भया के पिता बेटी की याद में आएं आंसू छिपाने लगते हैं। बीतें सात सालों से ये मां-बाप अपनी बेटी के साथ दरिंदगी करने वाले चारों हत्‍यारों को फांसी के फंदे पर लटकने का इंतजार कर रहे हैं। फांसी की सजा के बाद फांसी की तारीख तक मुकर्रर हो चुकी हैं। लेकिन दोषियों के वकीलों के कानूनी दांव पेंच फंसाने के कारण निर्भया का परिवार हर बार नयी तारीख के इंतजार में हर एक पल बिता रहा है।

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बता दें निर्भया सामूहिक गैंगरेप केस के चारों दोषी मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को तिहाड़ जेल में 1 फरवरी को सुबह 6 फांसी होगी। निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकने का निर्भया के माता पिता बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं

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आपको बता दें बीतें सात वर्षो में कई बार सभ्‍य समाज के कई लोगों ने अपने फायदे के लिए इन बेबस मां बाप के जख्‍मों को कई बार कुरेदा। जिसमें बुद्धिजीवी वर्ग भी शामिल था। निर्भया के परिवार को ताजा तकलीफ जानी मानी सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह का एक बयान ने दिया। जिसमें उन्‍होंने निर्भया की मां को बलात्कारियों को माफी देने की सलाह दी थी। इंदिरा जय सिंह ने कहा कि जैसे सोनिया गांधी ने राजीव गांधी के हत्यारों को माफ कर दिया था। वैसे निर्भया के दोषियों को निर्भया की मां को माफ कर देना चाहिए। जिस पर आशा देवी ने कहा था कि भगवान भी कहे तो भी माफ नहीं करूंगी। उनकी इस भावना के पीछे जरूर ही उनकी बेटी की वो चीखें हैं जिसमें सिर्फ और सिर्फ एक ही बात थी कि दरिंदों को उनके किए की कड़ी से कड़ी सजा दिलाना।

आखिरी दिन तक पीड़ा सहती रही निर्भया

आखिरी दिन तक पीड़ा सहती रही निर्भया

बता दें 16 दिसंबर से 29 दिसंबर 2012 के बीच जब निर्भया दुष्‍कर्मियों के द्वारा दिए गए गहरे जख्‍मों के दर्द से अस्‍पताल में जूझ रही थी तब निर्भया का परिवार ही नहीं पूरा देश उसके जल्‍द ठीक होने के लिए प्रार्थना कर रहा था। उस समय अस्‍पताल के बिस्‍तर पर दर्द से चीखती बेटी निर्भया की हालत देख कर मां आशा फूंट फूंट कर रो रही थी लेकिन तभी निर्भया ने हार नहीं मानी थी। उसके मन में भूचाल सा था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मौत की आगोश में जाने से पहले निर्भया ने अपनी मां को कई बातें बताईं थीं। जिसके बारे में आज भी निर्भया की मां सोचती हैं। आइए जानते हैं वो बातें जो निर्भया ने अपने जिंदगी के आखिरी पलों में अपनी मां से कही थी....

बोल न पाने के कारण लिख कर कहीं मां से अपने दिल की बात

बोल न पाने के कारण लिख कर कहीं मां से अपने दिल की बात

दिल्ली की सड़क पर चलती बस में छह लड़कों द्वारा गैंगरेप का शिकार हुई निर्भया का नाम यू ही निर्भया नहीं पड़ा। इस घटना के दौरान हैवानों की हैवानियत से आखिरी दम तक अपने को बचाने के लिए वो लड़ी लेकिन दरिंदों के आगे उसके सारी कोशिश असफल हो गयी। अस्‍पताल में इलाज के दौरान हालत बिगड़ने के बावजूद वह मौत को मात देने के लिए फाइट करती रही। उसने अपनी अंतिम सांस तक बहुत दृढ़ संकल्प दिखाया था। वह संकेत और लिखित शब्दों के माध्यम से डॉक्टरों और अपने परिवार वालों से बात कर रही थी। दिल्ली के एम्स अस्पताल में गैंगरेप की पीड़ा और सहन न होने वाला दर्द झेल रही निर्भया बोल तक नहीं पा रही थी। अपनी बात अपनी मां तक पहुंचाने के लिए वो हिम्मत जुटाकर उन्हें लिखकर समझा रही थी।

 मां, मैं जीना चाहती हूं

मां, मैं जीना चाहती हूं

16 दिसबंर2012 को गैंगरेप के बाद उसे सड़क पर वो दंरिदें नग्न अवस्‍था में सड़क पर चलती बस से फेंक कर चले गए थे काफी घंटों तक वह उसी हालत में सड़क पर तड़पती रही बाद में उसे दिल्ली के एम्स अस्‍पताल में भर्ती कराया गया। खून से लथपथ निर्भया उस समय असहनीय पीड़ा के कारण लगातार चीख रही थी। उसी पीड़ा में उसने 19 दिसंबर 2012 को उसने अपनी मां को लिख कर अपनी पीड़ा बतायी। निर्भया ने कहा था- मां, मैं जीना चाहती हूं। उसने लिखा कि मां मुझे बहुत दर्द हो रहा है। ये दर्द मुझसे सहा तक नहीं जा रही है। डॉक्टर्स की दवाईयां भी मेरा दर्द कम नहीं कर पा रही है। मैं इस दर्द और पीड़ा को सहन नहीं कर पा रही हूं।

मां मुझे नींद की दवा मत देने दो क्यों जब सो जाती हूं तो कोई...

मां मुझे नींद की दवा मत देने दो क्यों जब सो जाती हूं तो कोई...

अस्‍पताल में डा‍क्टर उसका जीवन बचाने के लिए हर प्रयाय करत रहे थे वहीं निर्भया कही हालत बिगड़ती जा रही थी। निर्भया ने 21 दिसंबर 2012 को होश में आने के बाद एक अपनी मां को लिखा कि मां मैं दर्द के कारण मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है मैं ठीक से सांस नहीं ले पा रही मेरा दम घुट सा रहा हैं। डॉक्‍टरों को बोलो मां मुझे दर्द की दवां न दें क्योंकि मैं जब सो जाती हूं तो कोई मेरे शरीर को नोंचता है। गहरी नींद के कारण मैं बेबस होती हूं। सोते हुए मैं क्या समझ पाती हूं, मुझे नहीं पता। निर्भया ये दर्द अपनी मां से इस उम्मीद से बता रही थी कि मां शायद उसका ये दर्द कुछ कम कर दें। निर्भया का ये दर्द बयां कर रहा था कि वह घटना के छह दिनों बाद भी वो काली रात को महसूस कर रही थी और स्‍वयं को बेबस महसूस कर रही थी।

मां पापा को बोलना दुखी न हो

मां पापा को बोलना दुखी न हो

22 दिसंबर 2012 को निर्भया ने अपनी मां से कहा कि आसपास के सारे शीशे तोड़ दो। मैं अपना चेहरा नहीं देखना चाहती। उसने मां को लिखा कि मैं नहाना चाहती हूं। मेरे शरीर से जानवरों के खून के बदबू आ रही है। मुझे अपने शरीर से नफरत हो रही है। मुझे छोड़कर मत जाना मां। मुझे बचा लो मां। इसके बाद अगले ही दिन 23 दिसंबर 2012 को लिखा की मां पापा कहां हैं वो मुझसे मिलने क्यों नहीं आते ? असहनीय दर्द को सहते हुए उसने लिखा मां पापा को बोलना दुखी न हो ।

मां अब मैं और दर्द नहीं झेल सकती, अब मैं..

मां अब मैं और दर्द नहीं झेल सकती, अब मैं..

निर्भया ने 26 दिसंबर को आखिरी बार लिख कर मां को अपना आखिरी दर्द बयां किया और कुछ इशारों में और कुछ बात लिख कर कहा कि वो अब वो मौत की नींद सो जाना चाहती हूं। वो अब दर्द नहीं झेल पा रही थी। उसे मां को लिखा कि वो अब इस दर्द को नहीं सह पा रही है और मरना चाहती है। वो दर्द सहते-सहते थक गई है। उसने मां ने कहा कि मुझे अब सोने दो। मां, मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मुझे दर्द हो रहा है। डॉक्टर से कहकर दवाई दे दो मुझे। मां, मुझे माफ कर देना। मैं थक गई हूं। अब और दर्द नहीं झेल सकती। मैं जीना नहीं चाहती और इस खत के बाद ही फिर वो कोमा में चली गई। जिसके बाद वो कभी नहीं जगी और अपनी मां और सभी को हम सभी को हमेशा के लिए अलविदा कर गयी।

इस कारण डाक्टरों के निर्भया को बचाने के सारे प्रयाय हुए असफल

इस कारण डाक्टरों के निर्भया को बचाने के सारे प्रयाय हुए असफल

बता दें निर्भया के डाक्‍टर जिन्‍होंने उसे बचाने के लिए दिन रात एक कर दिया था उनके अनुसार निर्भया की उन दरिंदों ने बुरी तरह लोहे की राड से पिटाई की थी जिसके कारण उसकी छोटी आंत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। बेहोशी की हालत में चलती बस से फेंकने के बाद उसके सिर और चेहरे पर गंभीर चोटें आईं थीं। डॉक्टरों ने यह भी आशंका जताई थी कि उसके शरीर पर गंभीर चोटों के कारण मवाद बनने शुरू हो गए थे। जिसके कारण उसकी रिकवरी मुश्किल होती जा रही थी । उसके पिता को डाक्‍टरों ने बताया था कि छोटी आंत जो 20 फीट लंबी है, पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। डाक्टरों के अनुसार अगर इसे हटा दिया गया तो उसका जिंदा रहने का कोई मतलब नहीं था। सिंगापुर में जब निर्भया की मौत हुई उसके बाद उसका परिवार के साथ दुनिया भर के लोगों को गहरा सदमा लगा था। निर्भया के साथ हुआ देश के लिए उससे दुर्भाग्यपूर्ण कुछ भी नहीं हो सकता।

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English summary
The four convicts will be hanged on February 1 in the Delhi Collective Balachararat Nirbhaya case. Tell you what Nirbhaya had said to his mother in her last time?
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