निर्भया केस: दोषी मुकेश का दावा कोर्ट में हुआ खारिज, क्या अब 20 मार्च को होगी दरिंदों को फांसी
बेंगलुरु। दिल्ली के निर्भया गैंगरेप, मर्डर केस में निर्भया के दोषी मुकेश के उस याचिका को खारिज कर दिया हैं। जिसमें उसने फांसी को टालने के लिए वकील एमएल शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में दावा किया गया था कि वह 17 दिसंबर 2012 को राजस्थान से गिरफ्तार हुआ था। वह तो वारदात वाले स्थल पर घटना के वक्त था भी नहीं। ऐसे में वह इस केस में दोषी नहीं है। इसके साथ ही मुकेश ने अपनी याचिका में ये भी दावा किया था कि तिहाड़ जेल में उसका शोषण हुआ था। उसके साथ जेल में मारपीट की गई। इस दलील को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया है। ऐसे में सवाल उठता हैं कि मुकेश की दावा खारिज होने के बाद क्या अब निर्भया के चारों हत्यारों को 20 मार्च को तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया जाएगा?

तिहाड़ जेल में फांसी के लिए हो चुकी हैं पूरी तैयारी
बता दें निर्भया केस में पटियाला हाउस कोर्ट चौथा डेथ वारंट जारी किया था जिसके आधार पर 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे तिहाड़ जेल में इन दरिंदों को फांसी पर लटकाया जाना हैं। इनको फांसी पर लटकाने के लिए तिहाड़ में पवन नामक जल्लाद भी मंगलवार को पहुंच चुका हैं। बुधवार की सुबह पवन जल्लाद ने पजेल प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में दोषियों के डमी को फांसी पर लटकाने की आज रिहर्सल भी कर ली है। लेकिन निर्भया गैंगरेप और हत्या के चारों दोषियों के वकील 20 मार्च को होने वाली फांसी को टालने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। इसलिए चौथे डेथ वारंट के बाद दोषियों के वकील एक के बाद एक कोर्ट में केस दायर कर कानूनी पैंतरा चल रहे हैं। ऐसे में 20 मार्च को भी फांसी होगी या नहीं इस में फिर से पेंच फंसता नजर आ रहा हैं। आइए जानते हैं क्यों इस बार भी टल सकती हैं फांसी ?
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20 मार्च को क्या टल जाएगी इन दरिंदों की फांसी
गौरतलतब है कि कोर्ट दोषियों के वकील एपी सिंह द्वारा एक के बाद एक बाद एक कानूनी विकल्पों के आधार पर कानूनी दांव पेंच चले जाने के कारण अब तक तीन बार जारी किया डेथ वारंट रद्द कर चुका है।वहीं इस बार फिर निर्भया के दोषी हाईकोर्ट और कड़कडडूमा कोर्ट में लंबित होने के आधार पर पटियाला हाउस कोर्ट का रुख दोषियों के वकील एपी सिंह ने की हैं। उन्होंने कहा याचिकाएं लंबित होने की स्थिति में पटियाला हाउस कोर्ट में फांसी कानूनी तौर पर स्थगित किया जाना चाहिए। इसलिए वह सभी तर्को को पटियाला हाउस कोर्ट में रख रहे हैं ताकि जब तक फांसी नहीं दी जा सकती।
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पवन की इस याचिका पर कोर्ट ने 8 अप्रैल तक मांगी है रिपोर्ट
दोषी पवन ने 11 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट में मंडोली जेल के दो पुलिसकर्मियों पर मारपीट का आरोप लगाकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए याचिका दायर की है। याचिका के आधार पर न्यायाधीश ने 12 मार्च को जेल प्रशासन को नोटिस जारी कर आरोपी पुलिसकर्मियों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट 8 अप्रैल तक मांगी है। याचिका में दोषी पवन ने आरोप लगाया है कि पुलिस कर्मियों द्वारा की गई मारपीट में उसके सिर पर गंभीर चोट लगी है। नियम है कि अगर किसी दोषी की कोई भी याचिका लंबित है तो ऐसी स्थिति में फांसी नहीं दी जा सकती।
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दोषी ने दोबारा दाखिल की क्यूरेटिव प्रिटिशन
निर्भया के दोषी पवन गुप्ता ने फांसी से बचने के लिए फिर एक नई चाल चली है। पवन ने सुप्रीम कोर्ट में फिर से क्यूरेटिव याचिका दाखिल की है। उपचारात्मक (क्यूरेटिव) याचिका में पवन ने नाबालिग होने का दावा किया है। वहीं दोषी अक्षय ने एक बार फिर जेल प्रशासन को दया याचिका दी है। जिसे राष्ट्रपति के पास भेजने की गुजारिश की गई है।पवन ने वकील के माध्यम से दायर की गई दूसरी क्यूरेटिव पिटीशन में कहा कि नया सबूत स्कूल के रजिस्टर में सामना आया है। इसमें याचिकाकर्ता की जन्म की तारीख आठ अक्टूबर 1996 बताई गई है। इसके अनुसार घटना के दिन उसकी उम्र 16 साल दो महीने और आठ दिन थी। याचिकाकर्ता की ओर से दलील में कहा गया कि नाबालिग होने के तथ्य दिल्ली पुलिस ने जानबूझकर अदालत से छिपाए। ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी इस तथ्य को नजरअंदाज किया। ये सब मीडिया और जनता के दबाव में हुआ।

दोषियों ने अब खटखटाया अंतराष्ट्रीय कोर्ट का दरवाजा
गौरतलब हैं कि मौत की तारीख नजदीक आते ही एक के बाद निर्भया के दोषी एक के बाद एक नई-नई अर्जियां अलग-अलग जगह दाखिल कर ये सभी फांसी पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। चार दोषियों में से तीन विनय, पवन और अक्षय ने इंटरनेशनल कोर्ट का रुख किया है। तीनों ने आईसीजे में अर्जी देकर मांग की है कि उनकी फांसी की सजा पर रोक लगाई जाए। दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा है कि फांसी की सजा के खिलाफ दुनियाभर के विभिन्न संगठनों ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया है। विदेशों में बसे लोगों को भारतीय न्याय व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। इसलिए उन्होंने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया है।

दोषियों के 13 परिजनों ने मांगी इच्छामृत्यु
गुनहगारों के बुजुर्ग माता-पिता, भाई-बहन व बच्चों सहित 13 परिजनों ने रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी भेजकर अपने लिए इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है। चिट्ठी में कहा गया है कि हमारे अनुरोध को स्वीकार करें और भविष्य में होने वाले किसी भी अपराध को रोकें, ताकि निर्भया जैसी दूसरी घटना न हो और अदालत को ऐसा न करना पड़े कि एक के स्थान पर पांच लोगों को फांसी देनी पड़े।''उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि ऐसा कोई पापी नहीं हैं, जिन्हें माफ नहीं किया जा सकता है। हालांकि ये चिट्ठी का इनकी फांसी टलवाने की दलील में कोई काम नहीं आने वाली। इतना ही नहीं इस लेटर को राष्ट्रपति द्वारा पहली नजर में ही रद्द कर दिया जाएगा क्योंकि भारत में ऐसी इच्छामृत्यु का कोई प्रवधान ही नही है।

6 दिसंबर 2012 को 6 दोषियों ने निर्भया से दरिंदगी की थी
दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से 16 दिसंबर, 2012 की रात 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की थी। गंभीर जख्मों के कारण 26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। घटना के 9 महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने 5 दोषियों... राम सिंह, पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई थी। मार्च 2014 में हाईकोर्ट और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी। ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल में सुधार गृह से छूट चुका है।