निर्भया केस: फांसी देने वाले जल्लाद को मिलती है कितनी सैलरी
निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने के लिए मेरठ के पवन जल्लाद ने भी हां कर दी है। आइए जानते हैं कि फांसी देने वाले जल्लाद को कितना वेतन मिलता है।
नई दिल्ली। दिल्ली के बसंत विहार गैंगरेप मामले में तिहाड़ जेल में बंद चारों दोषियों को फांसी देने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। चारों दोषियों को अलग-अलग कोठरियों में शिफ्ट कर दिया गया है और साथ ही सीसीटीवी कैमरों से इनके ऊपर नजर रखी जा रही है। जेल प्रशासन ने फांसी घर में फांसी देने की रिहर्सल भी पूरी कर ली है। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका खारिज होने के बाद चारों दोषियों को जेल में एक साथ फांसी दे दी जाएगी। निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने के लिए मेरठ के पवन जल्लाद ने भी हां कर दी है। आइए जानते हैं कि फांसी देने वाले जल्लाद को कितना वेतन मिलता है।
महीने मिलती है इतनी सैलरी
मेरठ के पवन जल्लाद के मुताबिक, उनका परिवार काफी लंबे समय से फांसी देने का काम कर रहा है। पवन जल्लाद ने बताया कि उनके पिता, दादा और परदादा भी फांसी देने का ही काम करते थे। इस समय देश में फांसी देने के लिए केवल दो ही जल्लाद हैं। पवन जल्लाद ने बताया कि उन्हें फांसी देने के बदले 3000 रुपए मासिक वेतन मिलता था, जो अब बढ़ाकर 5000 रुपए मासिक कर दिया गया है। मासिक वेतन के अलावा जब किसी मुजरिम को फांसी दी जाती है तो उसके बदले में भी कुछ रुपए जल्लाद को दिए जाते हैं। आतंकी कसाब को फांसी देने वाले जल्लाद को भी फांसी के बदले 5000 रुपए दिए गए थे।
Recommended Video
कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर जल्लाद नियुक्त करेगा तिहाड़ प्रशासन
आपको बता दें कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में निर्भया के दोषियों को फांसी देने के लिए कोई जल्लाद नहीं है। फांसी के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन किसी जल्लाद की स्थाई नियुक्ति नहीं करेगा, बल्कि कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर किसी जल्लाद को नियुक्त करेगा। जेल के एक अधिकारी ने बताया, 'हमारे यहां जो न्याय व्यवस्था है, उसमें दुर्लभ से भी दुर्लभ मामलों में ही मौत की सजा सुनाई जाती है, इसलिए स्थाई तौर पर एक पूर्णकालिक जल्लाद को नियुक्त करने का कोई मतलब नहीं है। इसके अलावा इस तरह के काम के लिए एक पूर्णकालिक कर्मचारी को तलाश करना भी काफी मुश्किल है।'
पवन जल्लाद दे सकते हैं दोषियों को फांसी
इससे पहले तिहाड़ जेल में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दी गई थी। उस वक्त भी तिहाड़ में जल्लाद नहीं था और अफजल को फांसी देने के लिए जेल के ही एक कर्मचारी ने लीवर खींचने में अपनी सहमति दी थी। अफजल को फांसी दिए जाने के दौरान तिहाड़ की सुरक्षा बेहद सख्त कर दी गई थी। अब निर्भया के दोषियों की फांसी नजदीक आते देख तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने अन्य जेलों से जल्लाद को लेकर संपर्क साधना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि तिहाड़ जेल प्रशासन मेरठ के पवन जल्लाद को फांसी देने के लिए बुला सकता है।
चारों दोषियों पर 24 घंटे निगरानी
दरअसल, राष्ट्रपति की तरफ से दोषियों की दया याचिका पर अंतिम फैसला आने के बाद किसी भी दिन चारों को फांसी दी जा सकती है। चारों दोषियों को भी इस बात का एहसास है कि उन्हें जल्द ही फांसी दे दी जाएगी। ऐसे में जेल प्रशासन सीसीटीवी कैमरे के जरिए चारों दोषियों पर 24 घंटे निगरानी रख रहा है। बताया जा रहा कि इन चारों का हर रोज मेडिकल चेकअप भी कराया जा रहा है। जेल प्रशासन ने निर्भया के चारों दोषियों को अलग-अलग कोठरियों में रखा है। कोठरी में हर दोषी के साथ उसी की उम्र के दो-दो ऐसे कैदियों को भी रखा गया है, जिनका व्यवहार जेल में अच्छा है। जेल प्रशाशन ने इन कैदियों को जिम्मेदारी दी है कि वो अपने साथ बंद दोषी को समझाते रहें।
सात साल से निर्भया को इंसाफ का इंतजार
गौरतलब है कि दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को अपने घर लौट रही 23 वर्षीय छात्रा से बस के अंदर गैंगरेप के मामले में 6 लोगों को दोषी ठहराया गया था। इस घटना के कुछ दिन बाद छात्रा की मौत हो गई और लोगों ने सड़कों पर उतरकर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर विरोध प्रदर्शन किए। दोषी ठहराए गए 6 लोगों में से एक राम सिंह ने ट्रायल के दौरान तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी, जबकि एक दोषी नाबालिग था। हाल ही में हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ गैंगरेप और उसे जलाकर मारने की घटना के बाद निर्भया के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी पर लटकाए जाने की मांग उठ रही है।