Nirbhaya Case: जानिए कहां है निर्भया का वो नाबालिग हत्यारा, जिसने भी की थी उस रात ददिंदगी
बेंगलुरु।देश की राजधानी में 12 दिंसबर 2012 को निर्भया 6 दरिंदों की हैवानियत का शिकार हुई थी। पूरे सवा सात साल बीतने के बाद आखिरकार चार दरिंदों को आज फांसी के फंदे तक पर लटका दिया गया। भारत में बेटियों को तत्काल न्याय दिलाने के लिए सख्त कानून होने के बावजूद निर्भया को न्याय मिलने में इतना लंबा समय लग गया। उम्मीद है कि इस केस के बाद कुछ कानून में परिवर्तन किए जाएंगे और दूसरी निर्भयाओं को तत्वरित न्याय मिल पाएगा।
इसी नाबालिग ने निर्भया पर ढाए थे सबसे अधिक जुर्म
बता दें दिल्ली गैंगरेप केस का छठा नाबालिग दोषी सिर्फ तीन साल की सजा काटने के बाद 20 दिसंबर 2016 को रिहा हो गया था। उसकी रिहाई के समय देश के इंसाफ पसंद लोग दुखी थे। वहीं निर्भया की मां और पिता की आंखों से आंसू बह रहे थे। वह बार-बार ये ही कर रहे थे कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ। 17 साल 6 महीने की उम्र में निर्भया के साथ इसी सख्स ने सबसे ज्यादा बर्बरता की थी जो सबसे कम सजा पाकर छूट गया। निर्भया पर सबसे अधिक इसी ने जुल्म ढाए इतना ही नही पुलिस जांच में यह पुष्टि हुई थी निर्भया का सबसे बड़ा जिम्मेदार ये दोषी ही है।
निर्भया घटना का सूत्रधार था ये नाबालिग
ऐसे बना घटना का सूत्रधार पुलिस के अनुसार इस छठे नाबालिग दोषी ने ही निर्भया को आवाज देकर बस में बुलाया था। इतना ही नही बस में निर्भया के बैठने के बाद सबसे कम उम्र के इसी लड़के ने बाकी पांच लोगों को गैंगपेर के लिए न सिर्फ उकसाया बल्कि इस पूरी घटना का सूत्रधार भी बना। इसी लड़के की वहशियाना हरकतों की वजह से ही निर्भया की आंते तक बाहर आ गई थी। जंग लगी लोहे की रॉड से निर्भया का टॉचर करने वालों में ये भी शामिल था। एक जल्लाद या कसाई भी किसी के साथ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है जो बाकी दोषियों के साथ मिलकर इस छठें आरोपी ने किया था। निर्भया को पीटा-बलात्कार किया, शरीर में लोहे का सरिया घुसा दिया। फिर, मरा हुआ जानकार निर्वस्त्र ही चलती बस से बाहर फेंक दिया था।
अभी भी उस पर इसलिए रखी जा रही निगरानी
दिल्ली प्रेक्षागृह से रिहाई के बाद से ही उसे गुप्त स्थान पर गैर सरकारी संगठन की देखरेख में रखा गया हैं। जो एनजीओ इस पर निगरानी कर रही है उसका कहना है कि वयस्क हो चुके किशोर नामक इस दोषी के बारे में कही से भी अगर पता चल गया तो जनता उसे छोड़गी नहीं। प्रेक्षागृह से रिहाई के बाद इससे पूछा गया था कि क्या वो बदायूं स्थित अपने घर जाना चाहेगा या एनजीओ की देखरेख में रहना चहेगा तो उसने सुरक्षा कारणों से एनजीओ के साथ जाने पर हामी भरी थी।
यूं बिता रहा गुमनामी की जिंदगी
असली पहचान और पुरानी जिंदगी की असलियत को छिपाने के लिए उसे दिल्ली से इतना दूर भेज दिया गया, जिससे लोग उसका पता न लगा सकें और वह एक नई जिंदगी शुरू कर सके। सूत्रों के अनुसार दक्षिण भारत में वह जहां काम करता है वहां भी लोगों को उसके वास्तविक नाम के बारे में नहीं पता और न ही कोई उसकी पिछली जिंदगी के बारे में कोई कुछ नही जानता है।
वारदात की रात बस के ड्राइवर से इसलिए गया था मिलने
दिल्ली बदांयू का मूल निवासी यह आरोपी महज 11 वर्ष की उम्र में अपने घर से भागकर दिल्ली आ गया था और यहां राम सिंह जिनने निर्भया कांड के बाद तिहाड़ जिले में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसके लिए काम करता था। घर से भाग कर दिल्ली आते ही सबसे पहले उसकी मुलाकात राम सिंह से हुई थी। इसके बाद बस की सफाई के लिए रामसिंह ने उसे रख लिया था। रिपोर्ट के अनुसार चालक रामसिंह के पास इस युवक के 8000 रुपये बकाया थे। जिसे मांगने वो बार-बार रामसिंह के पास जाता रहता था। वारदात की रात भी वह राम सिंह से अपने पैसे लेने के लिए गया था और इस कुमर्म को अपने साथियों के साथ अंजाम दिया।