Nirbhaya case: दोषियों को अलग-अलग फांसी देने वाली याचिका पर SC कल करेगा सुनवाई
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नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप के चारों दोषी फांसी से बचने के लिए हर तरह के कानूनी दांव पेंच अपना रहे हैं। इसी कड़ी में दोषी विनय शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की जिसपर गुरुवार को सुनवाई की गई। लेकिन दोषी विनय को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है क्योंकि न्यायालय ने उसकी उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें उसने राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका खारिज करने को चुनौती दी थी। इसके अलावा दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगा।
गौरतलब है कि दोषी विनय शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ याचिका दायार की थी। इसके अलावा अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार ने दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की भी मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी विनय शर्मा की याचिका पर सुनावई करने से मना कर दिया है वहीं, अलग-अलग फांसी दिए जाने की मांग पर उच्चतम न्यायालय अब शुक्रवार को सुनावई करेगा।
'The social investigation report, medical status report, and nominal role of the petitioner Vinay Sharma has not been taken into consideration by the President while rejecting the mercy petition', AP Singh, lawyer of convict Vinay argued before the Supreme Court. #NirbhayaCase
— ANI (@ANI) February 13, 2020
दोषी
विनय
के
वकील
ने
लगाया
ये
आरोप
वहीं,
सुप्रीम
कोर्ट
में
दोषी
विनय
के
वकील
ने
आरोप
लगाया
है
कि
दिल्ली
के
गृह
मंत्री
और
उपराज्यपाल
ने
याचिका
रद्द
करने
के
सुझाव
पर
हस्ताक्षर
नहीं
किए
थे।
दोषी
विनय
के
वकील
ने
कोर्ट
में
यह
भी
तर्क
दिया
कि
राष्ट्रपति
ने
दोषी
विनय
की
दया
याचिका
को
खारिज
करने
से
पहले
उसकी
सामाजिक
जांच
रिपोर्ट,
मेडिकल
स्टेटस
रिपोर्ट
और
नाममात्र
भूमिका
को
ध्यान
में
नहीं
रखा
था।
आपको बता दें कि निर्भया गैंगरेप मामले में चारों दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी करने के लिए पीड़िता के परिवार और दिल्ली सरकार ने निचली अदालत का रुख किया। 12 फरवरी को निचली अदालत में मामले की सुनवाई हुई। वहीं इससे पहले निचली अदालत ने तिहाड़ जेल प्रशासन की याचिका को खारिज कर दिया था। दरअसल तिहाड़ जेल ने दोषियों को फांसी देने के लिए नई तारीख की मांग की थी। कोर्ट ने कहा था कि जब तक दोषियों को कानून जीवित रहने का अधिकार देता है जब तक उन्हें फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता है।
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